श्रीमद्भागवत गीता (Shrimad Bhagvat Geeta) में भगवान कृष्ण (lord krishna) की अनमोल शिक्षाओं का संग्रह है। भारतीय परंपरा में गीता को उपनिषदों और धर्मसूत्रों का स्थान प्राप्त है। आज यह केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि देश-विदेश में भी गीता पाठ करने वालों की संख्या बढ़ी है। जब महाभारत का विनाशकारी युद्ध होने वाला था और अर्जुन युद्ध करने से इंकार कर रहे थे। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता श्लोक के माध्यम से समझाया।
विश्व के बड़े-बड़े विद्वान गीता श्लोकों को पढ़ते और उनका पालन करते हैं। गीता के श्लोक आपकी सभी समस्याओं को पल भर में हल करने की क्षमता रखते हैं। ऐसे में श्रीमद्भगवत गीता के कुछ श्लोक आपको जीवन की कठिन से कठिन परिस्थिति से बाहर निकलने में मदद कर सकते हैं।
जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। कभी-कभी व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों से निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आता और ऐसे में मन उदास हो जाता है। ऐसे में लोगों का मन परेशान हो जाता है और कई बार तनाव या डिप्रेशन जैसी समस्या भी हो जाती है। ऐसे समय में अगर आप भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षाओं को याद रखें तो आप तनाव से दूर रह सकते हैं।
गीता के ये उपदेश आपको तनाव मुक्त रखते हैं
जीवन में तनाव मुक्त रहने के लिए सबसे पहले आपको श्रीकृष्ण की ये बात समझनी चाहिए कि भविष्य की चिंता करना व्यर्थ है और वर्तमान में जीना ही सर्वोत्तम है। श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि बीते हुए कल और आने वाले कल के बारे में सोचने से कुछ हासिल नहीं होता। इससे आपका मन ही परेशान होता है. वर्तमान समय में अच्छे कार्यों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। इससे आपका भविष्य अपने आप बेहतर हो जाएगा।
दरअसल, हमारा मन ही हमारे दुखों का कारण है। श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं कि जिस व्यक्ति ने अपने मन पर नियंत्रण कर लिया है वह अनावश्यक चिंताओं और इच्छाओं से मुक्त हो जाता है। ऐसा व्यक्ति आसानी से अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर उसे हासिल कर सकता है।
कोई भी व्यक्ति पूर्णतः पूर्ण नहीं होता. हर कोई कभी न कभी गलतियाँ करता है। ऐसे में हमें अपनी गलतियों और हार से सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए। निराश और दुखी न हों. इससे किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता, यह सिर्फ आपको चिंता में डाल देता है।
आपको अपनी तुलना किसी और से नहीं करनी चाहिए. श्री कृष्ण कहते हैं कि जो व्यक्ति अपनी तुलना दूसरों से करता है वह कभी खुश नहीं रहता। आप जैसे हैं वैसे ही आपको खुद को स्वीकार करना चाहिए।
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि मनुष्य को भगवान में लीन रहना चाहिए। पूरी दुनिया में ईश्वर के अलावा मनुष्य का कोई साथी नहीं है। मनुष्य को सदैव यह मानकर अपना कार्य करना चाहिए कि वह भी किसी का नहीं है।
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Fri, Oct 18 , 2024, 10:58 AM