Astrology: गैर-स्थायी लोग अक्सर घर पर बहस करना बंद नहीं करते हैं। एक ही कारण से बार-बार विवाद। इसके पीछे कारण यह है कि ग्रहों की कुंडली में ग्रह मजबूत होते हैं। आशा सिटिथे इस ग्रह की शांति रेखा से संबंधित हैं। ये उपाय करने के बाद घरेलू कलह कम होती है और सुख-संतोष का अनुभव होता है।
हरिद्वार के ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री(Astrologist Pandit Shridhar Shastri) ने बताया कि ज्योतिष में राहु, केतु और शनि को राधा ग्रह माना जाता है। यह ग्रह जन्म कुंडली में पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें स्थान पर स्थित होता है, जब यह ग्रह जन्म कुंडली में होता है तो यह गृह क्लेश, मानसिक तनाव, पीड़ा और कई बीमारियों का कारण बनता है। आशा की अवस्था में धार्मिक उपायों से इन ग्रहों को शांत करना चाहिए। इन ग्रहों से ग्रह शांतिमंत्र को सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
राहु के शुभ फल पाने के लिए उसके बीज मंत्र ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः का 18000 बार जाप करना चाहिए। इससे पहले रविवार और शनिवार को तेल, लकड़ी का तेल, कंबल, काले कपड़े, मोती का दान करना चाहिए। कुत्ते को खाना खिलाने और गरीबों की मदद करने से राहु ग्रह शुभ फल देता है।
ॐ क्रां केतवे नमः केतु ग्रह को अनुकूल करने का 17000वां बीज मंत्र है। शनिवार के दिन गेरुन्ना को काले कपड़े, काले तिल, तिल का तेल, केले, कंबल का दान करना चाहिए। इससे केतु ग्रह शुभ फल देता है।
शनि के शुभ फल पाने के लिए इस बीज मंत्र का 19000 बार जाप करें। शनिवार को किसी एक आंख वाले भिखारी को एक नया कपड़ा, लोकंदा वास्तु, काले तिल, सरसों का तेल और एक कंबल दान करना चाहिए। पक्षियों को भोजन दान करने से भी शनि का प्रभाव कम होता है।
पंडित श्रीधर शास्त्री के अनुसार राहु, केतु और शनि ग्रह के साथ बीज मंत्र का जाप, दान और दशा मंत्र गृह करने से शुभ फल मिलता है। आशा घर में शांति और खुशी पैदा करती है।
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Sat, Nov 23 , 2024, 04:00 PM