Stambheshwar Mahadev Temple: श्रावण का पवित्र महीना (holy month of Shravan) चल रहा है, कोई भी भगवान शंकर (Lord Shankar) के दर्शन करने का मौका नहीं चूकता। कुछ खास मंदिरों के दर्शन के लिए भक्त उत्सुक रहते हैं। ऐसा ही एक है गुजरात राज्य का महादेव मंदिर, जहां होता है प्राकृतिक जलाभिषेक (natural Jalabhishek)! जानिए इस मंदिर का इतिहास और खास बात। हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता (33 crore gods and goddesses) बताए गए हैं और इनमें सबसे ज्यादा व्रत और पूजा देवों के देव महादेव की की जाती है। इस समय श्रावण मास (Shravan month) चल रहा है और भक्त धूमधाम से भगवान शिव की पूजा-अर्चना (worshiping Lord Shiva) कर रहे हैं। कुछ भक्त भगवान शंकर के दर्शन और किसी विशेष मंदिर में जाने के लिए उत्सुक रहते हैं।
भारत में भगवान शिव को समर्पित कई मंदिर हैं जहां दिलचस्प घटनाएं घटती रहती हैं। ऐसा ही एक मंदिर है गुजरात का श्रीस्तंभेश्वर महादेव मंदिर(Shristambheshwar Mahadev Temple)। इस मंदिर की खास बात यह है कि यह मंदिर दिन में दो बार यानी सुबह और शाम को गायब हो जाता है। इसके पीछे एक प्राकृतिक घटना है। आइए जानते हैं इस मंदिर का रोचक इतिहास और खास बातें।
श्रीस्तंभेश्वर महादेव मंदिर
गुजरात राज्य के बड़ौदा से 85 किमी की दूरी पर स्थित जंबूसर तहसील के कवि-कंबोई गांव में स्थित इस मंदिर को प्रकृति का वरदान प्राप्त है। स्तंभेश्वर नामक यह महादेव मंदिर दिन में दो बार सुबह और शाम को क्षण भर के लिए गायब हो जाता है और कुछ देर बाद उसी स्थान पर प्रकट हो जाता है। श्रीस्तंभेश्वर महादेव मंदिर 150 साल पुराना है।
दरअसल यह मंदिर अरब सागर और खंभात की खाड़ी (Gulf of Khambhat) से घिरा हुआ है। जब ज्वार तेज़ होता है तो यह मंदिर पूरी तरह से समुद्र में डूब जाता है। ऐसा दिन में दो बार होता है। जब पानी का स्तर कम हो जाता है तो यह मंदिर फिर से दिखाई देने लगता है। आस्था के चलते लोगों का मानना है कि समुद्र दिन में दो बार शिवलिंग का अभिषेक करता है। लेकिन, ऐसा समुद्र में ज्वार-भाटा और बहाव के कारण होता है। इस दौरान आप शिवलिंग के दर्शन नहीं कर सकते। क्योंकि समुद्र में बड़ी लहरों के बाद यह शिवलिंग पूरी तरह जलमग्न हो जाता है और कोई भी मंदिर तक नहीं जा पाता है। यह प्रक्रिया प्राचीन काल से चली आ रही है।
कार्तिकेय ने की थी इस मंदिर की स्थापना!
पौराणिक कथा के अनुसार, यहां मौजूद शिवलिंग की स्थापना महादेव के पुत्र भगवान कार्तिकेय (Lord Kartikeya) ने की थी। इस शिवलिंग की स्थापना (establishment of this Shivling) के पीछे का कारण यह है कि भगवान कार्तिकेय ने राक्षस तारकासुर का वध किया था। तारकासुर शिव का भक्त था। इससे भगवान कार्तिकेय को अपराध बोध हुआ। इसलिए भगवान विष्णु ने उन्हें शिवलिंग स्थापित करके क्षमा मांगने की सलाह दी। उसके बाद भगवान कार्तिकेय ने इस शिवलिंग की स्थापना की।
श्रावण के साथ किस दिन करें मंदिर दर्शन
श्रावण माह में इस मंदिर में शिवलिंग के दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर के दर्शन के लिए महाशिवरात्रि को भी एक अच्छा समय माना जाता है। हालाँकि, श्री स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन के लिए सबसे अच्छा समय पूर्णिमा या पूर्णिमा की रात है, क्योंकि इस समय समुद्र में ज्वार अधिक होता है।
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Tue, Aug 20 , 2024, 01:22 AM