Mahakumbh Mela : महाकुंभ मेला 12 वर्ष में एक बार लगता है! यह कैसे निर्धारित होता है?

Thu, Dec 12 , 2024, 09:30 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Mahakumbh Mela 2025 : महाकुंभ मेला दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेलों में से एक है जो 12 साल में एक बार आयोजित होता है, आइए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें। महाकुंभ मेला सनातन हिंदू धर्म में बहुत धार्मिक महत्व रखता है और 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (Prayagraj) में आयोजित किया जाएगा। यह मेला दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेलों में से एक है। इसमें भाग लेने के लिए न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर से लोग आते हैं। हम आपको बता दें, महाकुंभ मेले (Mahakumbh Mela) का आयोजन 12 साल में एक बार होता है। इस दौरान करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम पर स्नान करने आते हैं। कहा जाता है कि इसमें एक बार स्नान करने से भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

प्रयागराज के साथ इस स्थान पर लगता है महाकुंभ मेला -
प्रयागराज का इतिहास प्राचीन काल से है। यह भी एक कारण है कि शास्त्रों में प्रयागराज को तीर्थराज या 'तीर्थों का राजा' कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने पहला यज्ञ यहीं किया था। महाभारत सहित विभिन्न पुराणों ने इस पवित्र स्थान को धार्मिक प्रथाओं के लिए प्रसिद्ध माना है।

पौराणिक कथा के अनुसार कुंभ मेला समुद्र मंथन (Kumbh Mela Samudra Manthan) से जुड़ा है। कहा जाता है कि देवताओं और राक्षसों ने मिलकर अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन किया था। तभी अमृत कलश प्राप्त हुआ। ऐसा माना जाता है कि उस अमृत कलश की कुछ बूंदें पृथ्वी के चार पवित्र स्थानों, अर्थात् प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिरी थीं। यही कारण है कि इस दिव्य स्थान पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।


इसलिए 12 वर्ष बाद आयोजित होता है महाकुंभ मेला -
कहा जाता है कि अमृत पाने के लिए देवताओं और दानवों में लगभग 12 दिनों तक संघर्ष चला। इसके साथ ही यह भी कहा जाता है कि देवताओं के बारह दिन मनुष्य के बारह वर्षों के बराबर होते हैं। इसी कारण 12 वर्ष बाद महाकुंभ का आयोजन होता है।

तिथि इस प्रकार निर्धारित की जाती है -
इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसका एक कारण यह भी है कि जब बृहस्पति ग्रह वृषभ राशि में होता है और इस बार सूर्य देव मकर राशि में आते हैं तो कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज में होता है। इसी प्रकार, हरिद्वार में कुंभ तब आयोजित होता है जब बृहस्पति कुंभ राशि में होता है और उस अवधि के दौरान सूर्य देव मेष राशि में गोचर करते हैं। इसके अलावा नासिक में महाकुंभ का आयोजन तब होता है जब सूर्य और बृहस्पति सिंह राशि में होते हैं। वहीं, जब बृहस्पति सिंह राशि में और सूर्य मेष राशि में होता है, तब कुंभ मेला उज्जैन में आयोजित होता है।

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