What Health Tests Should Women Undergo Regularly: जैसे-जैसे महिलाओं (Womens) की उम्र बढ़ती है, कई स्वास्थ्य (Health) समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही, प्रजनन आयु की महिलाएं यौन संचारित रोगों सहित प्रजनन संबंधी अन्य बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। ऐसे में समस्या को शुरुआती दौर में ही पहचानने के लिए नियमित अंतराल पर शारीरिक जांच यानी कुछ जरूरी टेस्ट कराते रहना चाहिए। इसीलिए विशेषज्ञों ने कई महत्वपूर्ण परीक्षण और जांच कराने की सलाह दी है। तो आइए जानें क्या हैं ये टेस्ट और इन्हें करना क्यों जरूरी है।
जानिए क्यों जरूरी है नियमित जांच-
नियमित जांच से हार्मोनल असंतुलन, पीसीओडी, गर्भाशय फाइब्रॉएड और अन्य स्त्रीरोग संबंधी समस्याओं का पता लगाया जा सकता है। महिलाओं को साल में कम से कम एक बार अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए। नियमित जांच से न केवल बीमारियों का पता चलता है बल्कि महिलाओं को उनकी प्रजनन क्षमता और हार्मोनल स्वास्थ्य के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त करने में भी मदद मिलती है।
महिलाओं को ये स्वास्थ्य परीक्षण भी कराने चाहिए-
स्तन की जांच- डॉक्टर हर महिला को 20 साल की उम्र से ही स्तन की जांच कराने की सलाह देते हैं। हर 1 से 3 साल में स्तन परीक्षण कराएं। इससे आपको समस्या को जल्दी पकड़ने में मदद मिलती है, जिससे आपकी समस्या का इलाज करना आसान हो जाता है।
मैमोग्राफी - 40 से 49 वर्ष की आयु के बीच की महिलाओं को अपने डॉक्टर से मैमोग्राम के लाभों और जोखिमों पर चर्चा करनी चाहिए। 50 वर्ष की आयु तक, सभी महिलाओं को हर 1 से 2 साल में मैमोग्राम कराना चाहिए।
अस्थि घनत्व परीक्षण- यह परीक्षण 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र की सभी महिलाओं या 65 वर्ष से कम उम्र की रजोनिवृत्त महिलाओं के लिए अनुशंसित है, जिन्हें हड्डी टूटने का खतरा है।
थायराइड फंक्शनिंग टेस्ट- महिलाएं थायराइड विकारों से प्रभावित होने की अधिक संभावना रखती हैं। इसलिए नियमित निगरानी महत्वपूर्ण है। नियमित अंतराल पर अपने थायराइड की जांच कराते रहना बहुत जरूरी है।
क्लैमाइडिया और गोनोरिया परीक्षण- यदि उपचार न किया जाए, तो ये एसटीआई, पेल्विक रोग, बांझपन और पुराने दर्द जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। 25 वर्ष से कम उम्र की यौन सक्रिय महिलाओं के लिए वार्षिक परीक्षण की सिफारिश की जाती है। 25 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाओं को भी परीक्षण से लाभ हो सकता है।
एचआईवी टेस्ट- अपने जीवन में कम से कम एक बार यह टेस्ट जरूर कराएं। इसी तरह, अन्य एसटीआई जैसे सिफलिस, ट्राइकोमोनास, हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस और हेपेटाइटिस की जांच जोखिम कारकों पर निर्भर होनी चाहिए।
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Sat, Dec 14 , 2024, 04:09 PM