Geeta Updesh: 'ये' 2 चीजें इंसान को इंसान से अलग करती हैं! गीता में भगवान कृष्ण ने एक अहम संदेश दिया है

Wed, Oct 09 , 2024, 09:05 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Shrimad Bhagwat Gita: श्रीमद्भगवद्गीता में कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, जो संस्कृत भाषा (Sanskrit language) में लिखे गए हैं। यह हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें भगवान कृष्ण और अर्जुन (Lord Krishna and Arjuna) के बीच संवाद का समृद्ध वर्णन है। इसमें कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग के बारे में विस्तृत जानकारी शामिल है। श्रीमद्भगवद्गीता (Shrimad Bhagwat Gita) की शिक्षाओं का पालन करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाभारत युद्ध में, अर्जुन अपने रिश्तेदारों और गुरुओं के खिलाफ लड़ने से पहले एक नैतिक दुविधा में है। अपने प्रियजनों को युद्ध के लिए तैयार देखकर अर्जुन अत्यंत दुखी और व्याकुल हो गए। उन्होंने अपने मित्र और सारथी श्रीकृष्ण से इस विषय पर चर्चा की। इस पर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया।

श्री कृष्ण ने अर्जुन को समझाया कि एक क्षत्रिय के रूप में उनका कर्तव्य राज्य को सर्वश्रेष्ठ राजा देना और अन्याय को रोकना है। कृष्ण ने अर्जुन को यह भी सिखाया कि काम करना मनुष्य का कर्तव्य है, लेकिन उसके परिणामों के बारे में चिंता करना सही नहीं है। इस उपदेश के बाद अर्जुन ने संदेह और संघर्ष छोड़कर युद्ध करने का निश्चय किया। महाभारत का यह युद्ध 18 दिनों तक चला और अंततः पांडवों ने कौरवों पर विजय प्राप्त की। कृष्ण के ज्ञान से अर्जुन को एहसास हुआ कि धर्म और न्याय के लिए लड़ना जरूरी है। लेकिन इन सबके बीच श्रीकृष्ण ने वो कारण भी बताए हैं कि क्यों इंसान, इंसान से दूर चला जाता है।

गीता के उपदेश के अनुसार पहली चीज जो इंसान को इंसान से अलग करती है वह है जीभ और दूसरी चीज है पैसा। ऐसी कई चीजें हैं जो इंसान को उसकी इच्छाओं और लालच से दूर रखती हैं। शब्दों और पैसों का प्रभाव व्यक्ति के मानस और रिश्तों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।

वाणी पर नियंत्रण रखना आवश्यक है
श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि सत्य और अहिंसा का पालन बहुत जरूरी है। गलत वाणी और कठोर शब्द रिश्ते को खराब कर सकते हैं और व्यक्ति में अहंकार, ईर्ष्या और नफरत को बढ़ा सकते हैं। वाणी पर नियंत्रण रखना, बिना सोचे-समझे न बोलना, हमेशा मीठे और हितकारी शब्दों का प्रयोग करना गीता में महत्वपूर्ण माना गया है। हम अपनी बातचीत के माध्यम से दूसरों के साथ अपने रिश्ते बना या बिगाड़ सकते हैं।

पैसे का सही जगह उपयोग करें
गीता में, कृष्ण ने धन और भौतिक वस्तुओं के प्रति अत्यधिक लगाव और लालच को बुराइयों के रूप में वर्णित किया है। मोह मनुष्य को उसके कर्तव्यों से विमुख कर नैतिक पतन की ओर ले जाता है। श्रीकृष्ण ने सिखाया कि धन का उपयोग धर्म और कर्म के अनुसार उचित ढंग से करना चाहिए। धन का उपयोग समाज के प्रति अपने कर्तव्य को पूरा करने के लिए किया जाना चाहिए। अपनी इच्छाओं और चाहतों को पूरा करने के लिए नहीं।

Latest Updates

Latest Movie News

Get In Touch

Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.

Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265

info@hamaramahanagar.net

Follow Us

© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups