० सभी राजमार्गों के दोनों ओर बांस लगाने का निर्णय
० बांस की खेती को गन्ने से अधिक लाभदायक बताया
महानगर संवाददाता
मुंबई। वाईबी चव्हाण सेंटर में प्रथम पर्यावरण स्थायित्व शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने कहा कि आज के जलवायु परिवर्तन के दौर में कार्बन उत्सर्जन को कम करना बहुत जरूरी है। इसके लिए बांस रोपण अच्छा विकल्प है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में राज्य में 10 हजार हेक्टेयर क्षेत्र (10 thousand hectares area) में बांस लगाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में प्रकृति-चक्र बदल रहा है और हमें बेमौसम ओलावृष्टि और भारी बारिश जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस सबका कारण जलवायु परिवर्तन है। पर्यावरण संरक्षण ही इसका एकमात्र उपाय है। सरकार कार्बन उत्सर्जन (carbon emission) कम करने की कोशिश कर रही है। इसके एक हिस्से के रूप में बांस रोपण परियोजना शुरू की गई है। बांस में पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की पर्याप्त क्षमता है। एक बांस 320 किलोग्राम प्राणवायु पैदा करता है। बहुत सारा कार्बन सोख लेता है। बांस अन्य पेड़ों की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक कार्बन सोखता है। बांस की खेती से किसानों को भी लाभ होता है। इससे उनका आर्थिक स्तर ऊंचा उठाने में मदद मिलती है। गन्ने की तुलना में बांस की खेती अधिक लाभदायक है। बांस से विभिन्न उत्पाद तैयार किए जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। इस अवसर पर मंच पर कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष पाशा पटेल, गोदरेज उद्योग समूह के नादिर गोदरेज, कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनूप कुमार, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव प्रवीण दराडे, वन विभाग के सचिव वेणुगोपाल रेड्डी आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार शहरी इलाकों में प्रदूषण कम करने का प्रयास कर रही है। इसके अंतर्गत संपूर्ण स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के चलते मुंबई में प्रदूषण (pollution in mumbai) सूचकांक 350 से घटकर 80 से 110 तक कम हो गया है। शहरी इलाकों में प्रदूषण को रोकने के लिए अर्बन फॉरेस्ट तैयार किया जा रहा है। पश्चिमी और पूर्वी द्रुतगामी मार्गों के दोनों किनारों पर बांस लगाने का निर्णय लिया गया है। राज्य सरकार ने राज्य के सभी राजमार्गों के दोनों ओर बांस लगाने का निर्णय लिया है। बांस किसानों के लिए फायदेमंद है। अधिक से अधिक किसानों को बांस की खेती करने की ओर रुख करना चाहिए। आज बांस की मांग बहुत अधिक है, लेकिन इसका उत्पादन कम है। बांस का उपयोग बायोमास के रूप में किया जाता है। इससे इथेनॉल का उत्पादन होता है। केंद्र सरकार ने थर्मल पावर प्लांट में ईंधन के रूप में बांस के उपयोग को अपनी मंजूरी दे दी है। इसलिए भविष्य में बांस की भारी मांग होने वाली है। बांस की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 7 लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है। मुख्यमंत्री ने यह भी अपील की कि अधिक से अधिक संख्या में किसान इस फसल की ओर रुख करें क्योंकि यह फसल किसानों को आर्थिक मजबूती देती है। कार्यक्रम की प्रस्तावना में पाशा पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री शिंदे के कारण ही आज बांस को महाराष्ट्र में राजाश्रय मिला हुआ है। उनके प्रयासों से राज्य में बड़े पैमाने पर बांस की खेती हो रही है। इस शिखर सम्मेलन में दुनिया भर से शोधकर्ता आये हैं। उनके मार्गदर्शन से उपस्थित किसान लाभान्वित होंगे। कार्यक्रम का संचालन रूपाली देशपांडे ने किया।
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Tue, Jan 09 , 2024, 09:49 AM