नयी दिल्ली, 26 नवंबर (वार्ता)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Lok Sabha Speaker Om Birla) ने कहा है कि भारत का संविधान दुनिया का सबसे जीवंत और सफल संविधान है और इसके मार्गदर्शन में देश ने सुशासन, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में परिवर्तनकारी यात्रा तय की है।
श्री बिरला ने बुधवार को 'संविधान दिवस' (Constitution Day) पर यहां संसद भवन परिसर में संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित मुख्य समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि देश विभिन्न क्षेत्रों में तरक्की करते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और जल्द ही तीसरा स्थान हासिल कर लेगा। बड़ी चुनौती 2047 के विकसित भारत के लक्ष्य की है जिसे संविधान के दिशा निर्देश में सामूहिक जिम्मेदारी के साथ हासिल करना है।
समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu), उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन (CP Radhakrishnan) , प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) , राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा, संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी मौजूद थे। राष्ट्रपति ने इस दौरान डिजिटल माध्यम में संविधान के संस्करण को 9 भाषाओं मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगू, उड़िया तथा असमिया में जारी किया। पंजाबी और बोड़ो भाषा में पहली बार संविधान के संस्करण आये हैं। उन्होंने इस मौके पर संविधान से कला और कैलीग्राफी बुकलेट का भी अनावरण किया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संविधान दिवस समारोह में स्वागत संबोधन में राष्ट्र से संविधानिक मूल्यों को व्यवहार में उतारने का आह्वान किया और इसे विकसित भारत की दिशा में पहला अनिवार्य कदम बताया। उन्होंने कहा कि प्रस्तावना का 'हम भारत के लोग' केवल शब्द नहीं, बल्कि भारत की एकता, सामूहिक शक्ति और जन-कल्याण की सबसे सशक्त अभिव्यक्ति है। संविधान द्वारा सुनिश्चित न्याय, समान अवसर और मानवीय गरिमा ही भारत के लोकतांत्रिक चरित्र की सबसे मजबूत नींव है।
डॉ भीमराव अम्बेडकर एवं संविधान सभा (Dr. Bhimrao Ambedkar and the Constituent Assembly) के सदस्यों को नमन करते हुए उन्होंने कहा कि उनके अद्भुत ज्ञान, विवेक, दूरदृष्टि और अथक परिश्रम से ही देश को ऐसा संविधान मिला जो हमें न्याय, समानता, बंधुत्व और हर नागरिक को सम्मान और गरिमा की गारंटी देता है। पिछले सात दशक में संविधान के आलोक में देश ने नीतियां और कानून बनाए और सामाजिक न्याय तथा समावेशी विकास के लक्ष्य प्रापत किये। इस दौरान देश में सामाजिक आर्थिक विकास की एक परिवर्तन यात्रा तय की है और यह सब हमने विश्व के सबसे जीवंत और सफल लोकतंत्र में हासिल किया है।
उन्होंने कहा "आज हम सभी का सामूहिक लक्ष्य वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का है और यह लक्ष्य तभी पूर्ण होगा जब हम अपने जीवन में संविधान के मूल्यों और आदर्शों को अपनाएंगे।



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