Ghatasthapana 2024: पहली बार कर रहे हैं घटस्थापना? तो जानिए मुहूर्त और पूजा विधि, माता होंगी प्रसन्न 

Wed, Oct 02 , 2024, 02:10 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Sharadiya Navratri Ghatasthapana 2024: हिंदू धर्म में नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा (Goddess Durga) के 9 रूपों की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है। हर साल 4 नवरात्र होते हैं। जिसमें दो गुप्त नवरात्र (Gupt Navratri), चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri) और शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri) शामिल हैं। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि प्रतिपदा तिथि 2 अक्टूबर 2024 को रात 11:13 बजे शुरू होगी और अगले दिन 3 अक्टूबर को दोपहर 1:19 बजे समाप्त होगी। इसलिए उदया तिथि के अनुसार 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू होगी।  इस वर्ष मां दुर्गा का आगमन पालकी में होगा और यह प्रस्थान अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जिस वर्ष देवी मां पालकी में सवार होकर आती हैं, उस वर्ष देश में रोग, शोक और प्राकृतिक आपदाएं आती हैं। जानिए कलश स्थापना का समय, सामग्री और पूजा विधि।

घटस्थापना का शुभ समय:
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना (Kalash Sthapana) की जाती है। इस वर्ष घटस्थापना का शुभ समय 3 अक्टूबर को सुबह 6:07 बजे से 9:30 बजे तक है। इसके बाद सुबह 11:37 बजे से 12:23 बजे तक अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना की जा सकती है। 

कलश स्थापना सामग्री:
हिंदू धर्म में सभी शुभ कार्यों में कलश स्थापना को महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि में घटस्थापना के लिए घटस्थापना सामग्री।।।

पंच पल्लव (आम का पत्ता, पीपल का पत्ता, वट का पत्ता, गुड़ पत्ता, अम्बरा पत्ता) यदि पंच पल्लव उपलब्ध नहीं है तो आम के पत्ते उपयोगी हैं। इसके अलावा देवी की मूर्ति या फोटो, मिट्टी का दीपक, सिक्का, गेहूं, ज्वार या सप्तध्याय, इसके लिए साफ मिट्टी, मिट्टी का बर्तन, कुंकू, अखंड ज्योत के लिए मिट्टी या पीतल का दीपक, लाल या पीला कपड़ा, गंगा जल, रुई की बाती, शहद, कपूर, इत्र, घी, हल्दी, गुड़, धूप, प्रसाद, पान के पत्ते, नारियल और फूल।

कलश स्थापना विधि:

  • नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करते समय सबसे पहले सभी देवी-देवताओं का आह्वान करना चाहिए।
  • एक बड़े मिट्टी के बर्तन में मिट्टी डालें और उसमें गेहूं या ज्वार के बीज डालें। इस पर थोड़ा पानी छिड़कें। 
  •  अब गंगाजल से भरे कलश पर रक्षासूत यानी लाल धागा बांधें। जल में सुपारी, दूर्वा, अक्षत और सिक्का भी डालें।
  •  अब कलश पर 5 आम के पत्ते रखें।  
  • एक नारियल लें और उसे लाल कपड़े में लपेट लें। नारियल पर लाल धागा बांधें।
  • इसके बाद कलश और मिट्टी के बर्तन में अनाज स्थापित करने के लिए सबसे पहले चौरंग लें या जमीन को पूरी तरह से साफ कर लें।
  • इसके बाद अनाज का कटोरा रखें। फिर कलश स्थापित करें और कलश पर नारियल रखें।
  • इसके बाद सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित करके विधिपूर्वक नवरात्रि पूजा शुरू करें।
  • घट स्थापना के नौ दिनों तक इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि देवघर में सुबह-शाम आवश्यकतानुसार अखंड ज्योत जलती रहे और अनाज के मिट्टी के बर्तन में पानी डालते रहें।

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