मुबई: किडनी(Kidney) मानव शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। शरीर में दो गुर्दे होते हैं और वे मूत्र प्रणाली(urinary system) का हिस्सा होते हैं। किडनी हमारे शरीर से अपशिष्ट उत्पादों को मूत्र के माध्यम से बाहर निकालने का काम करती है। कुछ कारणों से किडनी की कार्यप्रणाली ख़राब होने पर शरीर का सिस्टम ख़राब हो जाता है। आपने किडनी फंक्शन टेस्ट के बारे में सुना होगा। यह टेस्ट क्यों किया जाता है? आइए इसका उत्तर जानें.
सर गंगाराम अस्पताल, नई दिल्ली में यूरोलॉजी विभाग में वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अमरेंद्र पाठक(Dr. Amarendra Pathak) के अनुसार किडनी फंक्शन टेस्ट टेस्ट को केएफटी या आरएफटी(KFT or RFT) कहा जाता है। ये किडनी परीक्षण हैं, जो जांचते हैं कि आपकी किडनी ठीक से काम कर रही है या नहीं। किडनी हमारे शरीर से नमक के रूप में अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालने का काम करती है। केएफटी टेस्ट से यूरिया, क्रिएटिनिन, यूरिक एसिड, सोडियम, पोटैशियम जैसे लवणों का उचित स्तर पता चलता है। यह परीक्षण शरीर में इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को भी मापता है।
डॉ। पाठक के अनुसार, मूत्र संबंधी समस्याओं वाले लोगों को किडनी फंक्शन टेस्ट की सलाह दी जाती है। यह परीक्षण मूत्र या रक्त का नमूना लेकर किया जाता है। 55 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को नियमित शारीरिक जांच के दौरान यह परीक्षण करवाना चाहिए। इसके अलावा स्वस्थ लोगों को भी दो-तीन साल में एक बार यह टेस्ट कराना चाहिए, इससे उन्हें किडनी के स्वास्थ्य के बारे में पता चल जाता है। अगर इसमें कोई गड़बड़ी होती है तो यह किडनी की बीमारी का संकेत हो सकता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, हमारे शरीर में दो किडनी होती हैं, जिनमें से दो-तिहाई किडनी रिजर्व रहती हैं। शरीर की एक तिहाई कार्यप्रणाली किडनी द्वारा संचालित होती है। लेकिन जब दो तिहाई किडनी काम करना बंद कर देती है तो क्रिएटिनिन बढ़ जाता है। हालाँकि रक्तचाप अनियंत्रित रहता है, गुर्दे काम करना बंद कर देते हैं और क्रिएटिनिन बढ़ जाता है। इसलिए, उपचार से क्रिएटिनिन सामान्य हो जाना चाहिए। उच्च रक्तचाप या मधुमेह के मरीजों को समय-समय पर किडनी फंक्शन टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है।
यूरोलॉजिस्ट के अनुसार, हमारी किडनी में सोडियम का स्तर 130-140 के बीच होता है। इससे कम होने पर लोगों को चलने में दिक्कत होने लगती है। सोडियम का कम स्तर गंभीर हो सकता है। ऐसे में हाई बीपी के मरीज नमक खाना बंद कर देते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। इससे सोडियम का स्तर कम हो सकता है और मृत्यु हो सकती है। इसके अलावा किडनी में पोटैशियम का स्तर 3 से 5 के बीच होता है। यदि यह बहुत अधिक है, तो हृदय रुक सकता है। कभी-कभी केएफटी की सलाह उन लोगों को दी जाती है जो खा-पी नहीं रहे हैं।
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Mon, Jul 08 , 2024, 01:15 AM