Shravan 2024: श्रावण माह में मांस खाना क्यों है वर्जित? धार्मिक कारण के साथ-साथ एक बड़ा वैज्ञानिक कारण भी है, जानिए क्या है वजह? 

Tue, Aug 06 , 2024, 11:31 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Eating Meat Forbidden in Shravan : हिंदू धर्म का पवित्र महीना श्रावण (holy month of Shravan)  शुरू हो चुका है। श्रावण मास में भगवान शंकर (Lord Shankar) की पूजा की जाती है। यह महीना विशेष रूप से महादेव को समर्पित है। इसके अलावा इस महीने में हर सोमवार को व्रत रखा जाता है। कल पहला श्रावणी सोमवार व्रत (Shravani Monday fast) रखा गया। श्रावण मास में कई बातों का ध्यानपूर्वक पालन करना पड़ता है। सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है मांस से परहेज करना। इस दौरान मांस से पूरी तरह परहेज किया जाता है। इसके पीछे धार्मिक महत्व है। पूजा के दौरान ऐसे खाद्य पदार्थों को अशुभ और वर्जित (inauspicious and forbidden) माना जाता है। लेकिन इसके पीछे एक बड़ा वैज्ञानिक कारण है। बहुत से लोग अभी भी नहीं जानते। 

हिंदू धर्म में श्रावण मास के दौरान भोजन से जुड़े कई नियम हैं। इस माह में मांसाहार वर्जित है, इसके अलावा कुछ स्थानों पर श्रावण माह के दौरान दही,  हरी पत्तेदार सब्जियां आदि न खाने का भी नियम है। अक्सर कुछ लोग इन खान-पान की प्रथाओं को केवल विशिष्ट धार्मिक नियम मानकर इनका पालन नहीं करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्रावण के दौरान भोजन को लेकर इन नियमों के पीछे एक बड़ा वैज्ञानिक कारण भी है। हम जानने जा रहे हैं कि वास्तव में वह कारण क्या है।

श्रावण के दौरान मांस से परहेज-
श्रावण, जो हिंदू धर्म में पवित्र है, वर्षा ऋतु है। विज्ञान के अनुसार इस दौरान सूर्य की रोशनी कम समय तक रहती है। बारिश से नमी बढ़ (Humidity increases) जाती है और हर जगह ओले गिर जाते हैं। तो हमारी पाचन शक्ति सामान्य से कमजोर हो जाती है। मांस को पचने में अधिक समय लगता है। पोषण विशेषज्ञों के अनुसार हमारा पाचन दो प्रकार का होता है। इस प्रकार में साम अग्नि और धीमी अग्नि शामिल हैं। साम अग्नि में शरीर को भोजन पचाने में 5 से 6 घंटे का समय लगता है। जबकि धीमी अग्नि में खाना पचने में 7 से 8 घंटे का समय लगता है। खराब पाचन के कारण मांसाहारी भोजन आंतों में ही रह जाता है और सड़ने लगता है। ऐसे में श्रावण के महीने में भारी भोजन को पचाना शरीर के लिए मुश्किल हो जाता है। इसलिए श्रावण माह में शाकाहारी भोजन करना अच्छा माना जाता है। इस मौसम में सिर्फ मांसाहार ही नहीं, बल्कि कई न पचने वाले शाकाहारी भोजन भी वर्जित हैं।

संक्रमण से बचाव के लिए उपयोगी-
श्रावण मास में वर्षा ऋतु होने के कारण जल का प्रकोप अन्य ऋतुओं की तुलना में अधिक होता है। इसीलिए मछली खाना वर्जित है। दरअसल, संक्रमित या प्रदूषित पानी पर निर्भर रहने वाले जीवों को खाने से कई स्वास्थ्य जोखिम पैदा होते हैं। इसके साथ ही नमी बढ़ने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। यह संक्रमण जानवरों को भी प्रभावित कर सकता है। ऐसे में जानवरों से होने वाले संक्रमण से बचने के लिए मांस से परहेज करना ही बेहतर है। ऐसी वैज्ञानिक राय है। 

मानसून के दौरान पशु गर्भधारण करते हैं-
मानसून जलीय जंतुओं के प्रजनन का मौसम है। यदि आप इस मौसम में इन जानवरों को खाते हैं, तो आप उनकी प्रजनन प्रक्रिया को भी बाधित करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार श्रावण माह में व्यक्ति की पाचन क्रिया धीमी हो जाती है, ऐसे में पचने में दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा वात की समस्या भी बढ़ सकती है। श्रावण मास में कढ़ी, बैंगन, मूली, फनस, मांस, मछली, दही सहित अन्य कोई भी भोजन करने की मनाही है।

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