नयी दिल्ली: कांग्रेस ने कहा है कि 20 साल पहले इसी दिन डॉ मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) की सरकार ने शासन में पारदर्शिता लाने के लिए 'सूचना का अधिकार' (RTI) कानून लागू किया, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार (central government) ने इसे कमजोर करने का काम किया है। पार्टी ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार ने सचाई छिपाने और अपनी कमजोरी जनता के सामने नहीं आने देने के लिए 'सूचना का अधिकार (Right to Information Act)' कानून को सोची समझी रणनीति के तहत कमजोर किया। पार्टी ने कहा कि मोदी सरकार ने इस काम के लिए कानून में संशोधन तक कर डाला। दरअसल उनको डर था कि जनता से किए वादों की पोल खुल न जाए इसलिए सरकार ने कानून ही बदल दिया।
कांग्रेस संचार विभाग प्रभारी जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने रविवार को पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आरटीआई (RTI) का मकसद था कि शासन-प्रशासन को जो जानकारी है वह जनता को भी मिले, लेकिन मोदी सरकार इस कानून को खत्म करने में लगी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर संभालने के चार महीने में ही योजना आयोग खत्म कर दिया और अब उनकी योजना आरटीआई को खत्म करने की है।
उनका कहना था कि सूचना आयुक्तों के पदों पर भर्ती नहीं हो रही है और इसमें जानबूझकर देर की जाती है ताकि अवैध कार्यों की जानकारी किसी को न मिल सके। सरकार आरटीआई को खत्म कर रही है ताकि उसकी कोई आलोचना न कर सके। रमेश ने कहा "बीस साल पहले 2005 में आरटीआई लागू हुआ। इस कानून की आज 20वीं सालगिरह है। यह कानून कांग्रेस ने लागू किया लेकिन आज इसकी हकीकत बदल गई है। मोदी सरकार ने जुलाई 2019 में इस कानून में बदलाव कर दिए। इनका मकसद कानूनी अधिकारों को कमज़ोर करना और केंद्रीय सूचना आयोग की शक्तियों को कम करना था। संसद की स्थाई समिति के सुझावों को मोदी सरकार ने नजरअंदाज कर दिया ।
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Sun, Oct 12 , 2025, 02:31 PM