हमारे देश में सेहत से जुड़े कई तरह के मिथक काफी प्रचलित हैं. अक्सर कहा जाता है कि अभी तो जवान हो, अभी कोई टेस्ट क्यों कराओ। लेकिन इंडियन जर्नल ऑफ मेडिसिन रिसर्च (Indian Journal of Medicine Research) का कहना है कि शहरों में रहने वाले 8 से 10 प्रतिशत लोगों को 20 साल की उम्र तक हृदय रोग का खतरा होता है। इस मामले में गांव भी कम नहीं हैं।
ग्रामीण इलाकों में भी 20 साल की उम्र के 3 से 4 फीसदी लोगों को दिल की बीमारी है. बड़ी बात यह है कि हृदय रोग के कोई बाहरी लक्षण नहीं होते। न तो बुखार है और न ही शरीर में कमजोरी है। यह बीमारी अचानक दिल का दौरा या स्ट्रोक का कारण बनती है। फिर सवाल पूछा जाता है कि इतनी कम उम्र में दिल का दौरा क्यों पड़ता है?
इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Journal of Medicine Research) के अनुसार, भारतीयों को हृदय संबंधी विकारों का खतरा सबसे ज्यादा है। अगर भारतीय अमेरिका चले भी जाएं तो वहां उन्हें दिल की बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है। द वीक की एक रिपोर्ट में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. ब्रजेश कुमार मिश्र ने कहा, हृदय संबंधी बीमारियों में पारिवारिक इतिहास एक प्रमुख कारक है। यदि किसी के परिवार में किसी करीबी रिश्तेदार को पहले से ही हृदय रोग है, तो उसके विकसित होने का जोखिम अधिक होता है, चाहे उसका आहार सही हो या नहीं। इसलिए, हर साल दिल की जांच कराना कोलेस्ट्रॉल, शुगर और रक्तचाप को नियंत्रण में रखने में बहुत प्रभावी होगा, ऐसा शोध कहता है। इसलिए हर भारतीय को 20 साल की उम्र से एक बार हृदय संबंधी जांच करानी चाहिए।
डॉ.ब्रजेश कुमार मिश्र ने कहा कि भारत में कई मिथक हैं, जो लोगों को हृदय की जांच कराने से रोकते हैं। पहला मिथक यह है कि केवल बुजुर्गों को ही अपने दिल की जांच करानी चाहिए। एक और मिथक यह है कि लोग सोचते हैं कि यदि उनमें कोई लक्षण नहीं हैं, तो उन्हें किसी परीक्षण की आवश्यकता नहीं है। लेकिन सच तो यह है कि अगर आपके परिवार में किसी को यह बीमारी है तो आपको हर साल दिल की जांच करानी चाहिए। मोटापा, उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ित लोगों को सबसे पहले अपने दिल की जांच करानी चाहिए। अगर शुरुआत में कोई दिक्कत हो तो इस बीमारी से निपटना आसान होता है।
डॉ. मिश्रा ने कहा कि तीसरी गलतफहमी यह है कि ये जांचें महंगी हैं लेकिन हकीकत यह है कि एक लिपिड प्रोफाइल जांच 100, 200 रुपये में हो जाती है. अगर डायबिटीज की जांच भी होती है तो 500 से भी कम खर्च में हो जाती है. यदि इन परीक्षणों में कोई समस्या पाई जाती है, तो आगे के परीक्षणों की सलाह दी जाती है। लेकिन जल्दी पता चलने से हर पल मौत का खतरा कम हो जाएगा। रोग का शीघ्र पता लगने से पक्षाघात के कारण होने वाली शारीरिक विकलांगता के जोखिम को भी कम किया जा सकता है।
हृदय रोग से बचने का सबसे अच्छा तरीका अपनी जीवनशैली और खान-पान की आदतों में सुधार करना है। नियमित रूप से आधे घंटे से एक घंटे तक व्यायाम करें और स्वस्थ आहार लें। रोजाना हरी पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल, अंडे, बीज, सूखे मेवे, मछली आदि खाएं। पर्याप्त पानी पियें. तनाव से बचें और 7 से 9 घंटे की आरामदायक नींद लें। इसके अलावा नियमित रूप से अपना बीपी जांचें और साल में एक बार लिपिड प्रोफाइल, शुगर, लिवर फंक्शन टेस्ट, किडनी फंक्शन टेस्ट जैसे टेस्ट जरूर कराएं।
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Fri, Dec 27 , 2024, 10:15 AM