Chanakya Niti: 'इन' 3 चीजों के बिना पैसा, खूबसूरती सब हैं बेकार; पढ़िए क्या कहते हैं आचार्य चाणक्य!

Mon, Aug 19 , 2024, 07:40 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Thoughts of Acharya Chanakya: जीवन में सफलता हासिल करने के लिए हमेशा सही रास्ता चुनना चाहिए. सही मार्गदर्शन न केवल व्यक्ति को आगे बढ़ाता है, बल्कि जीवन से जुड़े कई अन्य पहलुओं से भी अवगत कराता है। जीवन में सफलता के लिए शिक्षित होना बहुत जरूरी है। परंतु अपने नैतिक गुणों का ज्ञान होना अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। चाणक्य(Acharya Chanakya) के अनुसार व्यक्ति की पहचान उसके गुणों से होती है। अच्छे और बुरे गुण ही एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से अलग बनाते हैं। चाणक्य के इस नीति शास्त्र में जीवन से जुड़े कई विषयों का उल्लेख है। इसमें एक ऐसे व्यक्ति का भी जिक्र है जिसमें वे सभी गुण हैं जो उसे महान और प्रसिद्ध बनाते हैं। लेकिन यदि उनका आचरण उचित नहीं है तो उनका महत्व कम हो जाता है। आज हम इसी के बारे में जानने वाले हैं। 

आचार्य चाणक्य के महत्वपूर्ण श्लोक-

1) गुणो भूषयते रूपं शीलं भूषयते कुलम् ।

सिद्धिर्भूषयते विद्यां भोगो भूषयते धनम् ।।

आचार्य चाणक्य के इस श्लोक का अर्थ यह है कि गुण व्यक्ति की सुंदरता को बढ़ाते हैं। आपकी विनम्रता आपके परिवार का नाम रोशन करती है। इसके अलावा कार्य में सफलता से ज्ञान बढ़ता है और धन का सही उपयोग करने से धन की सुंदरता बढ़ती है। इस श्लोक से यह पता चलता है कि भले ही किसी व्यक्ति का शरीर सुंदर हो, लेकिन अगर उसमें कोई गुण नहीं हैं तो ऐसी सुंदरता किसी काम की नहीं है। ऐसा माना जाता है कि अच्छे आचरण से परिवार का नाम हमेशा रोशन होता है।

2) निर्गुणस्य हतं रूपं दुःशीलस्य हतं कुलम्।

असिद्धस्य हता विद्या अभोगेन हतं धनम्।।

आचार्य चाणक्य के इस श्लोक का अर्थ यह है कि अगर किसी व्यक्ति में कोई गुण नहीं है तो उसकी सुंदरता बेकार है। इसके अलावा आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति के आचरण में श्रेष्ठता का अभाव होता है, उसकी अपने ही लोग निंदा करते हैं। यदि किसी व्यक्ति में किसी कार्य को पूरा करने की शक्ति नहीं है तो उसका ज्ञान बेकार माना जाता है।

3नाग्निहोत्रं विना वेदा न च दानं विना क्रिया।

न भावेन विना सिद्धिस्तस्माद्भावो हि कारणम् ।।

आचार्य चाणक्य के इस श्लोक का अर्थ यह है कि कर्म के बिना वेदों का अध्ययन व्यर्थ है। तथा दान, यज्ञ आदि कर्म निष्फल माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि किसी भी काम में सफलता पाने के लिए उसे हमेशा मन और लगन से करना चाहिए। क्योंकि इसके बिना किसी भी कार्य में सफलता नहीं मिलती है। चाणक्य के अनुसार व्यक्ति की भावनाएँ और विचार ही सफलता का सबसे बड़ा कारण हैं।

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