Rules for reading the Gita : श्रीमद्भागवत गीता (Shrimad Bhagwat Gita) हिंदू धर्म का सबसे पवित्र और सर्वमान्य (sacred and universally) धार्मिक ग्रंथ माना जाता है। दरअसल हिंदू धर्म में कई ग्रंथ और पुराण (Puranas in Hinduism) हैं। लेकिन, गीता ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है। गीता पढ़ने से व्यक्ति को जीवन का सही मार्ग मिलता है। इसलिए हर किसी को गीता अवश्य पढ़नी चाहिए। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। अगर आप गीता के उपदेशों का पालन करें तो आपका पूरा जीवन बदल सकता है। हिंदू धर्म में जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में एक बार भी गीता नहीं पढ़ी, उसका जीवन व्यर्थ माना जाता (considered wasted) है। गीता ज्ञान से इतनी समृद्ध है कि इसे पढ़ने पर हर बार कुछ नया सीखने को मिलता है।
गीता का पाठ करने से हमें पता चलता है कि जीवन क्या है, आत्मा भगवान से कैसे मिलती है, अच्छे और बुरे कर्मों के बीच का अंतर क्या है। लेकिन गीता का संपूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के लिए गीता पढ़ने के नियमों को जानना जरूरी है। आइए जानते हैं गीता पढ़ने के नियम...
गीता ज्ञान प्राप्त करने के चार चरण
गीता या किसी भी ग्रंथ से ज्ञान प्राप्त करने के चार चरण हैं, जो इस प्रकार हैं- सुनना या पढ़ना, ध्यानात्मक ज्ञान, निदिध्यासन ज्ञान और अनुभवात्मक ज्ञान। इन चार चरणों से गुजरने के बाद ही गीता का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। इसी तरह इन चार चरणों को भी विस्तार से समझना जरूरी है। इसके लिए आप सबसे पहले गीता पढ़ें या सुनें। इसके बाद प्राप्त ज्ञान का चिंतन और मनन करें। जो भी ज्ञान आपको अपने जीवन में उपयोगी लगे उसे आचरण में उतारें और जीवन में आत्मसात करें। फिर, अंततः तुम्हें उस ज्ञान का फल मिलेगा।
कितनी बार करें गीता का पाठ?
गीता पाठ के बारे में बात करते हुए कहा जाता है कि जब पहली बार गीता पढ़ी जाती है तो हम अंधे की तरह पढ़ते हैं। यही वह अर्थ है जिसे हम पढ़ते तो हैं, पर समझ नहीं पाते। लेकिन जब आप गीता को दूसरी बार पढ़ेंगे तो आपके मन में कुछ सवाल उठेंगे कि ऐसा क्यों हुआ या वैसा क्यों हुआ। जब आप तीसरी बार गीता पढ़ेंगे तो आपको इसका अर्थ समझ में आने लगेगा और चौथी बार आप धीरे-धीरे किसी पात्र से जुड़ जाएंगे और महसूस करने लगेंगे। आपको समझ आने लगेगा कि अर्जुन या दुर्योधन के मन में क्या चल रहा है।
जब आप पांचवीं बार गीता का पाठ करेंगे तो आपको लगेगा कि पूरा कुरूक्षेत्र आपके सामने खड़ा है। छठी बार गीता का पाठ करने से ऐसा लगेगा कि भगवान गीता का ज्ञान अर्जुन को नहीं बल्कि हमें दे रहे हैं। लेकिन, जब आप सातवीं या आठवीं बार गीता पढ़ेंगे तो आपको इस बात का पूरा एहसास हो जाएगा कि कृष्ण कहीं और नहीं बल्कि हमारे भीतर ही हैं।
गीता पाठ के नियम
गीता पाठ के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा है। इस समय मन, मस्तिष्क और वातावरण शुद्ध, शांत और सकारात्मक होता है। याद रखें गीता का पाठ हमेशा स्नान करके या स्वच्छ अवस्था में ही करें। इसके अलावा पाठ करते समय उठकर अपना ध्यान न भटकाएं। गीता का पाठ हमेशा साफ फर्श पर बैठकर करना चाहिए। प्रत्येक अध्याय शुरू करने से पहले भगवान कृष्ण और गीता के चरण कमल छूकर आशीर्वाद लें।
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Tue, Aug 06 , 2024, 07:57 AM