नंद के आनंद भयो जय कन्‍हैया लाल की! घर पर कैसे करें जन्माष्टमी की पूजा? जानें पूजा मुहूर्त, विधि और मंत्र

Mon, Aug 26 , 2024, 01:54 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Krishna Janmashtami 2024: श्रावण के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि (Ashtami Tithi) की मध्यरात्रि को कंस का विनाश करने के लिए भगवान कृष्ण ने मथुरा में अवतार लिया था। इसलिए इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के त्यौहार (festival of Krishna Janmashtami) के रूप में मनाया जाता है। द्वापर युग में श्रीकृष्ण के जन्म के समय जो संयोग बना था वही इस बार भी बना। इस बार 26 अगस्त की रात को ग्रह, नक्षत्र और अश्मी तिथि एक साथ आ रहे हैं, जो बेहद शुभ संयोग (auspicious coincidence) माना जा रहा है। चूंकि सृष्टि के रचयिता और 16 कलाओं के स्वामी स्वयं आपके घर जन्म लेंगे, इसलिए जन्माष्टमी पूजा के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए और सबसे पहले उनके चरणों में अपना मन अर्पित करना चाहिए। आइए जानते हैं घर पर कैसे करें जन्माष्टमी पूजा।

 कृष्ण के जन्म के समय जो योग था वही योग आज भी है
द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण (Krishna Janmashtami 2024) के जन्म के समय जिस प्रकार लग्न, नक्षत्र और योग का संयोग बना था, उसी प्रकार इस बार भी जन्माष्टमी पड़ रही है। भगवान का जन्म भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, वृषभ राशि, रोहिणी नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग, हर्षण योग एवं जयंती योग में हुआ था। जन्माष्टमी भगवान के जन्म के साथ ही मनाई जाती है। ऐसा तीन से चार साल में एक बार होता है। 26 अगस्त को भगवान श्रीकृष्ण की जन्मतिथि अष्टमी पर रात्रि 12 बजे रोहिणी नक्षत्र पड़ रहा है, जो शुभ है। हालाँकि, ग्रहों की स्थिति भगवान के जन्म के समान नहीं है और न ही दिन। ज्यादातर जगहों पर 26 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। कुछ जगहों पर 27 तारीख को भी व्रत रखा जाएगा। 

जन्माष्टमी पूजा का शुभ समय
दोपहर 12:1 से 12:45 बजे तक पूजा के लिए बहुत शुभ समय है। इसके अलावा योगमाया का जन्म भी इसी तिथि पर हुआ था इसलिए यह दिन साधना के लिए भी बहुत शुभ है। इस समय कई वर्षों के बाद अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र और वृषभ राशि के चंद्रमा पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होगा। उनका जन्म भगवान शंकर के दिन सोमवार को होगा।

घर पर कृष्ण जन्म और पूजा की पूरी प्रक्रिया
ज्योतिषियों ने बताया है कि घर पर कैसे करें कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा। उन्होंने कहा कि सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।  भगवान को प्रणाम करें और प्रतिज्ञा लें। संकल्प के लिए अपने हाथों में जल, फल, फूल और सुगंध लें और फिर शांति के साथ जन्माष्टमी व्रत करें और मंत्र का जाप करना चाहिए। 

  • इसके बाद श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करनी चाहिए।
  • स्नान के बाद पूर्व या उत्तर की ओर या मंदिर की दिशा में मुख करके बैठना चाहिए।
  • बालगोपाल का श्रृंगार करने के बाद उन्हें मंच पर लाल आसन पर बैठाना चाहिए। भगवान को पीले वस्त्र पहनाना उत्तम है।
  • दोपहर के समय देवकीजी को काले तिलों के जल से स्नान कराना चाहिए। फिर खीरे को आधा काट लें और उसमें लड्डू गोपाल को रख दें। 
  • रात्रि 12 बजे शुभ मुहूर्त में उन्हें खीरे से निकालकर दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल और चीनी से बने पंचामृत से स्नान कराना चाहिए।
  • पूजा करते समय देवकी, वासुदेव, नंद, यशोदा, बलदेव और माता लक्ष्मी के नाम का स्मरण करें।
  • भगवान श्रीकृष्ण की यज्ञोपवीत, चंदन, अक्षत, फूल, धूप और दीप से पूजा करें और उन्हें झूले में झुलाएं।
  • 'प्रणामे देव जननि त्वया जातस्तु वामनः, वासुदेवत कृष्ण नमस्तुभ्यं नमो नमः, सुपुत्राघ्यं प्रदत्तं मे गृहणें नमोस्तुते' मंत्र का जाप करते रहें।
  • भगवान को मक्खन, मिश्री, पंजीरी, फल के अलावा सूखे मेवे भी चढ़ाए जाते हैं। 
  • भगवान को भोग लगाने में तुलसी दल का होना जरूरी माना जाता है। साथ ही लौंग, इलायची और पान का पत्ता भी चढ़ाएं।
  • पूजा के साथ-साथ कृष्ण मंत्र का जाप करें या स्तोत्र का पाठ करें।
  • अंत में क्षमा प्रार्थना करें और प्रसाद बांटें तथा भजन कीर्तन करें और उठें, क्योंकि सृष्टि के रचयिता स्वयं आपके यहां जन्म ले चुके हैं।

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