Dr. Ambedkar Bodhisattva : डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर (Dr. Babasaheb Ambedkar) को अनेक उपाधियों और विशेषणों से पुकारा जाता है। बाबा साहब को भारतरत्न, विश्वरत्न, महापुरुष, भारतीय संविधान के निर्माता, दलितों के पिता, दलितों की माता, क्रांतिसूर्य, प्रकांडपंडित, विधिवेत्ता जैसे कई सार्थक नामों से पुकारा जाता है। हालाँकि, इन संबोधनों में बोधिसत्व शीर्षक बहुत अलग है। आइए जानते हैं कि बोधिसत्व क्या है और बाबासाहेब बोधिसत्व (Babasaheb Bodhisattva) कैसे हैं।
बोधिसत्व क्या है?
बोधिसत्व शब्द बौद्ध धर्म से जुड़ा है। डॉ. स्व. बाबासाहेब अम्बेडकर ने अपने अंतिम कार्य 'बुद्ध एंड हिज धम्म' में बोधिसत्व शब्द को परिभाषित और विश्लेषित किया। बाबासाहेब ने बोधिसत्व को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया है जो बुद्ध बनने का प्रयास करता है। एक बोधिसत्व क्रम से जीवन के 10 चरणों के माध्यम से एक बोधिसत्व है। इन 10 चरणों को दास पारमिता कहा जाता है। परमिता का अर्थ है पूर्णता की स्थिति।
बोधिसत्व वह व्यक्ति है जो विश्व के कल्याण के लिए, लोगों के कल्याण के लिए, मानव जाति की शांति और खुशी के लिए प्रयास करता है। बौद्ध धर्म में, जो व्यक्ति बुद्ध बनता है वह बोधिसत्व होता है। बाबा साहब को दुनिया एक ऐसे महापुरुष के रूप में जानती है जो दयालु, बुद्धिमान थे और उन्होंने जन कल्याण के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। उनके कार्यों के कारण ही उन्हें बोधिसत्व की उपाधि मिली है।
बौद्ध धर्म में दस पारमिताएँ
बौद्ध धर्म की 10 पारमिताएँ दान, शील, सदाचार, प्रज्ञा, वीर्य, क्षांति, सत्य, अधिष्ठान, मैत्री, उखेका हैं। एक बोधिसत्व अपने जीवनकाल के दौरान इन 10 पारमिताओं को पूरा करता है। उसके बाद उसे बुद्धत्व की प्राप्ति होती है। बौद्ध धर्म की प्रसिद्ध जातक कहानियाँ इन्हीं पारमिताओं पर आधारित हैं।
बाबा साहब को बोधिसत्व की उपाधि कैसे मिली?
डॉ। बाबासाहेब अम्बेडकर को बौद्ध धर्म में दीक्षा लेने से पहले ही बोधिसत्व की उपाधि प्राप्त हुई थी। वर्ष 1955 में विश्व बौद्ध धम्म सम्मेलन नेपाल के काठमांडू में आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर को आमंत्रित किया गया था। वहां उपस्थित बौद्ध भिक्षुओं ने बाबा साहब को बोधिसत्व की उपाधि प्रदान की। इसके बाद बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा डाॅ. जब उनकी मुलाकात बाबा साहेब अम्बेडकर से हुई तो उन्होंने बाबा साहेब को बोधिसत्व भी कहा। दुनिया ने बाबा साहेब की शिक्षा, ज्ञान, मानव समाज के प्रति उनकी करुणा, दलितों, पीड़ितों और वंचितों के लिए उनके बलिदान को देखा। इसी त्याग के आधार पर बाबा साहब बोधिसत्व बने।
विश्व प्रसिद्ध बोधिसत्व
1. बोधिसत्व डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर: यह बुद्ध के ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है और इसके हाथों में बहुमूल्य भारतीय संविधान है।
2. बोधिसत्व क्वान ओम्: ये बुद्ध दया दिखाते हैं और अपने हाथों में पानी का ग्लोब रखते हैं।
3. बोधिसत्व पद्मपाणि: बुद्ध की करुणा का प्रतिनिधित्व करता है और अपने हाथ में कमल का फूल रखता है।
4. बोधिसत्व वज्रपाणि: यह बुद्ध की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है और अपने हाथ में वज्र रखता है।
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Thu, Dec 05 , 2024, 08:47 PM