Health Care Tips : साल के 31वें वर्ष में बच्चों की बीमारी से जूझ रही हैं आलिया भट्ट! जानिए क्या है ADD-ADHD केस?

Wed, Sep 25 , 2024, 05:15 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

DD-ADHD case: बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट (Alia Bhatt) ने हाल ही में एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि उन्हें एडीएचडी या अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर (ADHD) है। इसके बाद से ही इस बीमारी को लेकर जोरदार चर्चा हो रही है। आइए विस्तार से जानते हैं कि यह मानसिक बीमारी (mental illness) क्या है, इसके लक्षण (symptoms) क्या हैं और इसका इलाज कैसे किया जाता है। 

बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट ने अमेरिकी मैगजीन 'एल्यूर' को इंटरव्यू दिया। इस बार उन्होंने अपने बचपन से लेकर करियर तक कई विषयों पर टिप्पणी की। इस बार जब मेकअप और खूबसूरती (makeup and beauty) का विषय आया तो आलिया ने कहा कि, मुझे लगता है कि मेकअप जितनी जल्दी हो सके कर लेना चाहिए। मैं इसे ज्यादा समय नहीं दे सकती। मुझे अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर (attention deficit disorder) है। मुझे मेकअप पर ज्यादा समय खर्च करना पसंद नहीं है। मेकअप की जितनी जरूरत होती है, मैं उसे जल्दी-जल्दी करना पसंद करती हूं। मेरी शादी के दिन मेरे मेकअप आर्टिस्ट पुनित ने मुझसे कहा कि मुझे मेकअप के लिए दो घंटे का समय देना होगा। लेकिन मैंने उससे कहा कि यह संभव नहीं है। खासतौर पर शादी के दिन मेकअप के लिए दो घंटे नहीं दे सकतीं। क्योंकि मैं इस पल का आनंद लेना चाहती हूं।' इस साक्षात्कार के बाद, एडीएचडी एक मानसिक बीमारी है जिस पर गर्मागर्म बहस चल रही है।

एडीएचडी का मतलब अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम हो जाती है। इसमें किसी एक चीज़ पर ध्यान केंद्रित करने और उस चीज़ को लगातार बनाए रखने में कठिनाई होती है। यह एक जन्मजात समस्या (congenital problem) है और यह कभी भी होने वाली बीमारी नहीं है। इसलिए विशेषज्ञों का कहना है कि इसे बुरे व्यवहार से नहीं जोड़ा जा सकता। यह समस्या आमतौर पर बच्चों में देखी जाती है। लेकिन कुछ वयस्कों को भी इसका सामना करना पड़ता है।

क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट पूजा शिवम जेटली ने कहा, 'जब हम किसी चीज पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो वह चीज हमें याद रहती है। ध्यान अभाव विकार वाले व्यक्तियों में यह नहीं देखा जाता है। क्योंकि उनमें धारण करने की क्षमता नहीं है। कुछ चीजें उनके पास हैं लेकिन कुछ चीजें उनके पास नहीं हैं।'

इस विकार वाले लोगों का न्यूरोलॉजिकल संबंध थोड़ा अलग होता है। 1987 में, ADHD शब्द में H शब्द जोड़ा गया। H का मतलब अति सक्रिय है। जेटली ने कहा, 'अब इसे एडीएचडी यानी अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (Attention Deficit Hyperactivity Disorder) भी कहा जाता है।' वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ एडीएचडी के अनुसार, यह विकार 2.5 प्रतिशत वयस्कों को प्रभावित करता है।

इस रोग के तीन मुख्य प्रकार हैं। अज्ञान पहला प्रकार है। इनमें भूलने की बीमारी, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और खुद को व्यवस्थित रखने में कठिनाई शामिल है। अतिसक्रिय होना एक अन्य प्रकार है। इस विकार से पीड़ित लोगों को स्थिर खड़े रहने में कठिनाई होती है। वे संचार करते समय अक्सर लोगों को बाधित करते हैं और खतरों के प्रति सचेत नहीं हो पाते हैं। इस प्रकार के तीसरे जोड़ में दोनों प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं। एडीएचडी के कुछ प्रमुख लक्षण हैं। इनमें ध्यान केंद्रित करने में समस्या, भूलने की बीमारी, वस्तुओं को बार-बार खोजना, विस्तृत निर्देशों का पालन करने में कठिनाई, ध्यान न देना, संचार करते समय लोगों को बार-बार रोकना और आवेग शामिल हैं।

डॉ. जेटली ने कहा, 'समय की समझ की कमी एक ऐसी समस्या है जो इस विकार का सामना करने वाले कुछ लोगों में देखी जाती है। यह समस्या बच्चों में अधिक पाई जाती है। ऐसे बच्चे यदि आधा घंटा भी खेल लें तो उन्हें पता ही नहीं चलता कि कितना समय बीत गया। ऐसे बच्चों के माता-पिता हमारा बच्चा चंचल होता है। वह ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता। माता-पिता का कहना है कि वह लापरवाह है। अभी तक देश में इस पर ज्यादा चर्चा नहीं हुई है। इसलिए अगर बच्चा ऐसी स्थिति का सामना कर रहा हो तो भी लोगों को इसका एहसास नहीं होता है।'

'अगर कोई व्यक्ति बचपन से ही इस स्थिति का सामना कर रहा है, तो उसे मनोवैज्ञानिक की मदद लेनी चाहिए। इसके लिए रेटिंग स्केल से जुड़ी एक परीक्षा आयोजित की जाती है। हालांकि इसके लिए दवा मौजूद है, लेकिन ऐसी स्थिति में खुद को स्वीकार करना जरूरी है। ऐसे व्यक्तियों को कार्यस्थल पर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यदि उन्हें कोई समस्या आ रही है तो उन्हें मनोचिकित्सक की मदद से योजना बनानी चाहिए। इससे उस व्यक्ति के सामाजिक और निजी जीवन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। 

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