Chanakya Niti : परिवार के मुखिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। परिवार का मुखिया केवल अपनी उम्र के कारण मुखिया नहीं बनता, बल्कि अपने अनुभव, परिवार को एकजुट रखने की क्षमता और सभी का मार्गदर्शन करने की क्षमता के कारण वह परिवार में सम्मान का भागीदार बनता है। यदि घर का मुखिया अच्छे आचरण वाला नहीं है, तो पूरे परिवार का विनाश हो सकता है। महान दार्शनिक और कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) ने भी अपनी नीतियों में एक अच्छे परिवार के मुखिया के गुणों की विस्तार से चर्चा की है। आचार्य के अनुसार कुछ ऐसे लक्षण होते हैं जो अगर घर के मुखिया व्यक्ति में दिख जाएं तो उस घर का विनाश निश्चित है। ऐसे परिवार में कभी कोई सुखी नहीं रह पाता और ऐसे घर में भारी आर्थिक परेशानियां भी आती हैं। तो आइए जानें कि वे कौन से गुण हैं जो आचार्य के अनुसार घर के मुखिया में नहीं होने चाहिए।
जो खुद नहीं करते नियमों का पालन-
घर में बड़े-बुजुर्ग अक्सर एक गलती करते हैं कि वे कई नियम-कायदे बनाते हैं, लेकिन वे नियम-कायदे घर के छोटों तक ही सीमित रहते हैं। वह स्वयं कभी भी ऐसे नियमों का पालन नहीं करते। बच्चे अक्सर बड़ों को देखकर सीखते हैं। अगर आप गलत व्यवहार करते हैं तो इसका असर घर के छोटे बच्चों पर भी पड़ता है। आचार्य चाणक्य का मानना है कि घर के मुखिया को सबसे पहले नियमों का पालन स्वयं करना चाहिए ताकि वह दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सके।
अनावश्यक पैसा खर्च करना-
आचार्य चाणक्य के अनुसार घर के मुखिया को धन का सही प्रबंधन करना आना चाहिए। उसे घर की जरूरतों के अनुसार ही धन खर्च करना चाहिए और आने वाले बुरे समय को देखते हुए धन की बचत का भी ध्यान रखना चाहिए। जो घर बिना सोचे-समझे पैसा खर्च करता है, वह घर कभी समृद्ध नहीं होता और हमेशा पैसों की कमी रहती है।
जो परिवार के सदस्यों के बीच भेदभाव करता है-
आचार्य चाणक्य के अनुसार घर के मुखिया को परिवार के सदस्यों में बिल्कुल भी भेदभाव नहीं करना चाहिए। एक नेता के रूप में यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम सभी की बात सुनें और सभी के हित में निष्पक्ष निर्णय लें। वहीं, अगर परिवार के दो सदस्यों के बीच मतभेद है तो मुखिया का कर्तव्य है कि वह दोनों की बात सुने और सही निर्णय ले। किसी का पक्ष लेने से परिवार के सदस्यों के बीच कलह होती है जो अंततः परिवार को नष्ट कर देती है।
खाना बर्बाद करना-
शास्त्रों में भोजन की बर्बादी को महापाप माना गया है। अन्नपूर्णा माता द्वारा दिए गए वरदान के रूप में भोजन करना चाहिए। खासकर अगर घर का मुखिया अनाज की बर्बादी करता है तो ऐसे घर को हमेशा आर्थिक तंगी और अन्य संकटों का सामना करना पड़ता है। घर के बड़ों को ऐसा करते देख बच्चों में भी यही आदत विकसित हो जाती है, जो पूरे परिवार के विनाश का कारण बनती है।
परिवार के साथ अच्छे संबंध न होना-
आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) के अनुसार परिवार के मुखिया को परिवार के बाकी लोगों, खासकर अपने भाइयों के साथ अच्छे संबंध रखने चाहिए। जब पूरे परिवार में भाईचारा होता है तो सभी एक-दूसरे की ताकत बन जाते हैं। ऐसे परिवार में अगर किसी एक व्यक्ति पर कोई संकट आता है तो पूरा परिवार उसके पीछे खड़ा हो जाता है। वहीं, जब घर का मुखिया परिवार के सदस्यों के साथ अच्छे संबंध नहीं रखता तो वह कहीं न कहीं अकेला पड़ जाता है। ऐसे परिवारों में रहने वाले बच्चों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
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Sat, Nov 30 , 2024, 11:06 AM