Rules for wearing Onyx: ज्योतिषशास्त्र में राशिफल(horoscope), अंकज्योतिष(numerology), वास्तुशास्त्र (Vastu Shastra) की तरह रत्नविज्ञान भी बहुत महत्वपूर्ण है। रत्नशास्त्र में मनुष्य की हर कठिनाई को दूर करने के लिए रत्नों का भी सुझाव दिया गया है। लेकिन किसी भी रत्न को धारण करने से पहले ज्योतिषियों से सलाह लेना जरूरी है। क्योंकि इस रत्न को राशि के अनुसार ही धारण करना उचित होता है। इसके अलावा रत्न धारण करने से कुंडली के ग्रह दोष (Graphic defects of the horoscope) भी दूर होते हैं। रत्न को हाथ में धारण करने से सकारात्मक बदलाव आते हैं। साथ ही आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है। लेकिन सही व्यक्ति के लिए सही रत्न चुनना महत्वपूर्ण है।
रत्न शास्त्र के अनुसार इसमें कुल 84 रत्न उपलब्ध हैं। लेकिन इनमें से केवल 9 रत्न ही प्रमुख हैं। अन्य सभी उन रत्नों के अतिशयोक्तिपूर्ण हैं। इसलिए इन 9 रत्नों का विशेष महत्व है। माणिक, मोती, लाल मूंगा, पन्ना, पीला नीलम, हीरा, नीला नीलम, हैसोनाइट और बिल्ली की आँख। ये नौ रत्न विद्यमान हैं। इस रत्न के आधार पर मनुष्य के कई दोष दूर हो जाते हैं।
कभी-कभी लोग एक ही समय में दो रत्न पहनते हैं। आज हम जानने वाले हैं कि ऐसा करना कितना उचित है? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक समय में दो रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। परंतु कोई भी रत्न किसी भी रत्न के साथ धारण करने योग्य नहीं होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ खास रत्नों को एक साथ पहनने से लाभ मिलता है। लेकिन किसी भी रत्न के साथ कोई भी रत्न पहनने से दुष्प्रभाव भी होते हैं। इसलिए बिना ज्योतिषी की सलाह के कोई भी रत्न एक साथ न पहनें। आज हम गोमेद और नीलम एक साथ पहनने के शुभ या अशुभ के बारे में जानने जा रहे हैं।
रत्नशास्त्र में गोमेद को राहु का रत्न कहा जाता है। माना जाता है कि इस रत्न को धारण करने से राहु दोष दूर हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र में वृष, कन्या, कुंभ, तुला और मकर राशि वालों को गोमेद पहनने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा नीलम के साथ गोमेद पहनना भी शुभ होता है। इन दोनों को एक साथ रखने से कई आर्थिक लाभ मिलते हैं। साथ ही इससे ग्रह दोषों से भी मुक्ति मिलती है।
गोमेद धारण करने के नियम
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि निम्नलिखित भावों यानि 6वें, 8वें और 12वें भाव में नहीं है तो उस व्यक्ति को यह रत्न धारण करना चाहिए। गोमेद को हमेशा चांदी की अंगूठी या पेंडेंट में पहनना लाभकारी होता है। इसके अलावा इस रत्न को आर्द्रा, शतभिषा या स्वाति नक्षत्र में धारण करना शुभ होता है। गोमेद पहनने से पहले शुक्रवार के दिन इसे गंगा जल, दूध और शहद के मिश्रण में रखें। शनिवार के दिन स्नान करने के बाद इस रत्न को साफ कपड़े से पोंछ लें। इसके बाद 'ॐ रां राहवे' मंत्र का 108 बार जाप करके इस अंगूठी को मध्यमा उंगली में पहन लेना चाहिए।
नीलम धारण करने के नियम
रत्नशास्त्र के अनुसार नीलम को हमेशा चांदी या सफेद सोने की धातु में धारण करना चाहिए। नीलम को कभी भी सोने में धारण नहीं करना चाहिए। शनिवार को प्रातः 5 से 9 बजे तक या फिर शाम 5 से 7 बजे के बीच नीलम पहनना शुभ रहता है। नीलम रत्न पहनने से पहले किसी ज्योतिषी से सलाह लें। पुरुषों को यह रत्न दाहिने हाथ की उंगली में धारण करना चाहिए। महिलाओं के लिए इस रत्न को किसी भी उंगली में पहनना शुभ होता है। रत्न को धारण करने से पहले उसे गंगाजल और गाय के कच्चे दूध में भिगोकर रखें। और फिर इसे पोंछकर पहन लें। इसके अलावा 'ओम शनैश्चराय नमः' मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए और नीलम धारण करना चाहिए।
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Wed, Jul 10 , 2024, 03:36 AM