महाराष्ट्र ग्रीन हाइड्रोजन पॉलिसी बनाने वाला पहला राज्य

Tue, Jul 04 , 2023, 08:48 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

०  हरित हाइड्रोजन नीति की घोषणा
० 8 हजार 562 करोड़ के खर्च को मंजूरी
मुंबई।
ग्रीन हाइड्रोजन नीति (Green Hydrogen Policy) घोषित करने वाला महाराष्ट्र देश का पहला राज्य बन गया है। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में नवीकरणीय ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए राज्य की ग्रीन हाइड्रोजन नीति को मंजूरी प्रदान की गई। इस नीति के क्रियान्वयन के लिए 8 हजार 562 करोड़ रुपए के खर्च मंजूर किया गया।  
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modiने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी प्रदान की थी और वर्ष 2023 से हर साल देश में 5 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसे देखते हुए राज्य में ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन की नीति बनाई गई है। फिलहाल हर साल हाइड्रोजन की मांग 0.52 मिलियन टन है है और यह वर्ष 2030 में यह मांग 1.5 मिलियन टन तक पहुंचने की संभावना है। राज्य सरकार की ग्रीन हाइड्रोजन नीति में ऐसी परियोजनाओं को प्रोत्साहन दिया जाएगा, जो ओपन एक्सेस के जरिए स्व उपभोग के लिए राज्य या राज्य से बाहर, बिजली वितरण कंपनियों, पावर एक्सचेंज से नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त करती है। महाऊर्जा कार्यालय की तरफ से ग्रीन हाइड्रोजन और संबंधित उत्पादन परियोजना का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। परियोजनाओं को 25 हजार मेगावॉट इलेक्ट्रोलाइजर क्षमता के अनुसार परियोजना सुविधा महाऊर्जा के पास जमा करानी होगी। परियोजना की क्रियान्वयन तिथि से लेकर अगले 10 साल तक ट्रांसमिशन शुल्क, व्हीलिंग चार्ज में  क्रमश: 50 से 60 प्रतिशत की रियायत दी जाएगी। स्टैंडअलोन और हाइब्रिड बिजली संयंत्रों को क्रमशः अगले 10 वर्षों और 15 वर्षों के लिए बिजली शुल्क पर 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी। इसके अलावा क्रॉस सब्सिडी और सरचार्ज भी माफ किया जाएगा।

जीवाश्म ईंधन के आयात में होगी कमी
केंद्र सरकार का लक्ष्य देश में कम से कम 5 एमएमटी (मिलियन मीट्रिक टन) ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता का विकास करना है। इसमें कुल आठ लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया जाएगा। इससे छह लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे और  कुल मिलाकर एक लाख करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) के आयात में कमी होगी। वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 एमएमटी की कमी होगी।

मराठा-कुनबी छात्रों को विदेश में पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति  
राज्य के मराठा, कुणबी, कुणबी-मराठा, मराठा-कुणबी जाति के मेधावी छात्रों को विदेश में उच्च अध्ययन की सयाजीराव गायकवाड-सारथी छात्रवृत्ति योजना को मंगलवार को कैबिनेट ने मंजूरी प्रदान की है। इस योजना के तहत हर साल 75 छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाएगी। इन समाजों के छात्र आर्थिक स्थिति के कारण उच्च शिक्षा के लिए विदेश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में प्रवेश नहीं ले पाते। इसे ध्यान में रखते हुए वर्तमान में क्यू-एस वर्ल्ड रैंकिंग में 200 वें स्थान पर आने वाले शैक्षणिक संस्थानों या विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने वाले छात्रों को इस छात्रवृत्ति का लाभ मिलेगा। यह योजना 2023-24 से लागू की जाएगी। योग्य छात्रों के आवेदन सारथी संस्थान से ऑनलाइन आमंत्रित किए जाएंगे। इंजीनियरिंग, वास्तुकला, प्रबंधन, विज्ञान, वाणिज्य-अर्थशास्त्र, कला, कानून, फार्मेसी में पाठ्यक्रमों के लिए 50 मास्टर्स, डिग्री, डिप्लोमा और 25 डॉक्टरेट छात्रवृत्तियां प्रदान की जाएंगी। इस योजना पर 5 वर्षों के लिए 275 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है। पहले वर्ष के लिए 25 करोड़ रुपए के खर्च को आज मंजूरी दे दी गई।

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