Hindu Marriage Rules : हिंदू विवाह समारोह में कई रीति-रिवाज शामिल होते हैं। हिंदू विवाह समारोहों (Hindu Marriage Ceremonies) में मंगलाष्टकम, सप्तपदी, कन्यादान जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। यदि इनमें से एक भी अनुष्ठान नहीं किया जाता है, तो विवाह कानूनी रूप (Marriage legal form) से अधूरा माना जाता है। हालांकि, कुछ दिन पहले बड़ौदा की फैमिली कोर्ट (Family Court) ने इस संबंध में एक बेहद अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट के मुताबिक, विवाह समारोह में सप्तपदी संस्कार न भी किया जाए तो भी विवाह वैध है।
ऑस्ट्रेलिया में वर्तमान में रह रहे एक जोड़े को एक अदालत ने हिंदू विवाह की वैधता का प्रमाण पत्र दिया है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार (Australian government) ने जोड़े की शादी की वैधता पर सवाल उठाया था और उन्हें वापस भारत भेजने की धमकी दी थी। इसके बाद दंपत्ति ने बड़ौदा की अदालत से मदद मांगी। इस बारे में 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' ने खबर छापी है।
इस मामले में मिली जानकारी के मुताबिक इस जोड़े ने 10 फरवरी 2023 को कुछ रिश्तेदारों की मौजूदगी में शादी कर ली। यह पारंपरिक विवाह समारोह बड़ौदा में दूल्हे के निवास पर आयोजित किया गया था। इसके बाद ये कपल ऑस्ट्रेलिया चला गया। पति ऑस्ट्रेलिया का स्थायी निवासी है जबकि पत्नी आश्रित के रूप में रहती है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार के गृह मामलों के विभाग ने उनकी शादी के 'सप्तपदी' समारोह के फोटोग्राफिक साक्ष्य की कमी के कारण उनकी शादी की वैधता पर संदेह जताया।
जोड़े को बताया गया कि विवाह के मुख्य समारोह का प्रमाण न होने के कारण उनकी शादी हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अमान्य मानी जाएगी। साथ ही उनका विवाह पंजीकरण स्वीकार नहीं किया जाएगा और उन्हें भारत निर्वासित कर दिया जाएगा।
इसके बाद जोड़े ने बड़ौदा की फैमिली कोर्ट से मदद मांगी। युगल की ओर से दो वकील जीत भट्ट और चेतन पंड्या पेश हुए। जोड़े ने मांग की थी कि अदालत एक घोषणा जारी करे कि हिंदू विवाह समारोह 'सप्तपदी' समारोह के बिना भी वैध है। क्योंकि, इस जोड़े ने शादी समारोह में सिन्दूर दान, जयमाला और मंगलसूत्र पहनने की रस्में निभाईं और परिवार के सदस्यों का आशीर्वाद भी लिया।
उन्होंने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5 में वर्णित सभी पांच प्रतिबंधात्मक शर्तों का अनुपालन किया था। जोड़े ने अपने दावे के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट के पहले के कई फैसलों का हवाला दिया कि 'सप्तपदी' समारोह की अनुपस्थिति के बावजूद उनकी शादी वैध है।
फैमिली कोर्ट ने सभी पहलुओं पर विचार किया और जोड़े की शादी को वैध करार दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ताओं, जो गुजराती हिंदू ब्राह्मण हैं, का विवाह समारोह पारंपरिक संस्कारों और अनुष्ठानों के अनुसार किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने अपनी शादी की तस्वीरें, मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्य जोड़कर साबित किया है कि शादी वास्तव में हुई थी। उन्होंने यह भी साबित किया कि 'सप्तपदी' की अनुपस्थिति मात्र से कोई विवाह अमान्य या अमान्य नहीं हो जाता।
Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.
Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265
info@hamaramahanagar.net
© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups
Thu, Oct 31 , 2024, 10:58 PM