सरकार की आर्थिक नीतियों से बढ़ रही है असमानता : कांग्रेस

Sun, Oct 05 , 2025, 01:02 PM

Source : Uni India

नयी दिल्ली: कांग्रेस ने सरकार(Congress party) की आर्थिक नीतियों (economic policies) पर सवाल उठाते हुए कहा है कि उसकी नीतियां केंद्रीयकरण पर आधारित हैं इसलिए देश में आर्थिक असमानता तेजी से बढ़ रही है। कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश रविवार को यहां एक बयान में कहा कि देश की अर्थव्यवस्था का तेजी से केंद्रीयकरण हो रहा है जिसके चलते समाज का एक हिस्सा बहुत अमीर तो दूसरा हिस्सा उतना ही गरीब होता जा रहा है। यह बात यह नहीं बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था की हर रिपोर्ट कह रही है। ये हमें भारत में धन के व्यापक केंद्रीकरण के बारे में आगाह कर रही हैं।

उन्होंने कहा "एक तरफ करोड़ों भारतीय रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ सिर्फ़ 1687 लोगों के पास देश की आधी दौलत है। मोदी सरकार-प्रेरित आर्थिक नीतियों के कारण धन का इतना बड़ा केंद्रीयकरण देश में विकट आर्थिक असमानता पैदा कर रहा है। ये असमानता व्यापक सामाजिक असुरक्षा और असंतोष को जन्म दे रही है। अन्य देशों में हाल की तारीखें गवाह हैं कि यही घनघोर आर्थिक असमानता और पंगु लोकतांत्रिक संस्थाएं राजनीतिक अराजकता पैदा करने में कैटलिस्ट बनी हैं। सरकार द्वारा भारत को भी उसी रास्ते पर धकेला जा रहा है।"

श्री रमेश ने कहा कि सत्ता के गठजोड़ से चंद उद्योगपति और अमीर होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियां उनके चंद उद्योगपति मित्रों के फायदे के लिए ही केंद्रित हैं। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़, एमएसएमई हमेशा रहा है लेकिन यह क्षेत्र अभूतपूर्व दबाव में है। यह दबाव केवल घरेलू नीतियों का ही नहीं बल्कि विदेश नीति की असफलताओं का भी नतीजा है। आम लोगों के लिए कमाई के अवसर घटते जा रहे हैं और महंगाई लगातार इस कदर बढ़ रही है कि नौकरीपेशा लोगों की जेब में भी बचत की जगह कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। शिक्षा और स्वास्थ्य पर निवेश लगातार घट रहा है और सामाजिक सुरक्षा योजनाएं कमज़ोर हो रही हैं।

महात्मा गांधी ग्रामीण राष्ट्रीय रोजगार योजना-मनरेगा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि करोड़ों लोगों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा का जाल मुहैया करने वाली मनरेगा जैसी सफल योजनाएं, आज संकट से जूझ रही हैं। श्रमिकों को समय पर भुगतान तक नहीं हो रहा। धन का इस स्तर पर केंद्रीकरण केवल अर्थव्यवस्था की समस्या नहीं बल्कि यह लोकतंत्र की आत्मा पर सीधा हमला है। जब आर्थिक शक्ति मुट्ठीभर हाथों में सिमट जाती है, तो राजनीतिक निर्णय भी उन्हीं के हित में होने लगते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि इसके चलते सामाजिक और आर्थिक असमानता का दायरा लगातार बढ़ रहा है। नतीजा यह हो रहा है कि देश के करोड़ों नागरिक धीरे-धीरे लोकतंत्र और विकास की प्रक्रिया से बाहर किए जा रहे हैं।

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