Raksha Bandhan : किसने बांधी श्री कृष्ण को राखी ? रक्षासूत्र बांधते समय कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए? पढ़िए ये दिलचस्प बातें

Sun, Aug 18 , 2024, 12:46 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Raksha Bandhan 2024: रक्षा बंधन का त्योहार (festival of Raksha Bandhan) 19 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, रवि और शोभन योग (Shobhan Yoga) में यह विशेष पर्व मनाया जाता है। श्रावण मास (month of Shravan) की पूर्णिमा 18 अगस्त को दोपहर 2:21 बजे से शुरू होकर 19 अगस्त को दोपहर 12:28 बजे तक रहेगी, लेकिन इस दिन भद्रा मुहूर्त होने के कारण भद्रा (Bhadra) में रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाएगा। इस दिन भद्रा दोपहर 1.25 बजे तक रहेगी। दोपहर 1 बजकर 26 मिनट से सूर्यास्त तक रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा। रक्षाबंधन का त्योहार सूर्यास्त के बाद भी मनाया जा सकता है, लेकिन उससे पहले ही रक्षाबंधन मनाने का सबसे अच्छा समय है।

रक्षाबंधन के त्यौहार की शुरुआत कैसे हुई?
रक्षाबंधन को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार रक्षाबंधन की शुरुआत कृष्ण और द्रौपदी (Krishna and Draupadi) से मानी जाती है। भगवान कृष्ण ने दुष्ट राजा शिशुपाल का वध किया। युद्ध के दौरान कृष्ण की बायीं उंगली लहूलुहान हो गयी। यह देखकर द्रौपदी बहुत दुखी हुई और उसने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर कृष्ण की उंगली पर बांध दिया, जिससे उनका खून बहना बंद हो गया। तभी से कृष्ण ने द्रौपदी को अपनी बहन के रूप में स्वीकार कर लिया। वर्षों बाद, जब पांडवों ने द्रौपदी को जुए में हरा दिया, तो उसे सबके सामने निर्वस्त्र कर दिया गया। तब कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई।

ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार रक्षाबंधन की शुरुआत रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं के बीच हुई थी। मध्यकाल में राजपूतों और मुसलमानों के बीच संघर्ष हुआ। रानी कर्णावती चित्तौड़ के राजा की विधवा थीं। यह देखकर कि उस समय गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की रक्षा करने का कोई रास्ता नहीं था, रानी ने हुमायूँ को राखी भेजी। तब हुमायूँ ने उसकी रक्षा की और उसे बहन का दर्जा दिया।

रक्षासूत्र बांधते समय इस मंत्र का जाप करें
ऊँ येन बद्धो बली राजा दानवेंद्रो महाबलः।
तेन त्वामनुबधामि रक्षे मा चल मा चल।।

राखी बांधते समय इन बातों का रखें ध्यान
राखी बांधते समय भाई का मुख पूर्व दिशा और बहन का मुख पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। राखी दाहिने हाथ की कलाई पर बांधनी चाहिए। छोटे भाई को अंगूठे से और बड़े भाई को अनामिका उंगली से माथे पर गहरी शिखा बनानी चाहिए। इसके बाद आरती करके भाई का मुंह मीठा कराएं। भाई को भी अपनी आर्थिक स्थिति या क्षमता के अनुसार ही अपनी बहन से मिलने जाना चाहिए।

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