आरएसएस ने संविधान को बताया था "पाश्चात्य मूल्यों" पर आधारित : खरगे

Wed, Nov 26 , 2025, 03:56 PM

Source : Uni India

नयी दिल्ली 26 नवंबर (वार्ता)। कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने बुधवार को संविधान दिवस (Constitution Day) पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) (Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS)) पर निशाना साधते हुए कहा कि उसने संविधान को पाश्चात्य मूल्यों को आधारित बताया था और संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर का पुतला फूँका था।
श्री खरगे ने आज यहां संविधान दिवस के मौक़े पर देशवासियों को बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि भारत रत्न डॉ. अंबेडकर, पंडित जवाहरलाल नेहरु और डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संविधान सभा के साथ मिलकर संविधान का ही नहीं, एक ऐसे भारत का निर्माण किया, जहां लोकतंत्र सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि भारत न्याय, समानता, आज़ादी, परस्पर भाईचारा, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद भारत की पहचान बन गया था लेकिन आज ये पहचान खतरे में है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि जब संविधान लागू हुआ था, तब आरएसएस जैसे संगठन खुले तौर पर कहते थे कि संविधान "पाश्चात्य मूल्यों" पर आधारित है और उनका आदर्श तो मनुस्मृति है। इतिहास गवाह है कि आरएसएस संविधान के ख़िलाफ़ थे। आज विडम्बना यह है कि जो लोग कभी संविधान से ज़्यादा मनुस्मृति को मानते थे, सत्ता में आने के बाद मजबूरी और राजनीतिक आवश्यकता के कारण उसी संविधान को अपना बताने की कोशिश कर रहे हैं।
श्री खरगे ने कहा कि 11 दिसंबर, 1948 को आरएसएस ने रामलीला मैदान में बड़ा सम्मेलन करके डॉ. अंबेडकर जी का पुतला भी फूंका था। आरएसएस ने केवल संविधान और तिरंगे का विरोध ही नहीं किया, बल्कि अंग्रेजी राज में जब स्वाधीनता सेनानी जेलों में थे, तो आरएसएस अंग्रेजों के साथ थी और उसी आरएसएस की मोदी जी लाल किले से तारीफ करते हैं। जबकि गांधीजी की हत्या के बाद 30 जनवरी 1948 को आरएसएस पर पहला प्रतिबंध सरदार पटेल जी ने लगाया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आज श्री मोदी हमें कॉलोनाइजेशन के खतरे पर ज्ञान दे रहे हैं, पर ये उसी विचारधारा के लोग हैं, जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई में, राष्ट्रीय आंदोलन में एक मिनट भी देश की जनता का साथ नहीं दिया, उल्टा अंग्रेज़ों की गुलामी की। उन्होंने कहा कि देश की जनता जान चुकी है कि संस्थानों को कौन चोट पहुंचा रहा है।
उन्होंने कहा कि भाजपा-आरएसएस के लोग संविधान की धज्जियां उड़ाने में व्यस्त हैं। इसलिए आज संविधान के प्रति इनका ये सम्मान केवल दिखावा और ढोंग है।

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