Sarva Pitru Amavasya : सर्व पितृ अमावस्या पर करें सिर्फ ये 4 काम, पितृ होंगे प्रसन्न!

Mon, Sep 23 , 2024, 11:24 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Sarva Pitru Amavasya 2024: सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) को श्राद्ध पक्ष का आखिरी दिन माना जाता है। इस दिन जिन पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो उनका श्राद्ध किया जा सकता है। इसके अलावा अज्ञात और असामयिक मृतकों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन श्राद्ध और तर्पण अनुष्ठान किया जाता है (Shradh and Tarpan)।

पंचांग के अनुसार इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या 2 अक्टूबर बुधवार को है (Sarva Pitru Amavasya is on Wednesday, October 2.0। पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि 1 अक्टूबर 2024 को रात 9:38 बजे शुरू होगी और 3 अक्टूबर को दोपहर 12:19 बजे समाप्त होगी।

सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध अनुष्ठान
पितरों को तर्पण देते समय व्यक्ति का मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। इसके बाद तीन मुट्ठियां लगाकर अंगूठे और पहली उंगली की मदद से जल अर्पित करें। तर्पण में कुश, अक्षत, जौ और काले तिल का प्रयोग करना चाहिए। इसके बाद पितरों के प्रार्थना मंत्र का जाप करना चाहिए। ऋषि को जौ और कुश अर्पित करें। इसके बाद उत्तर दिशा की ओर मुख करके जौ और कुश का तर्पण करना चाहिए। अंत में दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके पितरों को काले तिल और कुश अर्पित करें। पूजा में हुई भूल के लिए क्षमा प्रार्थना करें। तर्पण के बाद जरूरतमंदों को भोजन कराना चाहिए।

इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है। इसलिए इस मोक्ष को अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) के दिन पितरों का आशीर्वाद लेने के लिए कुछ विशेष कार्य अत्यंत शुभ और फलदायी माने जाते हैं।

सर्वपितृ अमावस्या पर क्या करें?
तर्पण:

सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों को काले तिल, कुश, जौ और सफेद फूल अर्पित करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं।

पिंड दान:

सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण और पिंड दान करें। इसके लिए चावल, गाय का दूध, घी, गुड़ और शहद को मिलाकर पितरों को तर्पण करने के बाद जल में डाल दें।

गीता का पाठ करें:

श्राद्ध पक्ष के दौरान श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान श्रीमद्भागवत कथा पढ़ने या सुनने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन गीता का पाठ करें।

पंचबली कर्म:

श्राद्ध में ब्राह्मण भोजन और पंचबलि कर्म का बहुत महत्व है। पंचबली में पांच अलग-अलग लोगों के लिए भोजन रखा जाता है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन पंचबलि कर्म करना चाहिए यानी कौआ, चींटी, गाय, कुत्ता और भगवान को भोजन कराना चाहिए।

 

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