Uddhav : उद्धव को पहला बड़ा झटका! 

Wed, Jan 10 , 2024, 06:39 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

शिवसेना के 2018 के संविधान को बताया अवैध ः स्पीकर
मुंबई। शिवसेना विधायकों की अयोग्यता पर बहुप्रतीक्षित फैसला आ गया है। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) राहुल नार्वेकर (Rahul Narvekar) ने शिवसेना विधायकों की अयोग्यता मामले पर अपना फैसला सुनाया है। यह फैसला छह हिस्सों में आया और इसमें कुल 34 याचिकाएं पर फैसला सुनाया गया। उन्होंने कहा, शिवसेना पार्टी का 1999 का संविधान मान्य है, जबकि उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के प्रमुख रहते हुए 2018 का संविधान स्वीकार्य नहीं है। क्योंकि चुनाव आयोग के पास 2018 का पार्टी संविधान का रिकॉर्ड नहीं है. कोई अंतर-पार्टी चुनाव नहीं कराया गया. इसलिए शिवसेना का 1999 का संविधान ही स्वीकार किया जाएगा। चुनाव आयोग से मिला शिवसेना का संविधान ही वैध माना जाएगा।
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना विधायकों की अयोग्यता मामले में फैसला सुनाया। उन्होंने फैसला पढ़ते हुए कहा, दोनों पार्टियों (शिवसेना के दो गुटों) द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए संविधान पर कोई आम सहमति नहीं है। नेतृत्व संरचना पर दोनों पार्टियों के अलग-अलग विचार हैं। एकमात्र पहलू विधायक दल का बहुमत है। मुझे विवाद से पहले मौजूद नेतृत्व संरचना को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक संविधान तय करना होगा. स्पीकर राहुल नार्वेकर ने 14 सितंबर से 20 दिसंबर तक मैराथन सुनवाई की। सुनवाई के दौरान दोनों गुटों के शिवसेना विधायकों ने जोरदार दलीलें दीं। बताया जा रहा है कि करीब 500 पेज के नतीजे तैयार किये गए।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने पिछले साल मई में नार्वेकर को शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली याचिकाओं पर जल्द फैसला लेने का निर्देश दिया था।
मालूम हो कि एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नेतृत्व में शिवसेना के अधिकांश विधायकों के जून 2022 में बगावत का बिगुल फूंका और भगवा पार्टी दो धड़ों में बंट गई। इसके चलते उद्धव ठाकरे नीत तत्कालीन महाराष्ट्र विकास आघाडी (एमवीए) सरकार गिर गई थी। इसके बाद एकनाथ शिंदे बीजेपी के समर्थन से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। जिसके बाद से दोनों गुट चुनाव आयोग से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पार्टी पर वर्चस्व जमाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। पिछले साल लंबी सुनवाई के बाद चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले धड़े को असली ‘शिवसेना’ नाम और चुनाव चिह्न ‘तीर धनुष’ आवंटित किया। जबकि उद्धव गुट को नया नाम शिवसेना (यूबीटी) और निशान ‘जलती मशाल’ मिला। अभी भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

शिवसेना का शिंदे गुट ही असली शिवसेना-स्पीकर
शिवसेना का शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। शिंदे गुट को 37 विधायकों का समर्थन हासिल है। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा, “21 जून 2022 को जब प्रतिद्वंद्वी गुट बना तब शिंदे गुट ही असली शिवसेना राजनीतिक दल था।

ठाकरे गुट ने पार्टी संविधान में अवैध तरीक़े से बदलाव किए -स्पीकर
राहुल नार्वेकर ने कहा-दोनों गुट ने पार्टी के अलग-अलग कॉन्स्टिट्यूशन का हवाला दिया, उद्धव ठाकरे गुट द्वारा दिया गया पार्टी के कॉन्स्टिट्यूशन पर तारीख नहीं थी, इसलिए वो मान्य नही किया गया। ठाकरे गुट ने पार्टी संविधान में अवैध तरीक़े से बदलाव किए वह अमान्य है। 2023 में शिंदे गुट ने कॉन्स्टिट्यूशन में सही बदलाव किए इसलिए उसी को मानेंगे। 2013 और 2018 में भी चुनाव नहीं हुए।

 

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