प्रदूषण ने बढ़ाई बीमारी, मुंबईकरों का पकड़ रहा गला

Thu, Dec 08 , 2022, 06:48 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

प्रदूषण ने बढ़ाई बीमारी
- जलवायु परिवर्तन का भी असर
मुंबई।
  पिछले आठ दिनों से मुंबई  के हवा की गुणवत्ता में गिरावट दर्ज की जा रही है । जिसके  कारण मुंबई में सांस की बीमारियां तेज से बढ़ गई है।  सर्दी, खांसी, बुखार के साथ गले में खराश के मरीजों की संख्या में 10 से 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।  सांस के मरीजों की परेशानी तेजी से  बढ़ रही  है। मनपा  के स्वास्थ्य विभाग की ओर से बताया गया कि मौसम में हुए  बदलाव जैसे दिन में गर्मी और रात में ठंड के कारण बीमारी बढ़ी है.
मुंबई में हवा  धुल का प्रमाण (air dust proof) बहोत ही बढ़ गया है जिसका स्तर 293 रिकॉर्ड किया गया है। मौसम विज्ञानियों ने कहा कि यह मात्रा 'खराब' गुणवत्ता वाली है। मुंबई में कोलाबा, मलाड, मझगाँव, बीकेसी, अंधेरी इलाके में हवा का स्तर  (एअर क्वालिटी इंडेक्स) बहोत ही नीचे गिर गया है।  इसके अलावा पूरे मुंबई शहर में हवा की गुणवत्ता गिरी है जिससे सांस की बीमारी बड़ी तेजी से बढ़ी है।  मनपा प्रशासन का कहना है कि  लोगो को साँस लेने में तकलीफ और दमा लगने जैसा हो  रहा है।  मौसम विभाग के अनुसार हवा की गति धीमी होने से हवा में धूल और प्रदूषण बने रहने से हवा की गुणवत्ता में कमी आई है।

ऐसा है ‘एअर क्वालिटी इंडेक्स’
- हवा की गुणवत्ता जांचने के लिए 'एयर क्वालिटी इंडेक्स' 'AQI' का जाँच किया जाता है. 0 से 50 के बीच 'एक्यूआई' को बेहद साफ हवा माना जाता है।
- 'एक्यूआई 51 से 100 के बीच
- सामान्य  हवा' मानी जाती है।   'एक्यूआई 101 से 200 के बीच
- 'मध्यम हवा' और  'एक्यूआई' 201 से 300 के बीच -'खराब' हवा मानी जाती है ।
-  301 से 400 'एक्यूआई' -  बहोत ही खराब हवा मणि जाती है जबकि  401 से 500 'एक्यूआई' को  स्थिति गंभीर  मणि जाती है।

मास्क का प्रयोग करें, बीमारी फैलने से बचे
- बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से सांस की बीमारी के मरीजों की संख्या में 15 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी  हुई है। जिसके चलते मुंबईकरों को सावधान रहना चाहिए।  मनपा के सायन  अस्पताल के डीन मोहन जोशी ने  सलाह दी  है कि अगर आप दोपहर और शाम को भीड़भाड़ वाली जगह पर जाएं तो मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए.उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी बीमारी का  लक्षण दिखाई देने पर उसका तुरंत इलाज कराना चाहिए।

टीका लगवाएं
- सर्दी के दिनों में अचानक से वातावरण में आए बदलाव से सांस की बीमारी के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। इसके अलावा अस्थमा जैसी बीमारी से पीड़ित  मरीजो का भी प्रमाण बढ़ता है  इसलिए  श्वसन संबंधी विकार वाले लोगों को गाइडलाइन  के अनुसार निमोनिया, फ्लू का टीकाकरण पूरा करना चाहिए।

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