Maharashtra Politics: बीजेपी और अजित पवार ने मिलकर शिंदे के साथ खेल कर दिया?

Sat, Jul 15 , 2023, 02:58 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

मुंबई: महाराष्ट्र सरकार में अजित पवार (Ajit Pawar) की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की एंट्री के बाद एकनाथ शिंदे कैंप (Eknath Shinde camp) के अरमानों पर पानी फिरता दिख रहा है. विभागों के बंटवारे के बाद अजित पवार गुट (Ajit Pawar group) की महत्ता सरकार में सबके सामने है, लेकिन एकनाथ शिंदे की मुश्किलें सरकार और पार्टी दोनों में कई गुणा ज्यादा बढ़ती दिखाई पड़ रही है. पिछले एक साल से शिंदे कैंप के 30 विधायकों का मंत्री बनने का सपना धरा का धरा ही रह गया है. जाहिर है शिंदे कैंप के विधायक अपनी बारी के इंतजार में हाथ मलते रह गए, वहीं बीजेपी अजित पवार गुट को अहम विभाग देकर शिंदे गुट के साथ सियासी खेल पूरी चतुराई से खेल रही है.
राजनीति में अवसर का बड़ा रोल होता है. यही वजह है किए एकनाथ शिंदे बीजेपी के पास 105 विधायक होने के बावजूद सीएम बना दिए गए. बीजेपी उस समय हर हाल में महाराष्ट्र में सरकार बनाना चाहती थी. इस कड़ी में उद्धव की शिवसेना को धता बताकर बीजेपी एकनाथ शिंदे की ताजपोशी का मन बना चुकी थी. लेकिन अब बीजेपी का मिशन लोकसभा चुनाव में 45 सीटें जीतने का है. इस मिशन में शिंदे और उनकी टोली बेअसर दिख रही है. इसलिए बीजेपी ने दूसरे मराठा नेता का चुनाव कर लिया है जो एकनाथ शिंदे की तुलना में बीजेपी के लिए कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है.
वैसे भी राज्य में सरकार बचाने के लिए बीजेपी को 145 विधायकों की जरूरत है. ये जरूरत अजित पवार गुट के 42 विधायकों के दावों के बाद पूरी हो जाती है. बीजेपी के अपने 105 विधायक हैं और अजित पवार 42 विधायकों का दावा कर रहे हैं. जाहिर है सरकार चलाने के लिए शिंदे गुट के 40 विधायकों पर निर्भरता रह नहीं गई है. यही वजह है कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व शिंदे गुट की मांग को खारिज कर रहा है.दरअसल महाराष्ट्र में बीजेपी की नजर में अजित पवार की महत्ता कहीं ज्यादा है जो राज्य में सरकार चलाने से लेकर मिशन 45 के लक्ष्य को आसानी से पूरा करने में मददगार हो सकते हैं. इसलिए अजित पवार गुट के 9 विधायकों को मनचाहा विभाग सौंप दिया गया और शिंदे गुट को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है. शिंदे गुट की प्रासंगिकता अब एक बड़ा सवाल है, इसलिए बीजेपी सियासी जरूरत के हिसाब से दांव खेल रही है.
शिंदे के लिए अपना कुनबा संभाले रखना बड़ी मुसीबत?
बीजेपी सारा दांव लोकसभा चुनाव में 45 सीटें जीतने को लेकर खेल रही है. बीजेपी अपने कई इंटरनल सर्वे में एकनाथ शिंदे के कमतर प्रभाव की असलियत जान चुकी है. शिवसेना के उत्तराधिकार के मुद्दे पर एकनाथ शिंदे उद्धव ठाकरे के आस-पास सीएम बनने के बावजूद पहुंचते नहीं दिख रहे हैं. इतना ही नहीं जनता में उन्हें कमजोर सीएम के तौर पर देखा जा रहा है. इसलिए बीजेपी एकनाथ शिंदे का प्रभाव ठाणे और मुंबई के आस-पास के इलाकों के अलावा कहीं और नहीं आंक रही है.
जाहिर है महाराष्ट्र में कुल 48 लोकसभा सीटें हैं और यूपी के बाद लोकसभा सीट के लिहाज से ये दूसरा अहम राज्य है. बीजेपी के सियासी गणित में अजीत पवार कहीं ज्यादा फिट बैठ रहे हैं. इसलिए बीजेपी शिंदे के गुट को ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं है. पहले मानसून सत्र से पहले कैबिनेट एकस्पेंशन की बात बीजेपी कर रही थी, लेकिन अजित पवार के खेमे के मंत्रियों के बीच विभाग का बंटवारा कर बीजेपी ने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. वैसे भी आंकड़ों के खेल के हिसाब से भी सरकार महाराष्ट्र में शिंदे गुट पर निर्भर नहीं है. इसलिए लक्ष्य की प्रप्ति के हिसाब से अंजित पवार गुट ज्यादा फेवरेट दिख रहा है.
शिंदे गुट के लिए आगे का रास्ता आसान नहीं?
अजित पवार 11 लोकसभा सीटों पर बीजेपी की नजरों में अहम हैं. वहीं शरद पवार की राजनीति को चुनौती देने का असली माद्दा बीजेपी अजित पवार में ही देख रही है. बीजेपी इसलिए अजित पवार गुट को वित्त मंत्रालय और योजना विभाग, कृषि ,चिकित्सा शिक्षा, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, खेल, महिला और बाल विकास सहित राहत, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन विभाग देकर गठबंधन में जरूरत के हिसाब से काम कर रही है. ऐसे में शिंदे कैंप के लिए आगे का रास्ता आसान नहीं दिख रहा है. वैसे भी उद्धव ठाकरे से अलग होने की वजहों में एक वजह अजित पवार को शिंदे कैंप बता चुका है. अजित पवार पर शिवसेना के विधायकों को फंड्स नहीं देने का आरोप शिंदे कैंप द्वारा मढ़ा गया था. लेकिन इस बार फिर अजित पवार को वित्त और योजना विभाग सौंप कर शिंदे कैंप की नींद उड़ा दी गई है.
शिंदे कैंप के नेताओं की सीधी भिड़ंत अजित पवार गुट से
शिंदे कैंप के कई नेताओं की लड़ाई अपने-अपने इलाकों मे अजित पवार गुट के नेताओं से है, जिन्हें इस सरकार में मंत्री बना दिया गया है. शिंदे कैंप का कोई मंत्री नहीं बनाने को लेकर अजित पवार सदन में सार्वजनिक तौर पर मजाक उड़ा चुके हैं. भरत गोगावले के लिए उनके साथ बने रहना उनकी राजनीति को अब सूट नहीं कर रहा है. एकनाथ शिंदे सीएम रहते हुए भी अपने कैंप के भरत गोगावले को अब तक मंत्री नहीं बन पाए हैं, जबकि रायगढ़ के ही अदिति तटकरे को महिला और बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी सौंप दी गई है. भरत गोगावले और अदिति तटकरे की अदावत पुरानी है.
शिंदे कैंप के दूसरे एमएलए संजय शिरशत भी अपनी उपेक्षा की वजहों से उद्धव ठाकरे के संपर्क में बताए जाते हैं. शिंदे कैंप में इस बात की भी चर्चा है कि अजित पवार गुट के शामिल होने के बाद अजित पवार के पुत्र पार्थ पवार के लिए मवाल लोकसभा सीट पर भी शिंदे गुट की शिवसेना को कंप्रोमाइज करना पड़ सकता है. यहां से शिंदे गुट के श्रीरंग बार्ने पिछले चुनाव में विजयी हुए थे. यही हाल अंबे गांव में नजर आ रहा है, जहां अजित पवार गुट के एनसीपी नेता दिलीप वलसे पाटिल को सहाकारिता मंत्रालय सौंप दिया गया है, लेकिन शिंदे कैंप के नेता हाथ मलते दिख रहे हैं. इस इलाके में भी शिवसेना और एनसीपी के बीच कांटे की टक्कर है.
बीजेपी और अजित पवार की एनसीपी की जोड़ी शिंदे कैंप 

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