मुंबई: डिजिटल भुगतान के अगले चरण में बायोमीट्रिक और बिना पिन यूपीआई (यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस) इसके विकास को गति प्रदान करेंगे। यूरोपीय भुगतान प्रोसेसिंग कंपनी वर्ल्डलाइन की बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गयी है।
कंपनी का मानना है कि भारत में डिजिटल भुगतान के अगले चरण को गति प्रदान करने में बायोमीट्रिक भुगतान और बिना पिन यूपीआई, चैट आधारित भुगतान, और यूपीआई से वैश्विक विस्तार की अहम भूमिका होगी। साथ ही यूपीआई पर ऋण से नये सिग्मेंट में डिजिटल स्वीकार्यता और समावेशन का विस्तार होगा।
वर्ल्डलाइन के भारतीय कारोबार के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रमेश नरसिम्हन ने कहा कि भारत के डिजिटल भुगतान की गाथा अब सिर्फ सुविधा के बारे में नहीं है, यह सशक्तिकरण की गाथा है। छोटे व्यापारियों से लेकर कॉर्पोरेट तक सभी विश्वास और नवाचार के समान रास्ते पर हैं। भविष्य में पारिस्थितिकी को टिकाऊ, समावेशी और दुनिया से कनेक्टेड बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पहली छमाही में यूपीआई लेनदेन की संख्या सालाना आधार पर 35 प्रतिशत बढ़कर 106.36 अरब पर और मूल्य 143.34 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। छोटी खरीदारी के लिए यूपीआई का इस्तेमाल बढ़ने से प्रति ट्रांजेक्शन मूल्य घटकर 1,348 रुपये रह गया।
इसमें बताया गया है कि क्रेडिट कार्ड पर मासिक खर्च 2.2 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। हालांकि पीओएस पर डेबिट कार्ड के इस्तेमाल में आठ प्रतिशत की गिरावट आयी है क्योंकि कम मूल्य के ट्रांजेक्शन के लिए लोग अब यूपीआई को प्राथमिकता दे रहे हैं।
वहीं, ऊंचे मूल्य के ट्रांजेक्शन के लिए नेटबैंकिंग अब भी सबसे बड़ा विकल्प बना हुआ है। इसकी संख्या घटकर 2.2 अरब रह गयी है, लेकिन ट्रांजेक्शन की कुल राशि 30 प्रतिशत बढ़कर 717 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गयी है। इसमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी कॉर्पोरेट और सरकार के लेनदेन की है।



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Thu, Oct 30 , 2025, 08:15 AM