अजित पवार एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष

Wed, Jul 05 , 2023, 07:29 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

० पार्टी और चुनाव चिन्ह पर भी ठोंका दावा
० शक्ति परीक्षण में भी "दादा" ने दिखाया दम
० एमईटी में हुई बैठक में 32 विधायक हाजिर
मुंबई।
महाराष्ट्र (Maharashtra) में राकांपा (NCP) पर कब्जा जमाने की छिड़ी जंग में भतीजे अजित पवार (Ajit Pawar) अपने चाचा शरद पवार (Sharad Pawar) को मात देते दिखाई दे रहे हैं। भतीजे ने चाचा को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से बेदखल करते हुए करते हुए पार्टी और चुनाव चिह्न घड़ी पर दावा करते हुए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया। बुधवार को हुए दोनों खेमों के शक्ति परीक्षण में भी भतीजे का पलड़ा भारी रहा। बांद्रा स्थित एमईटी इंस्टीट्यूट में अजित पवार खेमे की बैठक में 32 विधायकों ने हाजिरी लगाई, वहीं यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान में शरद पवार गुट की बैठक में 13 विधायक उपस्थित रहे। हालांकि इस दौरान इस दौरान बंद कमरों में खेली गई सियासत के किस्से सार्वजनिक हो गए। विद्रोही खेमे के नेता ने शरद पवार की बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए कहा कि उनकी आयु 82 या 83 साल हो गई, क्या वे कभी रूकेंगे?
अजित पवार गुट के मुताबिक, शरद पवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। अजित पवार ने अब खुद एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर कब्जा कर लिया है। दावा किया जा रहा है कि 30 जून को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इसका फैसला लिया गया था। सूत्र ने कहा कि चुनाव आयोग को 30 जून को अजित पवार को एक याचिका प्राप्त हुई। इसके बाद 30 जून को ही सांसदों/विधायकों/एमएलसी के 40 से ज्यादा हलफनामे (5 जुलाई को) आयोग में प्राप्त हुए। एक प्रस्ताव भी प्राप्‍त हुआ है, जिस पर कोई तारीख नहीं है। इसमें सर्वसम्मति से अजित पवार को राकांपा का अध्यक्ष चुना गया है। सूत्रों के अनुसार, 30 जून को मुंबई में एनसीपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक हुई थी। यह बैठक प्रफुल्ल पटेल की ओर से बुलाई गई थी। इसी बैठक में शरद पवार की जगह अजित पवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित हुआ।
क्या आप रुकने वाले नहीं हैं?
बांद्रा एमईटी इंस्टीट्यूट में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अजित पवार ने शरद पवार की उम्र का जिक्र करते हुए उन पर तंज कसा। इसके बाद अब सुप्रिया सुले ने इस पर पलटवार किया है। अजित पवार ने कहा कि आपने मुझे सबके सामने खलनायक के रूप में दिखाया। मेरे मन में अभी भी उनके (शरद पवार) लिए सम्मान है। आप हमें अपना आशीर्वाद दें, लेकिन आप 83 वर्ष के हैं, क्या आप रुकने वाले नहीं हैं? हमें अपना आशीर्वाद दें और हम प्रार्थना करेंगे कि आपकी उम्र लंबी हो। इस पर पलटवार करते हुए सुप्रिया सुले ने कहा कि हमारा अपमान करें, लेकिन हमारे पिता (शरद पवार) का नहीं। बाकी सब सुन लेंगे, लेकिन माता पिता पर नहीं जा सकते हैं। सुले ने कहा कि रतन टाटा शरद पवार से तीन साल बड़े हैं, लेकिन आज भी वह सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक हैं। अमिताभ बच्चन, साइरस पूनावाला, वारेन बफेट, फारुख अब्दुल्ला सभी शरद पवार से 3 से 4 साल बड़े हैं। फारुख अब्दुल्ला ने भी मुझसे कहा कि उम्र केवल एक नंबर है, हम सभी लड़ सकते हैं।
बंद कमरों की बातों का खुलासा
अपने भाषण के दौरान अजित पवार ने बंद कमरे में हुई बातों का भी खुलासा किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में हमारे वरिष्ठों ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की, हम खामोश बैठे रहे। देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने, हमें कहा गया कि शपथ ग्रहण में जाओ। जब उनके साथ जाना ही नहीं था, तो हमें शपथ ग्रहण में क्यों भेजा गया? वर्ष 2017 की घटना का खुलासा करते हुए अजित पवार ने कहा कि वर्षा बंगले पर बैठक हुई थी। मेरे अलावा सुनील तटकरे, जयंत पाटिल सहित चार लोग थे, सामने सुधीर मुनगंटीवार, देवेंद्र फडणवीस, विनोद तावडे, चंद्रकांत पाटिल थे। किसे कौन सा विभाग मिलेगा, कौन पालक मंत्री होगा, यह सब तय हो गया। अजित पवार ने कहा कि वे झूठ नहीं बोलेंगे। झूठ बोला तो पवार की औलाद नहीं। हमे संदेश मिला और सुनील तटकरे को दिल्ली बुलाया गया। भाजपा के वरिष्ठों ने कहा कि 25 साल से शिवसेना हमारे साथ हैं और शिवसेना का साथ नहीं छोड़ेंगे। हमारे पार्टी के वरिष्ठों ने कहा कि शिवसेना आघाड़ी में रहेगी तो हमें यह मंजूर नहीं। शिवसेना जातिवादी पार्टी है।जातिवादी शिवसेना अचानक सहयोगी कैसे बन गई?
वर्ष 2019 में सुबह हुए शपथग्रहण के बारे में खुलासा करते हुए अजित पवार ने कहा कि 2019 का चुनाव परिणाम आया। एक बड़े उद्योगपति के घर हमारे वरिष्ठ नेता, प्रफुल्ल पटेल, भाजपा के वरिष्ठ नेता, मैं और देवेंद्र फडणवीस के बीच चर्चा हुई। मुझे और देवेंद्र से हमारे नेताओं ने बात न करने के लिए कहा। फिर अचानक बदलाव आया और हमारे वरिष्ठों ने कहा कि वे शिवसेना के साथ जाना चाहते हैं। बता दें कि वर्ष 2017 में उन्होंने शिवसेना को जातिवादी कहा था और वे उसके साथ नहीं जाना चाहते. तो फिर ऐसा क्या चमत्कार हुआ कि दो साल बाद ही शिवसेना सहयोगी बन गई?
पीएम मोदी का कोई विकल्प नहीं
अजित पवार ने कहा कि वर्ष 2024 के चुनाव में मोदी का कोई विकल्प नहीं है, यही हकीकत है। ये बात शरद पवार साहब ने भी कही है। प्रतिद्वंद्वी राकांपा लगभग 90 सीटों, कई लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकेगी, विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में अटके हुए सभी कार्यों को अब पूरी गति से आगे बढ़ाया जाएगा। अन्य कार्यकर्ताओं को अन्य पद दिए जाएंगे और उन्हें शपथ दिलाई जाएगी कि वे विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लंबित कार्यों को बिना किसी भेदभाव के पूरा कराएं।
मैं मुख्यमंत्री बनना चाहता हूं
अजित पवार ने कहा कि हम 2014 या 2019 की तुलना में अधिक सीटें जीतेंगे। मैं पांच बार डिप्टी सीएम बना हूं और मैंने स्पष्ट कर दिया है कि मैं मुख्यमंत्री बनना चाहता हूं। मुझे ही हर बार विलेन क्यों बनाया जाता है? उन्होंने यह भी कहा कि शरद पवार के कारण ही एनसीपी को इतने सालों तक अपना सीएम नहीं मिला, और अतीत में कई मौके गए जब उन्होंने पार्टी की बात नहीं मानी और अलग रुख अपनाया।

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