Health: गतिहीन जीवनशैली, तनाव और आनुवंशिकी के कारण युवाओं में गठिया की समस्या बढ़ रही है। समय पर निदान, जीवनशैली में बदलाव, फिजियोथेरेपी और न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रियाओं जैसे उन्नत उपचार रोगियों को सक्रिय जीवन जीने में मदद कर रहे हैं।
गठिया अब केवल बुजुर्गों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि 20 से 50 वर्ष की आयु के लोगों में भी गठिया का निदान हो रहा है और रोगियों की संख्या बढ़ रही है। कई युवा रोगी जोड़ों में अकड़न या सूजन जैसे शुरुआती लक्षणों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, लेकिन आगे चलकर उन्हें लंबे समय तक दर्द का सामना करना पड़ता है। 12 अक्टूबर को दुनिया भर में 'विश्व गठिया दिवस' मनाया जाता है।
गठिया के लक्षण क्या हैं?
पुणे स्थित अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. अनूप गडेकर ने कहा, "हर महीने, ओपीडी में इलाज के लिए आने वाले 10 में से 4 लोग गठिया से जुड़े जोड़ों के दर्द और अकड़न के लक्षणों का अनुभव करते हैं। लंबे समय तक बैठे रहना, व्यायाम की कमी, गलत बैठने की मुद्रा, चोट लगना, मोटापा, स्व-प्रतिरक्षित रोग, पारिवारिक इतिहास और तनाव ऐसे कारक हैं जो इस स्थिति को बढ़ावा देते हैं।
लक्षणों में जोड़ों में अकड़न, दर्द, सूजन, गर्मी, हड्डियों के लचीलेपन में कमी और थकान शामिल हैं। अगर गठिया को नज़रअंदाज़ किया जाए, तो यह लंबे समय तक दर्द, जोड़ों की विकृति, विकलांगता और जीवन की गुणवत्ता में कमी का कारण बन सकता है। नियमित व्यायाम, वज़न नियंत्रण और तनाव प्रबंधन जैसे जीवनशैली में बदलाव इस बीमारी को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकते हैं।
गठिया का इलाज क्या है?
समय पर ध्यान न देने के कारण गठिया की शिकायतें बढ़ रही हैं। शुरुआती निदान जोड़ों की सूजन को नियंत्रित करने, दर्द को कम करने और दीर्घकालिक क्षति को रोकने में मदद करता है। समय पर फिजियोथेरेपी, दवाइयाँ और उन्नत उपचार प्रक्रियाएँ रोगियों को दीर्घकालिक राहत प्रदान करती हैं और विकलांगता को रोकने में मदद करती हैं।
नियमित शारीरिक गतिविधि, स्वस्थ और संतुलित आहार, वज़न नियंत्रण, तनाव प्रबंधन और चिकित्सा उपचार से इस समस्या से बचा जा सकता है। इसलिए, शुरुआती लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें और समय पर चिकित्सा सहायता लेना न भूलें।
गठिया के प्रकार क्या हैं?
- ऑस्टियोआर्थराइटिस: यह गठिया का सबसे आम प्रकार है। इसमें जोड़ों की उपास्थि घिस जाती है, जिससे हड्डियाँ आपस में रगड़ खाती हैं।
- रुमेटीइड आर्थराइटिस (आरए): इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जोड़ों की परत पर हमला करती है। इससे जोड़ों में सूजन, दर्द और अकड़न होती है। इसके लक्षण आमतौर पर सुबह के समय ज़्यादा गंभीर होते हैं।
- सोरियाटिक आर्थराइटिस: यह सोरायसिस नामक त्वचा रोग से संबंधित है। यह त्वचा के साथ-साथ जोड़ों को भी प्रभावित करता है।
- गाउट: यह एक दर्दनाक गठिया है जो रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने के कारण होता है। ये यूरिक एसिड क्रिस्टल जोड़ों में जमा हो जाते हैं, जिससे गंभीर दर्द और सूजन होती है।
- किशोर इडियोपैथिक आर्थराइटिस (जेआईए): यह गठिया का एक प्रकार है जो बच्चों में होता है। इसके लक्षण 16 साल की उम्र से पहले दिखाई देते हैं और जीवन भर रह सकते हैं।
जीवनशैली में उचित बदलाव करके गठिया का प्रबंधन करें:
1. नियमित व्यायाम: टहलना, योग, तैराकी या स्ट्रेचिंग जैसे हल्के व्यायाम जोड़ों की अकड़न को कम करते हैं और जोड़ों की गतिशीलता में सुधार करते हैं।
2. संतुलित आहार: ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर आहार लें, जिसमें मछली, अखरोट, अलसी के बीज शामिल हैं। चीनी, फास्ट फूड और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से बचें।
3. वजन नियंत्रण बनाए रखें: अधिक वजन जोड़ों पर दबाव डालता है। इसलिए, गठिया के प्रबंधन में वजन नियंत्रण बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
4. तनाव प्रबंधन: ध्यान, प्राणायाम और पर्याप्त नींद तनाव को कम करने में मदद करते हैं।
5. दवा और फिजियोथेरेपी: डॉक्टर की सलाह के अनुसार उचित दवा और फिजियोथेरेपी गठिया की गंभीरता को कम करने में मदद कर सकती है।
Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.
Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265
info@hamaramahanagar.net
© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups
Sun, Oct 12 , 2025, 11:53 AM