Ghatasthapana : नवरात्रि में घटस्थापना के दौरान क्यों बोया जाता है गेहूं, जानें पूजा विधि, महत्व और मान्यता

Tue, Oct 01 , 2024, 01:07 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Sharadiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि पर्व (Sharadiya Navratri festival) 3 अक्टूबर यानी अगले गुरुवार से शुरू हो रहा है। आश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा (Shukla Pratipada of Ashwin month) को शारदीय नवरात्रि उत्सव प्रारंभ होता है। इस साल नवरात्रि 3 अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक रहेगी। साथ ही 12 अक्टूबर को दशहरा पर्व मनाया जाएगा। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा (Goddess Durga) की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों को पूरे देश में बड़े उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है। पहले दिन घटस्थापना (Ghatasthapana) की जाती है। इस समय मकान स्थापित किये जाते हैं। इसमें गेहूँ या सप्तध्याय बोया जाता है।

हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि के नौ दिनों (nine days of Navratri) में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना (Kalash Sthapana) और गेहूं या जौ बोने का विधान है। मान्यता है कि कलश स्थापना पर गेहूं बोने से घर में सुख-समृद्धि आती है। जानिए नवरात्रि में गेहूं, जौ या सप्तधान्य क्यों बोया जाता है और बोने की विधि-

नवरात्रि में गेहूं, जौ या सप्तधान्य क्यों बोया जाता है?
पूजा स्थल पर मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने मिट्टी के बर्तन में गेहूं, जौ या सप्तधान्य बोया जाता है। यह अनाज नौ दिन में हरा हो जाता है और फलियां फूटने लगती है, जो सुख-समृद्धि का संकेत देती है। हिंदू मान्यता के अनुसार, नवरात्रि के दौरान गेहूं बोया जाता है क्योंकि शास्त्रों में सृष्टि की शुरुआत के बाद गेहूं को पहली फसल माना गया है। जौ या गेहूं भोजन है और भोजन हिंदू धर्म में भगवान ब्रह्मा द्वारा पूजनीय है। यही कारण है कि नवरात्रि में इसकी पूजा की जाती है। इसलिए देवी-देवताओं की पूजा में गेहूं और जौ बोना शुभ माना जाता है।

गेहूँ, जौ या साप्ता का दाना बोने की विधि-

  • नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करते समय मिट्टी का कलश या छोटा मटका लें। इसे साफ पानी से अच्छी तरह धो लें। 
  • एक मिट्टी के बर्तन में केसर का स्वस्तिक बनाएं और उसमें मिट्टी और सूखा गाय का गोबर डालें।
  • मिट्टी को नम करने के लिए पानी का छिड़काव करें।
  • अब गेहूं, जौ या सप्तधान्य के दानों को एक कटोरे या बर्तन में रख लें। 
  • अब इन दानों को हाथ से उसमें फैला लें। 

गेहूँ, जौ या साप्ता बोने के शुभ तथा अशुभ लक्षण
नवरात्रि के दौरान बोए गए सप्तधान्य, जौ या गेहूं की वृद्धि जितनी अच्छी होगी, देवी की कृपा आप पर उतनी ही अधिक होगी। कहा जाता है कि इससे यह संकेत मिलता है कि व्यक्ति के घर में सुख-समृद्धि आएगी। मान्यता के अनुसार यदि 2 से 3 दिन में अंकुर निकल आएं तो यह बहुत शुभ होता है और यदि जौ नवरात्रि के अंत तक जीवित न रहें तो यह अशुभ माना जाता है। ऐसा भी हो सकता है कि आपने जौ या गेहूं ठीक से न बोया हो। इस कारण यह ध्यान रखें कि सप्त, जौ या गेहूं बोते समय उसे ठीक से बोना चाहिए।

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