Diwali Pujan : शुभ दिवाली योग और चौघड़िया, जानिए गणेश-लक्ष्मी पूजन का सर्वोत्तम समय

Thu, Oct 24 , 2024, 01:51 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

दिवाली लक्ष्मी-गणेश पूजन 2024: परंपरा के अनुसार इस साल भी दिवाली का त्योहार दीपों की रोशनी के साथ हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. दिवाली या दीपावली हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है। दिवाली के त्योहार को लेकर हर कोई उत्साहित है।
28 अक्टूबर सोमवार को गोवत्स द्वादशी यानी वसुबारस, 29 अक्टूबर को धनतेरस/धनत्रयोदशी, 30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली), 31 अक्टूबर को दिवाली, 01 नवंबर को लक्ष्मी पूजन, 02 नवंबर को बलिप्रतिपदा दिवाली पड़वा और 3 नवंबर को भौबीज।

दिवाली का शुभ समय 31 अक्टूबर गुरुवार को चित्रा नक्षत्र में है, जिसमें गणेश और लक्ष्मी की पूजा अत्यधिक शुभ मानी जाती है। क्योंकि बुध और चंद्रमा भी तुला राशि में युति कर रहे हैं। बुध का संबंध भगवान श्री गणेश से है और चंद्रमा का संबंध मां लक्ष्मी से है, इसलिए इस समय दिवाली का त्योहार बहुत शुभ माना जाता है। शास्त्रानुसार प्रदोष काल एवं महानिशीथ काल दिवाली का त्योहार व्यापिनी अमावस्या को मनाया जाता है, जिसमें प्रदोष काल का महत्व गृहस्थ एवं व्यापारियों के लिए होता है तथा महानिशीथ काल का महत्व आगम शास्त्र (तांत्रिक) विधि के अनुसार पूजा के लिए उपयुक्त होता है।
दिवाली आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को मनाई जाती है। इस वर्ष संवत 2081 के अनुसार अमावस्या 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 3:53 बजे प्रारंभ होगी और 1 नवंबर 2024 को शाम 6:16 बजे समाप्त होगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रदोष काल और महानिशीथ काल दिवाली का मुख्य काल होता है।

31 अक्टूबर, गुरुवार को प्रदोष काल शाम 5 बजकर 18 मिनट से शाम 7 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। इसमें स्थिर वृषभ लग्न राशि की उपस्थिति शाम 06.07 से 08.03 बजे तक रहेगी. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस 1 घंटे 45 मिनट की अवधि में अमावस्या, प्रदोष काल, वृषभ लग्न और अमृत चौघड़िया का पूर्ण संयोग रहेगा। फिर महानिशीथ कल रात 11 बजकर 15 मिनट से 12 बजकर 6 मिनट तक रहेगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह 31 अक्टूबर अमावस्या की रात तक रहेगा। शुक्रवार 1 नवंबर को अमावस्या सूर्योदय से शाम 6:16 बजे तक रहेगी। उसके बाद कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा प्रारंभ हो जाएगी। दिवाली एक रात का त्योहार है और इसकी मुख्य पूजा अमावस्या के दौरान रात में की जाती है। शास्त्रों के अनुसार दिवाली का त्योहार उस दिन मनाना चाहिए जब अमावस्या प्रदोष काल और महानिशीथ काल से युक्त हो। लेकिन हमारी परंपरा के अनुसार 1 नवंबर को उदया तिथि के अनुसार लक्ष्मी-पूजन किया जा सकता है।

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