नयी दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) धोखाधड़ी मामले में नवी मुंबई तथा अन्य स्थानों पर रिलायंस कम्यूनिकेशंस की 1,452 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। रिलायंस समूह ने एक बयान जारी कर सफाई दी है कि आरकॉम अब उसका हिस्सा नहीं है। केंद्रीय एजेंसी ने गुरुवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि ईडी मुख्यालय स्थित विशेष कार्यबल ने धन शोधन संबंधी कानून के प्रावधानों के तहत नवी मुंबई स्थित धीरू भाई अंबानी नॉलेज सिटी और मिलेनियम बिजनेस पार्क में कई इमारतों को कुर्क किया है। इसके अलावा, पुणे, चेन्नई और भुवनेश्वर में भी उसने कुछ भूखंडों और इमारतों की कुर्की की है।
कुर्क की गयी संपत्तियों की कुल कीमत 1,452.51 करोड़ रुपये है। रिलायंस समूह ने जारी बयान में दावा किया कि खुद ईडी की मीडिया रिलीज के अनुसार, कुर्क की गयी संपत्तियां रिलायंस कम्यूनिकेशंस की हैं जो साल 2019 के बाद से समूह का हिस्सा नहीं है। कंपनी पिछले छह साल से कॉर्पोरेट शोधन अक्षमता प्रक्रिया से गुजर रही है। इसकी समाधान प्रक्रिया से जुड़े सभी मुद्दे वर्तमान में राष्ट्रीय कंपनी कानून प्राधिकरण (एनसीएलटी) और उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित हैं।
बयान में कहा गया है कि रिलायंस कम्युनिकेशंस का प्रबंधन फिलहाल एनसीएलटी और भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह द्वारा नियुक्त समाधान पेशेवर कर रहे हैं।
बयान में इस बात का उल्लेख किया गया है कि रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस से छह साल पहले ही इस्तीफा दे दिया था और वह किसी भी प्रकार कंपनी से जुड़े हुए नहीं हैं। उसने स्पष्ट किया कि समूह की कंपनियों रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर के कामकाज, प्रदर्शन और भविष्य की संभावनाओं पर ईडी की कार्रवाई का कोई उल्लेखनीय प्रभाव नहीं होगा। पिछले साढ़े तीन साल से अंबानी दोनों कंपनियों के निदेशक मंडल में भी नहीं रहे हैं।
ईडी पहले भी इस मामले में आरकॉम, रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड की कुल 7,545 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति कुर्क कर चुका है। प्रवर्तन निदेशालय ने आरकॉम, अनिल अंबानी और अन्य के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज एक मामले के आधार पर जांच शुरू की थी। आरोप है कि आरकॉम और समूह की कंपनियों ने घरेलू और विदेशी ऋणदाताओं के कर्ज लिए थे जिनमें 40,185 करोड़ रुपये की राशि बकाया है। नौ बैंकों ने समूह के बैंक खातों को धोखाधड़ी वाला घोषित किया है।
ईडी की जांच में पता चला है कि समूह की एक कंपनी द्वारा ली गयी ऋण राशि में से 13,600 करोड़ रुपये दूसरी कंपनियों के ऋण भुगतान के लिए इस्तेमाल की गई, 12,600 करोड़ रुपये संबंधित पक्षों को हस्तांतरित किये गये और 1,800 करोड़ रुपये का निवेश सावधि जमा/म्यूचुअल फंड में निवेश किया गया। ईडी ने हालिया कुर्की को मिलाकर अबतक इस मामले में 8,997 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है।



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