Bihar Assembly Elections: लखीसराय में विजय कुमार सिन्हा की प्रतिष्ठा दांव पर! सूर्यगढ़ा में इस बार अमरेश कुमार चुनावी अखाड़े में, प्रह्लाद यादव चुनावी मैदान में नही उतरे

Sat, Oct 25 , 2025, 12:33 PM

Source : Uni India

Lakhisarai Assembly Seat: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly elections) में प्रथम चरण के तहत लखीसराय जिले में 06 नवंबर को होने वाले चुनाव में लखीसराय सीट (Lakhisarai seat in Lakhisarai District) पर राज्य के उप मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज नेता विजय कुमार सिन्हा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, वहीं सूर्यगढ़ा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कद्दावर नेता और पांच बार के विधायक रहे प्रह्ललाद यादव इस बार चुनावी मैदान में नही उतरे हैं। लखीसराय जिले में दो विधानसभा सीटें लखीसराय और सूर्यगढ़ा (Lakhisarai and Suryagarha) है। लखीसराय में भाजपा जबकि सूर्यगढ़ा में राजद का कब्जा है। लखीसराय विधानसभा सीट पर उप मुख्यमंत्री और भाजपा प्रत्याशी विजय कुमार सिन्हा की प्रतिष्ठा दांव पर है। 

इस सीट पर महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के टिकट पर अमरेश कुमार चुनावी अखाड़े में उतरे हैं। इस सीट पर मुख्य मुकाबला श्री सिन्हा और श्री कुमार के बीच माना जा रहा है। हालांकि, इस चुनावी जंग को त्रिकोणीय बनाने का काम जन सुराज के युवा उम्मीदवार सूरज कुमार कर रहे हैं, जो पूरी ऊर्जा के साथ जनता के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश में जुटे हैं।इस सीट पर चुनाव को अजीबोगरीब बनाने वाली बात यह है कि कांग्रेस उम्मीदवार अमरेश कुमार के नाम के दो और प्रत्याशी मैदान में उतर गए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इन 'डमी' उम्मीदवारों का सीधा उद्देश्य अमरेश कुमार के पक्ष में पड़ने वाले वोटों को बिखेरना है, जिससे वोटों की बर्बादी होनी तय है। इसका अजीबोगरीब समीकरण का सीधा लाभ उप मुख्यमंत्री श्री सिन्हा को मिल सकता है।

उप मुख्यमंत्री सिन्हा की सबसे बड़ी ताकत उनके कार्यकाल में हुए विकास कार्य और उनकी व्यक्तिगत छवि है। धरातल पर उतरे विकास कार्यों को लेकर जनता में राजग के प्रति एक सकारात्मक रुख देखा जा रहा है। स्थानीय लोगों के मिजाज को समझने पर यह स्पष्ट होता है कि वे विकास की रफ्तार को रोकने के मूड में बिल्कुल नहीं दिख रहे हैं। लिहाजा, 'तमाम रणनीतिक चुनौतियों के बावजूद, उप मुख्यमंत्री श्री सिन्हा का ही पलड़ा भारी दिखाई पड़ रहा है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस बार लखीसराय का चुनाव केवल दो गठबंधनों के बीच की लड़ाई नहीं, बल्कि एक बड़े नेता की प्रतिष्ठा बनाम वोटों के बिखराव की चुनौती का संगम है।
उप मुख्यमंत्री सिन्हा इस सीट से चार बार जीत का सेहरा अपने सर पे बांध चुके हैं।  सिन्हा ने वर्ष 2005 फरवरी में पहली बार इस सीट पर जीत दर्ज की थी।

 उन्होंने राजद के प्रत्याशी फुलेना सिंह को पराजित किया था। हालांकि अक्टूबर 2005 में हुये चुनाव में बाजी पलट गयी। राजद के फूलेना सिंह ने भाजपा के श्री सिन्हा को मात दे दी थी। इसके बाद सिन्हा ने वर्ष 2010, 2015 और 2020 में लगातार तीन बार यहां जीत का परचम लहराया। लखीसराय सीट पर चार बार जीत का परचम लहरा चुके श्री सिन्हा यहां पांचवी बार अपना दम दिखाने के लिये बेताब हैं, वहीं कांग्रेस के अमरेश कुमार उनके विजय रथ को रोकने की पुरजोर कोशिश में लगे हैं। इस सीट पर 13 प्रत्याशी चुनावी मैदान में डटे हैं। सूर्यगढ़ा सीट पर राजद ने पांच बार के विधायक दिग्गज नेता प्रह्लाद यादव की जगह पार्टी ने नये खिलाड़ी प्रेम सागर चौधरी पर दांव लगाया है, वहीं जनता दल यूनाईटेड ने यहां पार्टी के जिलाध्यक्ष रामानंद मंडल को समर में उतारा है।

 जिला परिषद सदस्य अमित सागर को जन सुराज ने उम्मीदवार बनाया है, जो यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में लगे हुये हैं। वर्ष 2020 के चुनाव में राजद के प्रत्याशी प्रह्लाद यादव ने जदयू के रामानंद मंडल को पराजित किया था। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) उम्मीदवार रवि शंकर सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे। जदयू नेता रामानंद मंडल पिछली हार को जीत में बदलने की पुरजोर कोशिश में हैं। वहीं प्रेम सागर के पास राजद के गढ़ को बचाने के साथ ही खुद को साबित करने की भी चुनौती है।बहरहाल, मतदाताओं का रुझान क्या होगा यह कहना अभी मुश्किल है।सूर्यगढ़ा में भूमिहार और कुर्मी मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं, जबकि यादव और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है। ऐसे में, भूमिहार समुदाय के वोटों का ध्रुवीकरण यदि रवि शंकर सिंह के पक्ष में होता है, तो वह राजद और जदयू दोनों के समीकरणों को बिगाड़ सकते हैं।

 वहीं, जन सुराज के अमित सागर भी कुर्मी वोटों में सेंध लगा सकते हैं, जिसका सीधा नुकसान जदयू उम्मीदवार को हो सकता है।फिलहाल, सूर्यगढ़ा विधानसभा का चुनाव परिणाम क्या होगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन इतना तय है कि इस बार यह सीट हाई-वोल्टेज चुनावी लड़ाई का गवाह बनेगी। राजद विधायक प्रह्लाद यादव ने 12 फरवरी 2024 को विधानसभा में शक्ति परीक्षण के दौरान पाला बदलकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का साथ दिया था। श्री यादव को उम्मीद थी कि उन्हें इस बार राजग की ओर से चुनाव लड़ने का अवसर मिलेगा, लेकिन बात नहीं बनी। श्री यादव ने पांच बार 1995, 2000,2005 फरवरी, 2015 और 2020 में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है। इस सीट पर इस बार आठ प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे हैं।

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