गांधीनगर, 02 मार्च (वार्ता)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ‘विश्व वन्यजीव दिवस’ (‘World Wildlife Day’) मनाने के उपलक्ष्य में सोमवार को गुजरात के जूनागढ में सासणगीर जाएंगे।
सरकारी सूत्रों ने रविवार को बताया कि तीन मार्च को समग्र विश्व ‘विश्व वन्यजीव दिवस’ (‘World Wildlife Day) मनायेगा। इस अवसर पर श्री मोदी सासणगीर जाएंगे। ‘विश्व वन्यजीव दिवस’ 2025 की थीम ‘वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन फाइनांस : इन्वेस्टिंग इन पीपल एंट प्लेनेट’ (वन्यजीव संरक्षण वित्त : लोगों तथा पृथ्वी ग्रह में निवेश) है। इस थीम के माध्यम से विश्व वन्यजीव दिवस वैश्विक संरक्षण प्रयासों में सस्टेनेबल फंड की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल देता है।
उन्होंने बताया कि हाल ही में गुजरात के नौ जिलों की 53 तहसीलों में लगभग 30,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में सिंहों की आबादी है। गुजरात में बसने वाले एशियाई सिंहों एवं अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त भारत सरकार के प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में वन्यजीवों के स्वास्थ्य के लिए जूनागढ जिले के नवा पीपलिया में 20.24 हेक्टेर से अधिक भूमि पर नेशनल रेफरल सेंटर बनने जा रहा है। इतना ही नहीं सासण में वन्यजीव ट्रैकिंग के लिए एक हाई-टेक मॉनिटरिंग सेंटर तथा एक अत्याधुनिक अस्पताल का निर्माण भी किया गया है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात में एशियाई सिंहों के संरक्षण के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं। उनके नेतृत्व में वर्ष 2024 में गीर में 237 बीट गार्ड्स (162 पुरुष, 75 महिलाएँ) की भर्ती की गई थी, जो संरक्षित क्षेत्रों में पेट्रोलिंग करते हैं और सिंहों के ठिकानों की रक्षा करते हैं। गीर के स्थानीय लोगों की छोटी-छोटी समस्याओं के निवारण के लिए ‘गीर संवाद सेतु’ कार्यक्रम चलाया जाता है और अब तक ऐसे 300 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है।
इसके अतिरिक्त शाकाहारी पशुओं के संवर्धन के लिए नौ ब्रीडिंग सेंटर्स भी बनाए गए हैं। उनके मार्गदर्शन में बृहद् गीर क्षेत्र में स्थित रेलवे लाइनों पर सिंहों की आवाजाही के कारण संभावित दुर्घटना का निवारण करने के लिए रेलवे के साथ एसओपी तैयार की गई है, जिसके कारण दुर्घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है।
श्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में वर्ष 2022 में आयोजित ‘विश्व सिंह दिवस’ उत्सव में लगभग 13.53 लाख लोगों ने भाग लिया था और उसके माध्यम से एक विश्व कीर्तिमान बनाया गया था। मानव-वन्यजीवन संघर्ष के मुद्दे पर फोकस करने के लिए यह पहल वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण है।
उल्लेखनीय है कि गुजरात में सासणगीर में निवास करने वाले एशियाई सिंहों के संरक्षण तथा गीर क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री तथा वर्तमान में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अनेक प्रयास किए थे। उन्होंने स्वयं वर्ष 2007 में गीर के वन क्षेत्र की यात्रा की थी और वहाँ की स्थिति की जानकारी प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने गीर क्षेत्र के समग्र विकास, सिंहों के संरक्षण एवं गीर की वन्यजीव सृष्टि के संरक्षण के भगीरथ प्रयास प्रारंभ किए थे।
तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वर्ष 2007 में उठाए गए मुख्य कदम: वर्ष 2007 में सिंह के शिकार की घटना के बाद गुजरात सरकार ने जूनागढ में ग्रेटर गीर वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन टास्क फोर्स डिवीजन की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य वन्यजीव अपराधों पर निगरानी रखना, गोपनीय जानकारी एकत्र करना तथा एशियाई सिंहों व उनके क्षेत्र में बसने वाले अन्य वन्यजीवों के संरक्षण को मजबूत बनाना था।
श्री नरेन्द्र मोदी ने बृहद् गीर की संकल्पना दी, जिसमें गीर यानी केवल गीर नेशनल पार्क तथा सेंचुरी ही नहीं, बल्कि बरडा से लेकर बोटाद तक 30 हजार वर्ग किलोमीटर फैला क्षेत्र शामिल है, जहाँ एशियाई सिंहों की आबादी देखने को मिलती है। उन्होंने बृहद् गीर के विकास के साथ वहाँ के स्थानीय लोगों का विकास भी सुनिश्चित किया है। उनके नेतृत्व में गीर क्षेत्र के लिए पहली बार वन विभाग में महिला बीट गार्ड तथा फॉरेस्टर की भर्ती की गई। आज गीर में लगभग 111 महिला कर्मचारी सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। गीर क्षेत्र तथा गीर के सिंहों की स्थिति के विषय में समीक्षा करने के लिए महानिरीक्षक (आईजी), जूनागढ रेंज की अध्यक्षता में मासिक समीक्षा बैठक आयोजित करने की शुरुआत की गई।
वर्ष 2007 में गुजरात राज्य सिंह संरक्षण सोसाइटी (जीएसएलसीएस) की स्थापना की गई, जो लोक भागीदारी द्वारा एशियाई सिंहों के संरक्षण को समर्थन देती है। वह पशु चिकित्सा अधिकारियों, पशुपालकों, ट्रैकर्स एवं सिंह संरक्षण के लिए जरूरी अन्य लोगों को फंड प्रदान करती है। गीर इको-टूरिज्म से होने वाली आय जीएसएलसीएस को दी जाती है। वह वन्यजीवन संरक्षण तथा वन विभाग की ढाँचागत सुविधाओं के लिए इस फंड का उपयोग करती है।
गुजरात सरकार ने सिंह संरक्षण प्रयासों को बढ़ाने के लिए वन्यप्राणी मित्र योजना शुरू की। यह पहल जागरूकता बढ़ाने, सिंहों तथा अन्य वन्यजीवों की गतिविधियों पर देखरेख रखने और बचाव कार्य व संरक्षण प्रयासों में वन विभाग की सहायक होने पर ध्यान केन्द्रित करती है।
गीर में इको-टूरिज्म को प्रोत्साहन: प्रधानमंत्री श्री मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान गीर के सिंहों के क्षेत्र में इको-टूरिज्म को प्रोत्साहन दिया था। इसी समयावधि के दौरान गुजरात सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा ‘खुशबू गुजरात की’ अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान ने बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित किया। भारतभर के पर्यटकों के साथ अन्य देशों के पर्यटकों को भी आमंत्रित कर गीर के संरक्षित क्षेत्र की विजिबिलिटी में वृद्धि की गई, जिससे गीर वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर आ गया।
गीर में इको-टूरिज्म के विकास ने केवल वन्यजीव संरक्षण में ही योगदान नहीं दिया, बल्कि हजारों स्थानीय निवासियों की आय में भी सकारात्मक परिवर्तन लाया है। इससे इस क्षेत्र के टिकाऊ विकास को प्रोत्साहन मिला है। पिछले पाँच वर्षों में कुल 33,15,637 पर्यटक गीर संरक्षित क्षेत्र की यात्रा पर पहुँचे हैं।
इको-टूरिज्म से स्थानीय लोगों को मिलते हैं रोजगार के भरपूर अवसर: गीर में संरक्षण प्रयासों तथा पर्यटन को संतुलित करने के लिए 2017 में आंबरडी सफारी पार्क की संरचना की गई। गीर ऑनलाइन परमिट बुकिंग सिस्टम शुरू होने के बाद सफारी का अनुभव अधिक सुव्यवस्थित बना है। इको-टूरिज्म के कारण सासण से तालाला तथा जूनागढ तक के स्थानीय कारीगरों, हस्तकला कामगारों तथा किसानों को भी फायदा हुआ है। वे उनके उत्पाद सीधे विजिटर्स को बेच सकते हैं। गाँव के कई लोग अब अपनी दुकानों में स्थानीय माल की बिक्री एवं परिवहन सेवाओं द्वारा कमाई करते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को वेग मिला है।
इस क्षेत्र के कुल लगभग 1000 परिवार ईको-टूरिज्म संबंधी गतिविधियों से प्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त करते हैं, जबकि गीर के आसपास के लगभग 15,400 परिवारों को रोजगार की दृष्टि से परोक्ष रूप से फायदा होता है। स्थानीय गन्ने से बनाया गया गुड़, गीर प्रदेश का केसर आम, आम का रस व उसके अन्य उत्पाद, गीर गाय का घी, फल, केसूडा (टेसू) के फूल आदि पर्यटकों में बहुत ही लोकप्रिय हैं।
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