Aja Ekadashi 2024 : हर माह में दो एकादशियां होती हैं। जन्माष्टमी (Janmashtami) के बाद आने वाली एकादशी को अजा एकादशी (Aja Ekadashi) कहा जाता है। अजा एकादशी श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। एकादशी का त्यौहार (festival of Ekadashi) भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित है। एक वर्ष में 24 एकादशियाँ होती हैं। इस वर्ष श्रावण मास में अजा एकादशी 29 अगस्त को मनाई जाएगी। उदया तिथि के कारण 29 अगस्त को एकादशी मनाई जाएगी और इसका पारण अगले दिन किया जाएगा।
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। पूर्व दिशा में चौराहे पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। घी का दीपक और धूप जलाएं और कलश रखें। इसके बाद भगवान विष्णु को फल, पीले फूल, सुपारी, नारियल आदि चढ़ाकर आरती करनी चाहिए। पूरे दिन व्रत करें और शाम के समय विष्णु प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं और साथ ही अजा एकादशी की व्रत कथा सुनें या पढ़ें। अगली सुबह ब्राह्मणों को भोजन कराकर और किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान देकर व्रत खोल सकते हैं। अगर आप भी व्रत कर रहे हैं तो यह व्रत कथा यहां पढ़ सकते हैं-
अजा एकादशी व्रत की कथा
पुराणों के अनुसार, एकादशी का महत्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। उन्होंने इस व्रत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि जो व्यक्ति अजा एकादशी का व्रत करता है, वह अश्वमेघ यज्ञ करने के समान पुण्य का पात्र होता है। मृत्यु के बाद उसे विष्णुलोक में स्थान मिलता है।
कहानी यह है कि सत्ययुग के दौरान सूर्यवंशी चक्रवर्ती हरिश्चंद्र एक महान सत्य बोलने वाले राजा थे और अपने सत्य कथन के लिए ही प्रसिद्ध थे। एक बार उन्होंने अपना वचन दिया और उस वचन के बदले उन्होंने अपना पूरा राज्य ऋषि विश्वामित्र को दान कर दिया। इतना ही नहीं, उसने न केवल अपनी पत्नी और पुत्र को बल्कि स्वयं को भी चांडालों के दास के रूप में बेच दिया।
इससे उन्हें अनेक कष्ट सहने पड़े, परंतु वे सत्य से विचलित नहीं हुए। फिर एक दिन उसकी मुलाकात ऋषि गौतम से हुई, उसने ऋषि गौतम से इस समस्या का समाधान पूछा, ऋषि ने उसे अजा एकादशी की महिमा बताई और यह व्रत करने को कहा। राजा हरिश्चंद्र ने अपनी सामर्थ्य भर इस व्रत को किया। इस प्रकार उन्होंने न केवल अपना खोया हुआ राज्य पुनः प्राप्त किया बल्कि अपने परिवार के साथ सभी प्रकार के सुखों का आनंद लिया और अंततः भगवान के परम आनंद को प्राप्त कर लिया।
अजा एकादशी व्रत के प्रभाव से उसके सभी पाप नष्ट हो गए। खोया हुआ राज्य और परिवार भी पुनः प्राप्त हो गया। अजा एकादशी का व्रत करने से न केवल सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं बल्कि शरीर, मन और विचारों में पवित्रता भी आती है। अजा एकादशी का व्रत करने से कुछ विशेष मंत्रों का जाप एक साथ करने से आपके जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी।
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Wed, Aug 28 , 2024, 02:07 AM