मेहसाणा। गुजरात में मेहसाणा जिले के खेरवा स्थित गणपत विश्वविद्यालय में आयोजित ‘वाइब्रेंट गुजरात रीजनल कॉन्फ्रेंस’ (VGRC) के दूसरे दिन शुक्रवार को कृषि विभाग द्वारा ‘टेक्नोलॉजी, सस्टेनेबल इकोसिस्टम तथा उद्यमी नवाचार द्वारा डेयरी संसाधन का सशक्तिकरण’ विषय पर परिसंवाद का आयोजन किया गया। गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF) आणंद के प्रबंध निदेशक (Managing Director) जयेन मेहता ने ‘गुजरात भारत का डेयरी पावरहाउस : सहकारिता मॉडल तथा उसकी यात्रा’ विषय पर वक्तव्य देते हुए कहा कि इस समय जब वर्ष 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है, तब सभी साथ मिलकर सहकारिता को सुदृढ़ बनाएँ।
उन्होंने अमूल का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्ष 1946 में आणंद में केवल दैनिक 250 लीटर दूध प्राप्त होता था, जबकि आज दूध संग्रहण दैनिक 350 लाख लीटर तक पहुँच चुका है। आज गुजरात के डेयरी उद्योग का वार्षिक टर्नओवर 90 हजार करोड़ रुपए तक पहुँचा है। आज अमूल विभिन्न उत्पादों के लगभग 24 बिलियन पैकेट वैश्विक बाजार में भेजता है। इन सभी व्यवसायों से किसानों तथा पशुपालकों को लाभ मिल रहा है। उन्होंने उत्पादन, प्रसंस्करण एवं विपणन पर (प्रोडक्शन- प्रोसेसिंग-मार्केटिंग) विशेष बल देने को कहा। आज जब वैश्विक बाजार में डेयरी उद्योग का 25 प्रतिशत हिस्सा है, तब आगामी समय में विश्व के प्रत्येक डाइनिंग टेबल पर भारत का दुग्ध उत्पाद हो; इस लक्ष्य के साथ सभी को साथ मिलकर कार्य करना चाहिए।
राज्य के सहकारिता एवं पशुपालन विभाग के सचिव संदीप कुमार ने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2047 के विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए नवाचार, स्थिरता तथा उद्यमिता पर विशेष बल दिया गया है। गुजरात में डेयरी उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार द्वारा अनेक योजनाएँ लागू की गई हैं। दूध उत्पादन ग्रोस वैल्यूएडिशन के लिए देश में गुजरात की भागीदारी सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। गुजरात का डेयरी मॉडल आज समग्र देश में रोल मॉडल बना है। सहकारिता विभाग द्वारा ग्रामीण स्तर पर सहकारिता क्षेत्र पर अधिक ध्यान केन्द्रित किया गया है।
श्री कुमार ने कहा कि देश आज अमूल को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के मॉडल को भी अपना रहा है। आगामी पाँच वर्षों में राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में दो लाख से भी अधिक पैक्स स्थापित किए जाएंगे। आज जब गुजरात के पशुपालन क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी सर्वाधिक है, तब घरेलू स्तर पर विभिन्न उत्पादों का मूल्यवर्धन कर महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कार्य करना चाहिए। आज बनास डेयरी से जड़ीं पशुपालक महिलाएँ वार्षिक एक करोड़ रुपए से अधिक का टर्नओवर कर आत्मनिर्भर बनी हैं। उन्होंने इस बात की भी चर्चा की कि क्लाइमेट चेंज के साथ ऋतुओं के बदलाव के समय पशुओं तथा दूध उत्पादन पर पड़ने वाले प्रभावों को कैसे टाला जा सकता है।
उद्यमिता एवं शिक्षा विभाग, अहमदाबाद के निदेशक सत्यरंजन आचार्य ने ‘महिलाओं तथा युवाओं में डेयरी वैल्यू चेन तथा उद्यमिता’ विषय पर वक्तव्य दिया।
इस अवसर पर बनास डेयरी के एजीएम डॉ. पी. आर. वाघेला ने बनास डेयरी की सफलता की चर्चा की। उन्होंने प्रशिक्षण, योजनाओं, महिलाओं की भागीदारी, बनास डेयरी के मॉल व व्यवसायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। एनडीडीबी-आणंद के पशु पोषण समूह (एनिमल न्यूट्रीशन ग्रुप) के वैज्ञानिक भपेंद्र टी. फोंडबा ने ‘क्लाइमेट रेजीलिएंट डेयरी फार्मिंग, पानी की कमी तथा गर्मी का सामना’ विषय पर वक्तव्य दिया। सरहद डेयरी-कच्छ के सहायक प्रबंधक जय चौधरी ने केमल मिल्क (ऊँट के दूध) पर प्रेजेंटेशन देकर जानकारी दी। इस परिसंवाद में उद्योगकार, पशुपालक तथा किसान उपस्थित रहे।
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