चंद्रकांत पाटिल "भीख" वाले बयान पर कायम

Fri, Dec 09 , 2022, 08:29 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

मुंबई। राज्य के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल (Chandrakant Patil) के एक बयान (Statement) पर तीखी प्रतिक्रिया (strong reaction) देखने को मिली। पैठण में एक कार्यक्रम में बोलते हुए पाटिल ने कहा कि फुले-आंबेडकर और कर्मवीर भाऊराव पाटिल ने स्कूल खोलने के लिए भीख मांगी थी। बढ़ते विवाद के बावजूद वे अपने बयान पर टिके रहे। पाटिल ने कहा कि मैंने कुछ गलत नहीं कहा। मैंने उनके बारे में आदर व्यक्त किया। स्कूल खोलने के लिए उन्होंने सरकार से अनुदान नहीं मांगा, उन्होंने लोगों से भीख मांगी। अब भीख क्या है? आज की भाषा में इसे सीएसआर, चंदा या दान कह सकते हैं।
पाटिल ने कहा कि आमतौर पर हम कहते हैं कि घर-घर भीख मांगी और अपनी संस्था को खड़ा किया। संत विश्वविद्यालय शुरू करने के लिए सरकार की मदद पर निर्भर नहीं रहते हुए समाज के दानदाताओं की मदद ली जाएगी। यह बोलते हुए मैंने यह वाक्य जोड़ा कि स्कूल शुरू करने के लिए बाबा साहेब आंबेडकर, महात्मा फुले और कर्मवारी भाऊराव पाटिल को सरकार से अनुदान नहीं मिला और उन्होंने लोगों से भीख मांगकर स्कूल चलाए। उस दौरान 10 रुपए देने वाले लोग थे, आज 10-10 करोड़ रुपए देने वाले लोग हैं। मंत्री ने कहा कि आजकल हर बात को लेकर विवाद पैदा करने की कोशिश हो रही है, जो लोग मेरे भाषण की क्लिप देखेंगे, उन्हें लगेगा कि ये सब क्या चल रहा है।
बहुजन समाज का अपमान किया: पटोले  
इधर उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री के बयान पर कांग्रेस ने ऐतराज जताया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले (Nana Patole) ने कहा कि भाजपा नेता ने महात्मा ज्योतिबा फुले, कर्मवीर भाऊराव पाटिल और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के बारे में विवादित बयान देकर एक बार फिर महापुरुषों का अपमान किया है। उन्होंने सवाल किया कि क्या चंद्रकांत पाटिल को भीख और जनकल्याण कार्यों के लिए लोगों से चंदा और दान लेने के बीच का अंतर नहीं पता है? पटोले ने कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, कर्मवीर भाऊराव पाटिल ने बहुजन समाज के गरीब बच्चों के लिए स्कूल खोलकर शिक्षा के द्वार खोले। इन महापुरुषों ने बहुजन समाज के बच्चों की शिक्षा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। चंदा और दान के रूप में लोगों से धन जमा कर समाज के कल्याण के लिए स्कूल खोले गए। जनभागीदारी के तहत शिक्षण संस्थाओं का गांवों तक विस्तार किया गया, लेकिन चंद्रकांत पाटिल इन महापुरुषों और उनके द्वारा किए गए महान कार्यों का अपमान कर रहे हैं। नाना पटोले ने कहा कि पाटिल ने भीख मांगने का बयान देकर बहुजन समुदाय का भी अपमान किया है।

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