महाराष्ट्र में मदरसों के सर्वेक्षण का काम शुरू

Mon, Oct 30 , 2023, 09:39 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने दी जानकारी
मनोरंजन उद्योग में बाल अधिकारों के हनन पर जताई नाराजगी  
महानगर संवाददाता
मुंबई।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि आयोग की अनुशंसा पर महाराष्ट्र ने मदरसों की मैपिंग (Mapping of Madrasas) (सर्वेक्षण) का काम शुरू किया है। अभी तक 12 जिलों से शुरुआती जानकारी आनी शुरू हुई है। आने वाले तीन महीनों में मैपिंग के काम में गति आएगी। उत्तर प्रदेश और असम में भी मदरसों की मैपिंग की जा रही है। मनोरंजन उद्योग में बाल अधिकारों के हनन को लेकर नाराजगी प्रकट करते हुए उन्होंने एक वेब सीरिज और एक मराठी फिल्म पर कार्रवाई की जानकारी दी। अहमदनगर जिले में बच्चों को फंसाकर उनका धर्मांतरण करने के मामले में भी आयोग ने नगर पुलिस को कटघरे में खड़ा किया।  
शुक्रवार को मंत्रालय में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने राज्य सरकार के अधिकारियों से बाल अधिकार कानून के क्रियान्वयन सहित अन्य मसलों पर जानकारी हासिल की। इस बैठक के बाद मंत्रालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रियंक कानूनगो ने कहा कि महाराष्ट्र में सड़कों पर रहने वाले बच्चों की बड़ी समस्या है। इसके लिए पहले कार्यप्रणाली थी, जिसमें अब सुधार किया गया है। इसके जरिए स्ट्रीट चिल्ड्रन्स का पुनर्वास और बचाव का काम किया जा रहा है। देश में पहली बार सड़कों पर रहने वाले बच्चों के लिए एक पालिसी बनी है। अभी तक महाराष्ट्र में 4 हजार बच्चों को बचाकर उनका पुनर्वास किया गया है। कानूनगो ने कहा कि राष्ट्रीय बाल आयोग की तरफ से मदरसों की मैपिंग की कार्रवाई की जा रही है। खुशी की बात है कि उत्तर प्रदेश और असम के बाद आयोग की अनुशंसा के आधार पर महाराष्ट्र भी सामने आया है। अभी तक 12 जिलों से जानकारी सामने आनी शुरू हुई है। आने वाले तीन महीनों में मैपिंग के काम में गति आएगी। उन्होंने कहा कि मुंबई से नागपुर और उस्मानाबाद से पुणे तक के मदरसों में बाहरी राज्यों के बच्चों को रखा गया है। ये बच्चे बुनियादी शिक्षा से वंचित हैं।

मनोरंजन उद्योग से मिली शिकायत
उन्होंने कहा कि कुछ महत्वपूर्ण जांच को लेकर भी चर्चा हुई। मनोरंजन उद्योग (Entertainment industry) में काम करने वाले बच्चों के अधिकार के संरक्षण के लिए वर्ष 2011 में गाइड लाइन बनी थी, लेकिन कई बड़े निर्माता-निर्देशक की तरफ से गाइड लाइन का उल्लंघन करने की शिकायत मिली है। इस पर कानूनगो ने नाराजगी प्रकट की। उन्होंने कहा कि वेब सीरिज "बांबे बेगम" के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, इसमें बच्चों को गंदे सीन और नशा करते दिखा गया है। इस तरह निर्माता-निर्देशक महेश मांजरेकर की मराठी फिल्म "नाय वरन भट लों कोन नाइ कोंचा" के खिलाफ खुद सेंसर बोर्ड ने शिकायत की थी, इसमें छोटे बच्चों को गंदे सीन करते दिखाया गया है।  

अहमदनगर पुलिस की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग अहमदनगर पुलिस की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट नजर आया। प्रियंक कानूनगो ने कहा कि नगर जिले में बच्चों को फंसा कर उनका धर्मांतरण कराने का रैकेट चलाया जा रहा है। हमने नगर पुलिस की कार्रवाई में कई गड़बड़ी पाई गई। पुलिस विक्टिम की पहचान करने में विफल रही। नगर में एक ट्यूशन टीचर ने लड़कियों से कहा था कि तुम कुरान पढ़ना शुरू करो, तुम मराठी बोलना बंद करो। आयोग ने इस मामले की जांच के लिए सीबीआई या अन्य किसी जांच एजेंसी से कराने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि नगर के एसपी को इस बात की जानकारी नहीं थी कि वहां चाइल्ड वेलफेयर अधिकारी है या नहीं?

चिल्ड्रन होम खस्ता, बच्चों को हटाने की सिफारिश
सायन में मिशनरी चिल्ड्रन होम साल्वेशन आर्मी के संबंध में आयोग ने वहां के बच्चों को अन्य जगह पर शिफ्ट करने की सिफारिश की है। इसके पहले भी आयोग दो बार सिफारिश कर चुका है, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया। इस चिल्ड्रन होम की छत जर्जर अवस्था में जा पहुंची है। यहां 34 अनाथ बच्चे रहते हैं।

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