Opposition leaders target Omar: विपक्षी नेताओं ने मीरवाइज की सुरक्षा को लेकर उमर पर साधा निशाना!

Wed, Feb 26 , 2025, 07:42 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के विपक्षी नेताओं ने मंगलवार को अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक की सुरक्षा के बारे में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Chief Minister Omar Abdullah) की टिप्पणी को लेकर उन पर निशाना साधा। एक टेलीविजन चैनल को दिए साक्षात्कार में अब्दुल्ला ने कहा कि 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों में कमी आयी है। 

उन्होंने यह भी कहा कि अतीत में यह ‘अकल्पनीय’ था कि केंद्र मीरवाइज को सीआरपीएफ सुरक्षा कवर प्रदान करेगा। इसी साक्षात्कार में उन्होंने अनुच्छेद 370 के अस्थायी और संक्रमणकालीन होने के बारे में चल रही चर्चा पर सवाल उठाया।उन्होंने कहा, “आप अनुच्छेद 370 के अस्थायी और संक्रमणकालीन होने की बात करते हैं। लेकिन यह अस्थायी क्यों था? संक्रमणकालीन स्थिति किससे जुड़ी थी? आप इसके बारे में बात क्यों नहीं करते? जम्मू-कश्मीर के लोगों से जनमत संग्रह का वादा किया गया था।”

मीरवाइज के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी को ‘बेतुकी टिप्पणी’ करार दिया गया। बयान में कहा गया है कि 'जिम्मेदारी के पद पर बैठे किसी व्यक्ति से समझदारी की बात करने की अपेक्षा की जाती है, परिस्थितियों को अच्छी तरह जानते हुए भी मीरवाइज उमर फारूक को दी गयी सुरक्षा के पीछे मकसद बताना बेहद खेदजनक है। ऐसी गैरजिम्मेदाराना टिप्पणियां टिप्पणीकारों को धोखा देती हैं, असुरक्षा की भावना पैदा करती हैं और पहले से ही घिरे तथा दमित लोगों में उनके एवं उनकी मानसिकता के बारे में और अधिक मोहभंग करती हैं।''

पीपुल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष एवं विधायक सज्जाद लोन ने कहा कि वह कई बातों पर मीरवाइज उमर से असहमत हो सकते हैं।उन्होंने कहा , “लेकिन यह एक सच्चाई है कि उनके पिता शहीद हुए थे। मेरे पिता भी शहीद हुए थे। यहां तक ​​कि शहादत की तारीख भी वही है और मेरे पिता मीरवाइज मोहम्मद फारूक साहब की शहादत को याद करने के लिए ईदगाह गये थे और वहीं उन्हें गोली मार दी गई थी।”

उन्होंने आगे कहा , “सीएम साहब--हम पीड़ित हैं। हम जानते हैं कि हिंसक मौत क्या होती है। हमारे पिता मारे गए। संयोग से मेरे पिता की हत्या आपके पिता की निगरानी में हुई थी, जब वह मुख्यमंत्री थे। और हाँ। उन्होंने सीआईडी ​​से स्पष्ट इनपुट होने के बावजूद उन्हें सुरक्षा प्रदान नहीं की कि उन पर हमला होने की संभावना है। जब मैं उनके अंतिम संस्कार में जाना चाहता था, तब उन्होंने मुझे सुरक्षा प्रदान नहीं की। उस समय के संभागीय आयुक्त ने सुरक्षा प्रदान करने में असमर्थता व्यक्त की।”

पीडीपी नेता एवं विधायक वहीद पारा ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अगर आज कश्मीर में शांति दिख रही है तो इसकी वजह यूएपीए, पीएसए, एनआईए, घरों और संपत्तियों की कुर्की, लगातार प्रोफाइलिंग, सत्यापन, कड़े कानूनों के तहत कैदियों को बाहर रखना और 311 के तहत कर्मचारियों को नौकरी से निकालना है।उन्होंने कहा कि अगर मीरवाइज साहब को सुरक्षा दी गयी है तो यह उनकी सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि इसलिए है क्योंकि उनकी भेद्यता बढ़ गई है। 

मीरवाइज को निशाना बनाना उन्हें और भी ज्यादा खतरे में डालता है, जबकि वह अच्छी तरह जानते हैं कि उनके परिवार ने पहले ही भारी कीमत चुकाई है। सच तो यह है कि सैकड़ों अन्य लोगों की तरह कब्रों, दरगाहों और मस्जिदों की भी सुरक्षा जेकेपी और सीआरपीएफ द्वारा की जाती है। तो अगर मीरवाइज हैं तो फिर मुद्दा क्यों बनाया जाए?

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