Chhathi Maiya Vrat Katha : पहिले-पहिले हम कइनी, छठी मइया व्रत तोहार...गोदी के बलकवा के दिह, छठी मइया ममता दुलार..., हरे- हरे बांसे का बहँगिया, बहँगी लचकत जाय..., गीतों की गूंज के साथ चार दिवसीय छठ पर्व शुरू हुआ। छठ पूजा की शुरुआत आज यानी 25 अक्टूबर से नहाय खाय (Chhath Puja 2025 Nahay Khay) के साथ हो गई है। लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja 2025) का त्योहार बिहार समेत देशभर में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दौरान भगवान सूर्य और छठी मैया की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, छठ पूजा व्रत करने से संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस पर्व का समापन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होता है। छठ पूजा का व्रत 36 घंटे तक किया जाता है। छठ व्रतियों ने सुबह से भगवान भास्कर की आराधना के महापर्व छठ का अनुष्ठान कर नहाय-खाय से शुरू किया। नहाए खाए में छठ व्रतियों ने लौकी की सब्जी का सेवन कर शुरू किया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि छठ मैया की उत्पत्ति कैसे हुई? अगर नहीं पता, तो आइए पढ़ते हैं छठ मैया (Chhath Puja Katha) के उत्पन्न होने की कथा।
कैसे करें खरना पूजन की शुरुआत
छठ व्रती घाटों से जल ले जाकर मिट्टी के बने चूल्हे पर शुद्ध वातावरण में प्रसाद तैयार करेंगे। 36 घंटे के निर्जला व्रत के साथ व्रती सूर्य की आराधना में डूबे रहेंगे।
आज से चार दिवसीय छठ महापर्व 'नहाय-खाय' के साथ शुरू हो रहा है। व्रती घर की सफाई कर यमुना में स्नान करते हैं। जो यमुना नहीं जा पाते, वो घर पर ही जल से स्नान करते हैं। इस दिन कद्दू-भात (लौकी और चावल) बनाया जाता है, जिसमें सेंधा नमक का प्रयोग होता है। सूर्य देव को भोग लगाने के बाद व्रती इसे ग्रहण करते हैं। यह भोजन उपवास के लिए ऊर्जा प्रदान करता है।
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार छठी मैया के उत्पत्ति की कथा -
वैसे तो बहुत सी किंवदंतियां हैं फिर भी मार्कण्डेय पुराण में विस्तार से बताया गया है कि ब्रह्मा जी ने प्रकृति का निर्माण किया, जिसके बाद देवी प्रकृति (Goddess Nature) ने स्वयं को छह रूपों बांटा था। छठे हिस्से को छठी मैया के रूप में जाना गया। इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। छठी मैया को मानस पुत्री के रूप में भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में संतान के होने पर छठे दिन छठी मैया की पूजा-अर्चना करने का विधान है, जिससे बालक को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। छठ महापर्व में महिलाएं कठोर नियमों का पालन करते हुए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देकर परिवार की सुख-समृद्धि व संतान की दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं। अगर महिलाएं पहली बार छठ व्रत कर रहे हैं, तो यह जानना महत्वपूर्ण है कि यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक अनुशासित और पवित्र जीवनशैली का प्रतीक भी है।
कैसे हुई छठ पूजा की शुरुआत
पौराणिक कथा के अनुसार, एक राजा प्रियंवद थे और उनकी पत्नी का नाम मालिनी था। उनकी कोई संतान नहीं थी, जिसकी वजह से वह बेहद दुखी थे। इस समस्या से परेशान होकर वह एक दिन ऋषि कश्यप के पास पहुंचे। ऋषि ने उनको संतान प्राप्ति के लिए यज्ञ करने की सलाह दी, जिसके बाद उन्होंने यज्ञ किया। इसके शुभ फल प्राप्ति से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। वह बालक मरा हुआ था। इसके बाद राजा ने अपने प्राण त्यागने का फैसला लिया। उसी समय कन्या देवसेना अवतरित हुईं और उन्होंने राजा प्रियंवद से कहा कि आप मेरी पूजा करें। मैं मूल प्रवृत्ति में छठे अंश से उत्पन्न हुईं हूं। इसी वजह से मैं षष्ठी कहलाऊंगी। इसके बाद राजा ने कन्या देवसेना की पूजा-अर्चना की, जिससे उसे पुत्र की प्राप्ति हुई। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि तभी से छठ पूजा की शुरुआत हुई।
कब है खरना 2025 डेट (Kharna 2025 Date)
आज यानी नहाय खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत हो गई है। वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर खरना होता है। इस बार 26 अक्टूबर (Kab hai Kharna 2025) को खरना है। 27 अक्टूबर को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और 28 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा
छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाली आवश्यक सामग्री
दो बड़ी बांस की टोकरियां (डावरी) – प्रसाद रखने के लिए
सूर्य देव को अर्घ्य देने हेतु बांस या पीतल का बर्तन
व्रती और परिवार के लिए नए कपड़े
अर्घ्य के लिए दूध और गंगाजल रखने वाला गिलास, लोटा और थाली
पानी से भरा नारियल
पांच पत्तेदार गन्ने के तने
चावल, गेहूं और गुड़
प्रसाद में बनाने के लिए ठेकवा, गुड़ और गेहूं के आटे की सामग्री
12 दीपक, अगरबत्ती, बत्तियां, कुमकुम और सिंदूर
केले का पत्ता (पूजन स्थल सजाने के लिए)
फलों में – केला, सेब, सिंघाड़ा, शकरकंद, सुथनी (रतालू), अदरक का पौधा
हल्दी की गांठें और सुपारी
शहद और मिठाइयां
गंगाजल और दूध (अर्घ्य व स्नान हेतु)



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Sat, Oct 25 , 2025, 03:02 PM