० मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सदन में दी जानकारी
० आशीष शेलार ने रखी थी लक्ष्यभेदी सूचना
मुंबई। मुंबई तटीय नियंत्रण क्षेत्र (सीआरजेड) 2 में भीतर आने वाले 25 हजार झोपड़ियों (25 thousand huts) का पुनर्वास (rehabilitation) करने से पर्यावरण का क्या असर होगा? इसे बारे में रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश मुंबई महापालिका और झोपड़पट्टी पुनवर्सन प्राधिकरण (एसआरए) को दिए गए हैं। यह रिपोर्ट दो महीने में सौंपने को कहा गया है। रिपोर्ट आने के बाद इसे केंद्र सरकार के पर्यावरण विभाग को सौंपा जाएगा। विधानसभा में इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने दी। उन्होंने विश्वास जताया कि इन झोपड़ियों के पुनर्वास से खुली जगह बनेगी और पर्यावरण संतुलित होगा।
भाजपा के आशीष शेलार (Ashish Shelar) ने गुरुवार को मुंबई के समुद्री किनारे और सीआरजेड 2 में आने वाली 25 हजार झोपड़ियों के पुनर्विकास को लेकर लक्ष्यभेदी सूचना रखी थी। चर्चा के दौरान पूछे गए सवालों के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि सीआरजेड-2 में आने वाली झोपड़पट्टियों के पुनर्विकास को लेकर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से सकारात्मक चर्चा हुई है। केंद्र ने झोपड़पट्टियों के पुनर्वास को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। हालांकि केंद्र ने पर्यावरणीय खर्च और फायदा विश्लेषण की रिपोर्ट मांगी है। यह रिपोर्ट तत्काल तैयार करने के निर्देश मुंबई महापालिका और एसआरए को दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि रेलवे ट्रैक से लगी झोपड़ियों के विकास करने के लिए केंद्र सरकार से बातचीत की जाएगी।
शिंदे ने कहा कि शहर में अवैध झुग्गियों को पनपने से रोकना संबंधित स्थानीय सरकारी निकाय की जिम्मेदारी है। सरकार ने वर्ष 2011 तक की झोपड़ियों को संरक्षण दिया है। उन्होंने कहा कि जहां भी अवैध झोपड़ियां बनेगी, वहां के संबंधित अधिकारी को जवाबदार ठहराकर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले आशीष शेलार ने झोपड़ियों के पुनर्विकास में कानूनी कठिनाइयों का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि मुंबई की झोपड़पट्टियों में से तकरीबन 25 हजार झोपड़ियां सीआरजेड-2 (CRZ-2) में आती है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की 6 जनवरी 2011 की सीआरजेड अधिसूचना के अनुसार इन झोपड़ियों के पुनर्विकास को लेकर शर्त लगाई गई है। इसके मुताबिक पुनर्विकास की स्थिति में 51 फीसदी हिस्सा सरकार को देना तय किया गया है, इसलिए इन झुग्गी बस्तियों का पुनर्विकास रुक गया है। इसके अलावा केंद्रीय पर्यावरण विभाग ने 18 जनवरी 2019 को इस अधिसूचना में बदलाव कर दिया, लेकिन संरक्षित झुग्गी बस्तियों के पुनर्विकास के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है। इस बीच मुंबई के लिए एक नई विकास योजना तैयार की गई। उसमें तटीय क्षेत्रों पर पार्क और मैदान जैसे आरक्षण लगाकर इस क्षेत्र को विकास क्षेत्र बनाया गया। शेलार ने कहा कि ऐसे में झुग्गियों के पुनर्विकास की राह अधिक कठिन हो गई है। चर्चा में नाना पटोले, वर्षा गायकवाड़, मनीषा चौधरी, बच्चू कडू ने भाग लिया।
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Thu, Aug 03 , 2023, 07:50 AM