Second day of Navratri: माँ ब्रह्मचारिणी साधना से जागृत होती कुंडलिनी शक्ति, शीघ्र विवाह के लिए जाने उपाय!

Fri, Oct 04 , 2024, 06:44 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Maa Brahmacharini: नवरात्र के दूसरे दिन मां के भक्तों द्वारा मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) का विधिवत पूजा अर्चन किया गया। सुबह से ही देवी मंदिरों में भक्तों का ताता लगा रहा शहर स्थित ऐतिहासिक मां काली मंदिर (Historical Maa Kali Temple) पर भक्तों ने पूजा अर्चन किया। नवरात्र के महत्व पर प्रकाश डालते हुए ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री (Astrologer Pandit Atul Shastri) ने बताया की नवरात्रि में शिव-पार्वती का एक चित्र अपने पूजास्थल में रखें और उनकी पूजा-अर्चना करने के पश्चात मंत्र का 3, 5 या 10 माला जाप करें। जाप के बाद भगवान शिव से विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करें।

मंत्र- ऊं शं शंकराय सकल-जन्मार्जित- पाप-विध्वंसनाय,
पुरुषार्थ-चतुष्टय- लाभाय च पतिं मे देहि कुरु कुरु स्वाहा।।

माँ ब्रह्मचारिणी
ब्रह्मा का अर्थ है “तप” तथा “ब्रह्मा” शब्द उनके लिए लिया जाता है। जो कठोर भक्ति करते है। अपने दिमाग और दिल को संतुलन में रखकर भगवान को खुश करते है। इसी कारण वश माँ दुर्गा के दुसरे स्वरूप का नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा (Maa Durga was named Brahmacharini)। ब्रह्म का अर्थ तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। माँ दुर्गा का यह शांति पूर्ण स्वरूप है। शास्त्रों में वर्णित माँ ब्रह्मचारिणी पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यन्त भव्य है। मां के दाहिने हाथ में जप की माला है और बायें हाथ में कमण्डल है। वह पूर्ण उत्साह से भरी हुई हैं।

नवरात्र पर्व के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। भारतीय संस्‍कृति की हिन्‍दु मान्‍यता के अनुसार मां दुर्गा का ब्रह्मचारिणी स्वरूप हिमालय और मैना की पुत्री हैं, जिन्‍होंने भगवान नारद के कहने पर भगवान शंकर की ऐसी कठिन तपस्‍या की, जिससे खुश होकर ब्रम्‍हाजी ने इन्‍हे मनोवांछित वरदान दिया जिसके प्रभाव से यह भगवान शिव की पत्‍नी बनीं। विस्तृत रूप से उनकी यह कहानी इस प्रकार है। पार्वती हिमवान की बेटी थी। एक दिन वह अपने दोस्तों के साथ खेल में व्यस्त थी नारद मुनि उनके पास आये और भविष्यवाणी की “तुम्हरी शादी एक नग्न भयानक भोलेनाथ से होगी और उन्होंने उसे सती की कहानी भी सुनाई।
 
नारद मुनि (Narad Muni) ने उनसे यह भी कहा उन्हें भोलेनाथ के लिए कठोर तपस्या भी करनी पढ़ेगी। इसीलिए माँ पार्वती (Maa Parvati) ने अपनी माँ मेनका से कहा की वह शम्भू (Bholenath) से ही शादी करेगी नहीं तोह वह अविवाहित रहेगी। यह बोलकर वह जंगल में तपस्या निरीक्षण करने के लिए चली गयी। इसीलिए उन्हें तपचारिणी ब्रह्मचारिणी कहा जाता है। मां ब्रह्मचारिणी मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाया जाता है। इन चीजों का दान करने से लंबी आयु का सौभाग्य मिलता है। मां ब्रम्हचारिणी को पीला रंग अत्यंत प्रिय है। अत: नवरात्र‍ि के दूसरे दिन पीले रंग के वस्त्रादि का प्रयोग कर माँ की आराधना करना शुभ होता है। मान्‍यता है कि माता ब्रह्मचारिणी की पूजा और साधना करने से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है। यदि आप भी अपनी कुंडलिनी शक्ति जाग्रत करना चाहते हैं। और उन्हें प्रसन्न करना चाहते हैं। तो इस नवरात्रि में निम्नलिखित मन्त्रों का जाप करें।

या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तसयै, नमस्तसयै,नमस्तसयै नमो नम:
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

 

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