Pradosh Vrat: दिसंबर में प्रदोष व्रत कब है? जानिए तिथि, समय और पूजा विधि!

Tue, Dec 03 , 2024, 09:30 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Pradosh Vrat in December: दिसंबर महीने में आने वाला प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) भोलेनाथ को समर्पित होता है। दिसंबर में प्रदोष व्रत दो बार आ रहा है। एक है शुक्र प्रदोष व्रत और दूसरा है शनि प्रदोष व्रत। प्रदोष के दिन शाम को भगवान शिव और उनके पूरे परिवार की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत करने से भक्त के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं दिसंबर माह में कब पड़ेगा प्रदोष व्रत, क्या है पूजा विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त-

दिसंबर में प्रदोष व्रत कब है?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार दिसंबर माह की शुक्ल त्रयोदशी तिथि 12 दिसंबर से शुरू हो रही है, जो 13 दिसंबर की सुबह तक रहेगी. ऐसे में दिसंबर का पहला शुक्ल प्रदोष व्रत 13 दिसंबर को मनाया जाएगा. वहीं दिसंबर महीने की कृष्ण त्रयोदशी तिथि 28 दिसंबर से शुरू हो रही है, जो 29 दिसंबर की सुबह तक रहेगी. हिंदू कैलेंडर के अनुसार दिसंबर महीने का दूसरा कृष्ण प्रदोष व्रत 28 दिसंबर को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार नीचे दिए गए शुभ समय पर पूजा करें: 

1. शुक्र शुक्ल प्रदोष व्रत, त्रयोदशी तिथि प्रारंभ - 12 दिसंबर 2024 रात्रि 10:26 बजे।

शुक्र शुक्ल प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को समाप्त होगा - 13 दिसंबर 2024 को शाम 07:40 बजे

प्रदोष पूजा मुहूर्त- शाम 05:26 से 07:40 बजे तक

समय- 02 घंटे 14 मिनट

दिन का समय - 05:26 से 08:10 तक

2. शनि कृष्ण प्रदोष व्रत - त्रयोदशी तिथि प्रारंभ - 28 दिसंबर 2024 दोपहर 02:26 बजे तक

शनि कृष्ण प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि समाप्त - 29 दिसंबर 2024 प्रातः 03:32 बजे तक

प्रदोष पूजा मुहूर्त- शाम 05:33 से रात 08:17 तक

अवधि - 02 घंटे 44 मिनट

दिन का समय - शाम 05:33 से 08:17 बजे तक

पूजा अनुष्ठान
नहाने के बाद साफ कपड़े पहनें। शिव परिवार सहित सभी देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करें। अगर आप व्रत रखना चाहते हैं तो हाथ में पवित्र जल, फूल और अक्षत लें और व्रत रखने का संकल्प लें। इसके बाद शाम के समय घर के मंदिर में दीपक जलाएं। इसके बाद शिव मंदिर में या घर पर ही भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए और शिव परिवार की विधिवत पूजा करनी चाहिए।

इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा सुनें। इसके बाद पूरी श्रद्धा के साथ घी के दीपक से भगवान शंकर की आरती करनी चाहिए। अंत में ॐ नमः के बिना इस मंत्र का जाप करें और फिर अंत में क्षमा मांग लें।

सुचना: हम यह दावा नहीं करते कि इस लेख में दी गई जानकारी पूरी तरह सत्य और सटीक है। विस्तृत एवं अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों से परामर्श लेना चाहिए।

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