पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने राज्य की सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के खिलाफ अपने आक्रामक रुख को तेज करते हुए राजधानी पटना में 40 पन्नों का आरोप पत्र '20 साल, विनाश काल' जारी किया। इस अवसर पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने सत्तारूढ़ ‘डबल इंजन’ सरकार को ‘बिना ईंधन वाली सरकार' करार देते हुए कहा कि पिछले 20 वर्षों में बिहार ने घोर अव्यवस्था, पलायन, भ्रष्टाचार और सामाजिक असमानता का सामना किया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश ने कहा कि यह आरोप पत्र सिर्फ आरोपों का संकलन नहीं, बल्कि बीते 20 वर्षों की हकीकत का दस्तावेज़ है। उन्होंने कहा कि, ‘इन बीस वर्षों में सत्ता ने दो बार इस तरफ और दो बार उस तरफ पलटी ली है, लेकिन जनता की स्थिति जस की तस रही। यह ‘डबल इंजन’ सरकार असल में ‘बिना ईंधन की सरकार’ है, जो केवल जनता को धोखा देने का काम कर रही है।‘
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि बिहार आज एक ऐतिहासिक और निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। उन्होंने राज्य के युवाओं से सीधा संवाद करते हुए कहा कि, ‘आपके सामने दो रास्ते हैं, पहला जनता की भलाई, सामाजिक न्याय और समावेशी विकास और दूसरा, सत्ता की भलाई और खोखले वादों का है।‘ उन्होंने कहा कि यह चुनाव न केवल विधानसभा का चुनाव है, बल्कि इसका राष्ट्रीय असर भी होगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री रमेश ने बिहार से बड़े पैमाने पर मजबूरी में हो रहे पलायन को राज्य की सबसे गंभीर सामाजिक चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि, ‘बिहार का भविष्य ‘संकट पलायन’ नहीं, बल्कि उद्योगीकरण, कृषि विकास, शहरीकरण, बेहतर स्वास्थ्य और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में है।‘
उन्होंने यह भी कहा कि बिहार के युवा देश- दुनिया में परचम लहराते हैं, लेकिन अपने ही राज्य में उन्हें शिक्षा और रोजगार के अवसर नहीं मिलते हैं, जो शासन की सबसे बड़ी विफलता है। कांग्रेस महासचिव श्री रमेश ने महालेखाकार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि बिहार सरकार के 10 विभागों में 71 हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि, ‘जो डबल इंजन की बात करते हैं, उन्हें जानना चाहिये कि उसका रिमोट पटना से नहीं, कहीं और है।‘
कांग्रेस नेता ने नीति आयोग के आंकड़ों के आधार पर कहा कि बिहार में प्रति एक लाख जनसंख्या पर सिर्फ 7 कॉलेज हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 30 कॉलेज प्रति लाख है। उन्होंने इसे शिक्षा के क्षेत्र में राज्य की भारी विफलता बताया। साथ ही उन्होंने भाजपा पर जातिगत जनगणना और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि, ‘बिहार की महागठबंधन सरकार ने जाति आधारित सर्वे कराया, जिसका भाजपा ने पहले विरोध किया और अदालत में भी चली गई। 65 प्रतिशत आरक्षण की अधिसूचना भी आई, लेकिन उसे संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल नहीं कराया गया।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में तो 30 साल पहले ही 69 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया तो बिहार में आज बढ़ा हुआ आरक्षण क्यों संभव नहीं है? रमेश ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि यह चुनाव सिर्फ राजनीतिक परिवर्तन नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और प्रशासनिक पुनर्निर्माण की नींव रखने का अवसर है। उन्होंने कहा कि, ‘बिहार के युवा और महिलाएं अब इस बीस साल के कुशासन से मुक्ति चाहते हैं। यह चुनाव बिहार के भविष्य का चुनाव है।‘
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