पुणे. अक्सर कहा जाता है कि बच्चों के समग्र विकास (Holistic development of children) में पर्याप्त नींद एक महत्वपूर्ण कारक है। लेकिन अपर्याप्त नींद बच्चों के स्वास्थ्य (Inadequate sleep Children's health) पर असर डालती है। इसलिए बच्चों को कितने घंटे की नींद की जरूरत है, इसके बारे में अधिक जानने के लिए बाल रोग विशेषज्ञ मधुर राठी (pediatrician Madhur Rathi) से बात की। आइए जानें इस बार उन्होंने क्या कहा।
फिलहाल बच्चों के स्कूल शुरू हो गए हैं। कई बच्चों के स्कूल आज सुबह बंद हो जाते हैं। मुझे स्कूल के लिए सुबह जल्दी उठना पड़ता है। लेकिन दूसरी ओर, बदलती जीवनशैली के कारण बच्चे रात को देर से सोते हैं और परिणामस्वरूप उनके स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
इस बारे में बात करते हुए बाल रोग विशेषज्ञ मधुर राठी ने कहा कि बच्चे अक्सर सोने से पहले टीवी या मोबाइल फोन देखते हैं। इससे देर से नींद आती है और सुबह पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती है। अपर्याप्त नींद का असर बच्चों की याददाश्त पर भी पड़ता है। नींद के दौरान हमारी याददाश्त बढ़ती है। लेकिन अगर नींद पूरी न हो तो याददाश्त कमजोर होने की आशंका ज्यादा रहती है।
अपर्याप्त नींद से बच्चों में वजन की समस्या, वजन बढ़ने की समस्या और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। इससे बच्चे बार-बार बीमार, तनावग्रस्त, चिड़चिड़े, थके हुए महसूस करते हैं और उनके दिमाग का विकास नहीं हो पाता है। नींद की कमी से व्यवहार में भी बदलाव आता है और यह सब उनके शैक्षणिक जीवन को प्रभावित करता है। यह भी कहा जाता है कि ख़राब प्रदर्शन अक्सर बच्चों में नकारात्मक भावनाएँ पैदा करता है।
आप वास्तव में क्या करेंगे?
1. बच्चों को रात में समय पर सोना चाहिए।
2. प्रतिदिन 7 से 8 घंटे की नींद लें।
3. सोने से पहले टीवी न देखें और न ही मोबाइल फोन का इस्तेमाल करें। इसका असर बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है।
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Mon, Jul 08 , 2024, 09:57 AM