Narak Chaturdashi Shubh Muhurat: नरक चतुर्दशी दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष (Krishna Paksha of Ashwin month) की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इसे छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन इस साल दिवाली की तारीख को लेकर लोगों में काफी कंफ्यूजन है, जिसके चलते नरक चतुर्दशी कब मनाई जाएगी, इसे लेकर भी कंफ्यूजन है। जानिए कब है नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली(Chhoti Diwali)?
नरक चतुर्दशी कब है-
चतुर्दशी तिथि 30 अक्टूबर को दोपहर 1:15 बजे शुरू होगी और अगले दिन 31 अक्टूबर को दोपहर 3:52 बजे समाप्त होगी। 31 अक्टूबर 2024 को छोटी दिवाली का त्योहार नरक चतुर्दशी मनाया जाएगा। लोग इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि दिवाली कब मनाई जाएगी या दीवाली कब मनाई जाएगी। आज तक कोई सहमति नहीं बन पाई है। कुछ लोगों का मानना है कि दिवाली का त्योहार 31 अक्टूबर को मनाया जाना चाहिए तो कुछ का कहना है कि दिवाली 1 नवंबर को मनाई जानी चाहिए। दिवाली आश्विन मास की अमावस्या को मनाई जाती है। इससे 29 को धनतेरस, 31 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी, 1 नवंबर को लक्ष्मी पूजन और 2 को दिवाली पड़वा मनाना उचित रहेगा।
चतुर्दशी तिथि पर शुभ प्रीति योग (Auspicious Preeti Yoga) बन रहा है। इसके साथ ही शिववास योग (Shivavas Yoga) का दुर्लभ संयोग भी बन रहा है। इस योग में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। साथ ही यम की पूजा करने से अभय का वरदान मिलता है।
नरक चतुर्दशी पर क्या किया जाता है-
नरक चतुर्दशी के दिन, लोग राक्षस नरकासुर पर भगवान कृष्ण की जीत का जश्न मनाते हैं। वे घरों को साफ़ करते हैं और उन्हें फूलों या दीयों से सजाते हैं। इस दिन बुराई के अंधेरे को दूर करने और सकारात्मकता का स्वागत करने के लिए दीपक जलाए जाते हैं।
नरक चतुर्दशी का महत्व-
सनातन ग्रंथों में उल्लेख है कि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसके लिए हर साल दिवाली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। दूसरे दिन दिवाली मनाई जाती है। इस दिन सुबह ब्रह्मबेला में गंगाजल और अपामार्ग मिश्रित जल से स्नान करने से साधक को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। छोटी दिवाली की शाम को घर के बाहर चार दिशाओं में दीपक जलाने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था। इसलिए इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है।
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Thu, Oct 24 , 2024, 02:00 AM