Sex Education to Children : बच्चों को यौन शिक्षा कब और कैसे दें? सही तरीका क्या है? विस्तार से पढ़ें

Tue, Jul 30 , 2024, 02:20 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

***** Education for Children: आज के बच्चों को अपने सवालों के जवाब पाने के लिए माता-पिता पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है। सोशल मीडिया (social media) पर दोस्ती करने से उन्हें हर सवाल का जवाब तुरंत मिल जाता है। इसलिए आजकल के बच्चे अपनी उम्र से कहीं ज्यादा होशियार हो गए हैं। लेकिन एक माता-पिता (Parenting) के रूप में, आपको यह भी स्वीकार करना होगा कि सोशल मीडिया पर मौजूद सभी जानकारी हर मामले में आपके बच्चे के लिए सुरक्षित नहीं है। ऐसे में अगर बच्चों को सही समय पर और सही तरीके से सही जानकारी नहीं मिलती तो वे गलत राह (wrong path) पर चल पड़ते हैं। अधिकांश माता-पिता अपने बच्चों के सवालों का जवाब खुद देने से बचने की कोशिश करते हैं, खासकर जब बात यौन शिक्षा (***** education) की हो। लेकिन अगर यौन शिक्षा घर पर ही शुरू हो जाए तो आपके बेटे या बेटी के गलत रास्ते पर जाने का खतरा निश्चित रूप से कम हो जाता है। कई माता-पिता सोच रहे होंगे कि अपने बच्चे को यौन शिक्षा कब और कैसे सिखाएं। आज हम इसी के बारे में जानने वाले हैं। 

बच्चे को किस उम्र में यौन शिक्षा देनी चाहिए?
माता-पिता को यह समझना चाहिए कि अपने बच्चों के साथ सेक्स के बारे में बातचीत शुरू करना उनके विकास का एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण पहलू है। यौन शिक्षा एक बार की बात नहीं बल्कि एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। ये बात हर माता-पिता को समझनी चाहिए। जैसे-जैसे आपका बच्चा बड़ा होता है और उसकी समझ बढ़ती है। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, माता-पिता को उनसे इस मुद्दे पर बात करने, सवालों का ईमानदारी से जवाब देने और उनकी जानकारी को समझने के लिए तैयार रहना होगा।

चौथे वर्ष में करें शुरुआत 
बच्चों को चार साल की उम्र से ही यौन शिक्षा से परिचित कराया जाना चाहिए। इस उम्र के बच्चों को 'गुड टच(good touch)' और 'बैड टच(bad touch)' के बारे में समझाएं। उन्हें निजी अंगों की सुरक्षा और इससे जुड़े खतरों के बारे में बताते हुए माता-पिता से हर बात साझा करने की सलाह दें। इस तरह आप बच्चों के साथ होने वाली घटनाओं पर गौर करेंगे।

आठ वर्ष की आयु में 
इस उम्र के बच्चे समझदार होते हैं। इसलिए उन्हें कुछ भी न बताकर गुमराह करने की बजाय उन्हें वास्तविक तथ्य बताएं। जब बच्चे आपके जन्म के बारे में प्रश्न पूछें, तो उन्हें यह कहकर धोखा न दें कि परियाँ आईं और आपको उनके पास छोड़ गईं। इसके बजाय, बच्चों को समझाएं कि एक बच्चे को जन्म लेने के लिए शुक्राणु और कोशिकाएं दोनों की आवश्यकता होती है, जो उसे अपने माता-पिता से मिलती है।

दस साल की उम्र तक
दसवें वर्ष में माता-पिता को बच्चों के प्रति अपनी झिझक कम करनी चाहिए। आजकल टीवी और अखबारों में हर दिन रेप, शारीरिक शोषण जैसी खबरें देखना आम बात हो गई है। ऐसे में अगर बच्चा आपसे इन विषयों से जुड़ा कोई सवाल पूछता है तो उसे टालने की बजाय इसकी गंभीरता समझाएं। इससे बच्चों में जागरूकता आएगी। संकट के समय सही रास्ता चुनना उनके लिए आसान होगा। 

पन्द्रह वर्ष की आयु तक
यहां तक ​​कि इस उम्र तक बच्चे को मिलने वाली आधी-अधूरी यौन शिक्षा भी उसे गलत दिशा में ले जा सकती है। इस खतरे से बचने के लिए बच्चे से खुलकर बात करें ताकि आपको पता चले कि बच्चे के मन में क्या चल रहा है और आप समय रहते बच्चे को बिगड़ने से रोक सकते हैं। इसके अलावा, वे अपने अंदर होने वाले शारीरिक बदलावों को नोटिस करेंगे और उन्हें अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करेंगे।

बच्चों की झिझक कैसे दूर करें?
बच्चों को सेक्स के बारे में बात करने के लिए खुला माहौल दें। जहां आपका बच्चा प्रश्न पूछने और संवेदनशील विषयों पर चर्चा करने में सहज महसूस कर सकता है। उन्हें आश्वस्त करें कि वे शर्मिंदगी या फैसले के डर के बिना मामले पर अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं। उन्हें खुद ही कुछ एहसास कराएं, जिससे वे खुद भी कुछ बातें खुलकर शेयर करेंगे। साथ ही, अगर उन्हें बाहर जाते समय, स्कूल में, अपने रिश्तेदारों से कोई परेशानी हो रही हो तो उन्हें बोलने का अवसर और साहस दें। ताकि हमारे बच्चे किसी घटना का शिकार न हो सकें। 

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